बालाघाट. महाराष्ट्र के गोंदिया से रेलवे पटरी होते हुए पैदल-पैदल बालाघाट पहुंचे 9 मजदूरों ने बीती रात यात्री प्रतिक्षालय में गुजारी. जिन्हें आज 24 घंटे बाद वाहन के माध्यम से उनके गांव भिजवा दिया गया है. ट्रक के माध्यम से यह मजदूर रामटेक से गोंदिया पहुंचे थे, जो बीते 11 अप्रैल को लगभग 42 किलोमीटर का सफर पैदल तय कर बालाघाट पहुंचे थे. जिन्हें रेल पटरी आते हुए जीआरपी पुलिस बालाघाट ने पकड़कर उनसे पूछताछ की थी, जिस पर मजदूरों ने बताया था कि सभी मजदूर बालाघाट जिले के टिटवा और चिल्लौद निवासी है जो रामटेक में रहकर खेत में कुंआ बनाने का काम करते है किन्तु लॉक डाउन के कारण काम बंद होने से वह वापस अपने गांव जाने निकले है. जहां जीआरपी पुलिस बालाघाट ने सभी का स्वास्थ्य परीक्षण करवाकर उन्हें उनके घरो तक भिजवानें के लिए विधिवत कार्यवाही के उपरांत बालाघाट नगरपालिका को सौंप दिया था.
जीआरपी पुलिस बालाघाट द्वारा लाये गये मजदूरों को नपा ने पुराने राज्य परिवहन बस स्टैंड के यात्री प्रतिक्षालय में ठहरने की बात कहकर उन्हें आश्वस्त किया था कि उन्हें आज ही उनके घर भिजवा दिया जायेगा किन्तु प्रशासनिक निर्देश के बाद उन्हें यहां 24 घंटे रखा गया. जिसके बाद आज दोपहर में उन्हें उनके घर भिजवाया गया.
बैंच में बैठकर मजदूरों ने गुजारी रात
दोपहर लगभग 12. 30 बजे मीडियाकर्मियों ने यहां आकर देखा तो मजदूर निराश हालत में प्रतिक्षालय की बैंच में बैठे थे. चर्चा करने पर मजदूर फागुलाल चांदेकर ने बताया कि उन्हें कहा गया था कि यही 24 घंटा उन्हें रूकना है, उनकी और जांच की जायेगी, लेकिन कल से लेकर अब तक कोई जांच करने नहीं आया, इस दौरान तक उन्हें दिन का भोजन भी नहीं मिला था. एक बार फिर मजदूरों ने कहा कि वह स्वास्थ्य है और वह अपने घर जाना चाहते है. सवाल यह है कि यदि उन्हें 24 घंटे क्वारेंटाईन किया गया तो उनके ठहरने के लिए व्यवस्था क्यों नहीं की गई, जबकि उनके साथ महिलायें भी थी. दूसरा यह कि वह यात्री बाहर से आये है, ऐसी स्थिति में उन्हें वहीं रख दिया गया, जबकि वहां अन्य भी बालाघाट के बेसहारा लोग मौजूद थे. जिले में कोरोना वायरस कोविड-19 से निपटने प्रशासन पूरी सतर्कता के साथ काम कर रहा है तो दूसरी ओर इस तरह से बाहर से आये मजदूरों को खुले परिसर में रखा जाना, चिंता पैदा करता है. हालांकि दोपहर में कुछ मानवप्रेमियों ने सुबह से भुखे बैठे मजदूरों को बिस्कुट के पेकेट देकर उनकी भुख को कुछ हद तक शांत करने का प्रयास किया.
गौरतलब हो कि लॉक डाउन के चलते कामकाज बंद होने से जिले से रोजगार के लिए पलायन कर महाराष्ट्र गये मजदूरांे अब परिवार सहित लौटने लगे है. रोजाना ही किसी ने किसी क्षेत्र से मजदूर काम न होने के कारण जिले में अपने घर की ओर लौट रहे है. इसी कड़ी में गत 11 अप्रैल को 9 मजदूर गोंदिया से पटरी-पटरी होते हुए बालाघाट पहुंचे थे. रामटेक से गोंदिया और गोंदिया से बालाघाट पहुंचे मजदूर जिले के टिटवा और चिल्लौद निवासी राजकुमार ठाकरे, कमल उईके, भागुलाल चंदेकर, सतलाल पंद्रे, कुंवरलाल पुसाम, जेलनबाई चंदेकर, रूपेन्द्र उईके, लीलाबाई और विजयसिंह उईके शामिल थे.