पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने सरकार कर रही सरकारी उपक्रमांे का निजीकरण,केन्द्र सरकार की नीतियों के खिलाफ बैंक कर्मियों ने हड़ताल कर दर्ज कराया विरोध

बालाघाट. केन्द्र सरकार द्वारा किये जारहे सरकारी उपक्रमों और सार्वजनिक संस्थानों के निजीकरण, श्रम विरोधी कानून, पुरानी पेंशन को यथावत रखने और मनरेगा में मजदूरों को 2 सौ दिनों का रोजगार दिये जाने सहित अन्य केन्द्र सरकार की जनवरिोधी नीतियों के खिलाफ राष्ट्रीय आव्हान पर 26 नवंबर को राष्ट्रीकृत बैंको के अलावा सार्वजनिक संस्थानों में कार्यरत कर्मियों ने हड़ताल कर केन्द्र सरकार का विरोध दर्ज किया.  

जिसके कारण बैंकों में कोई कामकाज नहीं हो सका. बैंक कर्मियों की हड़ताल का नेतृत्व कर रहे संगठनों का कहना है कि यदि सरकार ने निजीकरण पर रोक लगाकर मांगो को नहीं माना तो हड़ताल अनिश्चितकालीन तक जारी रह सकती है. बैंक यूनियनों के पदाधिकारियों ने कहा कि सरकार द्वारा कुछ चुनिंदा पूंजीपतियों एवं औद्योगिक घरानों को लाभ पहुंचाने की नियत से सरकारी उपक्रमों का निजीकरण किया जाना प्रस्तावित है. बैंक और सार्वजनिक संस्थानों के निजी हाथों में चले जाने से श्रम विरोधी नीतियां लागू कर श्रमिकों का शोषण होगा. वही बैंकिंग जैसी संस्थानों में आमजन की गाढ़ी कमाई कुछ पूंजीपतियों के हितों में उपयोग की जायेगी. ऐसी परिस्थिति में हर भारतवासी का यह परम कर्तव्य बन जाता है कि सरकार द्वारा चलाई जा रही निजीकरण की नीतियों पर रोक लगाये.  

सामूहिक हड़ताल में शामिल सरकारी और सार्वजनिक संस्थाओं के कर्मियों ने अपनी एकजुटता के माध्यम से सरकार को चेताया की सरकार श्रम विरोधी कानून से बचे और लगातार सार्वजनिक उपक्रमों रेल, भेल, सेल, जीवन बीमा और बैंकिंग संस्थानों के निजीकरण की कार्यवाही पर तत्काल रोक लगाये.  

हड़ताल के माध्यम से संगठनों ने श्रम विरोधी कानून को वापस लेने, किसान विरोधी कानून पर तत्काल रोक लगाने,   रेल, भेल, सेल, रक्षा, जीवन बीमा, बैंकिंग, बिजली जैसे जनहितकारी उपक्रमों का निजीकरण का प्रस्ताव वापस लेने, नई पेंशन योजना का प्रस्ताव वापस लेकर पुरानी पेंशन का लाभ सभी कार्मिकों को दिया जाने, जबरिया सेवानिवृत्ति का प्रस्ताव निरस्त किया जाने, मनरेगा में सभी श्रमिकों को कम से कम 200 दिन का काम देने, ठेका पद्धति पर रोक लगाकर नियमित कार्मिकों की भर्ती किये जाने, डीजल, पेट्रोल, रसोई गैस के दामों पर नियंत्रण किये जाने सहित जनहित की मांगों के निराकरण की मांग की. गौरतलब हो कि 26 नवंबर को किये गये राष्ट्रव्यापी आंदोलन के तहत केन्द्र सरकार की नीतियों के खिलाफ सड़क पर उतरकर पुरजोर विरोध किया गया.

मध्यप्रदेश ग्रामीण बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन एंप्लाइज ऑफिसर यूनियन के ज्वाइंट काउंसिल अध्यक्ष सुशील वर्मा एवं मध्य प्रदेश ग्रामीण बैंक मंडला रीजन के साथी लीलाधर सुलाखे ने बताया कि राष्ट्रव्यापी आंदोलन के तहत जिले में   ग्रामीण बैंक के अधिकारी कर्मचारी सहित जिले की 26 शाखाओं में हड़ताल पर रहे. बैंक और सार्वजनिक संस्थाओं के कर्मियों की एकजुटता के कारण हड़ताल पूरी तरह सफल रही.


Web Title : PRIVATISATION OF GOVERNMENT UNDERTAKINGS TO BENEFIT CAPITALISTS, BANK WORKERS PROTEST AGAINST CENTRAL GOVERNMENT POLICIES