डीएमओ के मौखिक निर्देश पर ही गोदाम प्रभारी ने घर में बनाया आदेश, मिलर्स को चांवल सौंपने में सामने आ रही दलीले, पत्र की होनी चाहिये जांच

बालाघाट. विगत दिनों लांजी पुलिस द्वारा महाराष्ट्र जाते हुए मिलिंग के धान से भरे दो ट्रको को पकड़ा गया था. जिसकी प्रारंभिक जांच के बाद पुलिस ने यह मामला प्रशासनिक जांच के लिए एसडीएम को सौंप दिया था और पकड़ाये गये ट्रको को पुलिस अभिरक्षा में थाने में खड़ा कर दिया गया था. जहां खड़े ट्रक में भरे 11 सौ बोरी धान को जिस पत्र के हवाले से विगत दिनों छोड़ा गया है, उस पत्र की बयानी हकीकत कई संदेहो को जन्म देती है. जिससे पत्र को लेकर भी संदेह होने लगा है, गोदाम प्रभारी श्री बेग की मानें तो डीएमओ के निर्देश पर उन्होने घर में ही पत्र को एसडीओपी के नाम लिखा था. जिसमें भुलवश वह जल्दबाजी में उसका आवक, जावक नंबर नहीं लिख सका. जिस पर सवाल खड़े हो रहे है कि आखिर डीएमओ ने किस अधिकार से शंका के आधार पर पकड़ाये गये ट्रको से धान छोड़ने के आदेश को जारी किया गया?

जानकारों की मानें तो ट्रक चालक सही दिशा में अपने हुक्मरानों के निर्देश पर ट्रक से मिलिंग के धान को महाराष्ट्र ले जाया जा रहा था. जिसकी बतौर बयानी गवाही चालक दे चुके है. हालांकि यह मामला प्रशासनिक जांच में है लेकिन जिस तरह से इस पूरे मामले में सबूतो को नष्ट करने का प्रयास किया जा रहा है, उससे लगता है कि मामले मेें काफी झोलझाल है, जिसकी परत दर परत जांच होने के बाद कई चौकाने वाले परिणाम सामने आ सकते है.  

जिस पत्र के हवाले से ट्रको में पकड़ाये गये धान को मिलर्स के यहां पहुंचाया गया है यदि उस पत्र की लेखनी को गौर से पढ़े तो आभाष होता है कि पुलिस की कार्यवाही उस पत्र के आगे ट्रक के पकड़ाये जाने के बाद झुठी मालुम पड़ती है, पूरा पत्र मामले के पकड़ाये जाने को ही सिरे से खारिज करता है, जिससे यह पत्र गोदाम प्रभारी द्वारा लिखा गया है यह भी जांच का विषय है या फिर किसी मिलर्स द्वारा पत्र लिखवाकर केवल दस्तखत गोदाम प्रभारी के कराये गये है. जिसका खुलासा पत्र की जांच के बाद ही सामने आ सकता है, लेकिन इस पूरे मामले में प्रथमदृष्टया संदेह में आ रहे फरहान राईस मिल ठेमा में ही पकड़ाये गये चांवल को पहुंचाये जाने से मामला और गहरा गया है. जिसकी निष्पक्ष जांच की मांग विपक्षी दलो के नेता करने लगे है.  

इस पूरे मामले में जिला प्रशासन से भी संपर्क करने का प्रयास किया गया लेकिन संपर्क नहीं हो पाया. जबकि यह पूरा मामला जिला प्रशासन के संज्ञान में भी है. बालाघाट से मिलिंग की धान की तस्करी का यह पकड़ाया मामला वह सिरा था, जिसमें जांच टीम की सही जांच कई चेहरो को बेनकाब कर सकती थी.  

खाली ट्रक पुलिस अभिरक्षा में खड़े 

जिन ट्रको को लांजी पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी एसडीओपी नितेश भार्गव द्वारा धान से भरा हुआ पकड़ा गया था. उस ट्रक की धान को मिलर्स के यहां छोड़कर खाली ट्रको को पुलिस अभिरक्षा में पुनः खड़ा कर दिया गया है. जबकि इस पूरे मामले में मुख्य मुद्दा धान है, जिसे राईस मिलर्स के यहां पहुंचाकर एक तरह से जीवित सबूत को नष्ट करने का काम किया गया है. अब इस मामले में जांच कर रहा प्रशासनिक अमला किस बिंदु पर जांच करता है, यह तो प्रशासनिक अमला ही बता सकता है. वहीं पुलिस भी अपने स्तर से पत्र की वैधानिकता की जांच कर रही है, जो उसे चांवल को छोड़ने के लिए प्रदाय किया गया था. चूंकि पत्र को एसडीओपी के नाम दिये जाने के बावजूद चांवल छोड़ने के पूर्व तक वह पत्र एसडीओपी के पास नहीं पहुंच पाया था. ताकि वह पत्र का अध्ययन कर सकें. ऐसी संभावना व्यक्त की जा रही है कि धान छुड़ाने की कोशिश में लगे कुछ लोग जानते थे कि एसडीओपी नहीं है और उनकी गैरमौजूदगी में आदेश पत्र का परिपालन कराकर उन्होंने चांवल के ट्रक को वहां से ले जा लिया. जिससे पुलिस के लिए भी वह पत्र एक जांच का सवाल हो सकता है. वरिष्ठ अधिकारियों का भी कहना है कि यदि पत्र गलत तरीके से जारी किया गया तो इसकी भी जांच कर दोषियों के खिलाफ नियमानुसार कार्यवाही की जायेगी.  


इनका कहना है

मेरे द्वारा घर में ही पत्र तैयार किया गया था. जिसका मौखिक निर्देश मुझे डीएमओ साहब ने दिये थे.  

श्री बेग, गोदाम प्रभारी


Web Title : ON THE ORAL DIRECTION OF THE DMO, THE WAREHOUSE IN CHARGE ORDERED THE HOUSE MADE ORDER, THE ARGUMENTS THAT WERE APPEARING IN HANDING OVER THE CHANCE TO THE MILLERS, THE LETTER SHOULD BE EXAMINED.