समलैंगिक विवाह के कानूनी मान्यता पर लगाई जाये रोक, सनातन सभा के नेतृत्व में सामाजिक, धार्मिक और आध्यात्मिक संगठनों ने सौंपा ज्ञापन

बालाघाट. एक याचिका पर माननीय उच्चतम न्यायालय समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की सुनवाई कर रहा है, भारत में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने के खिलाफ, अब आवाजे भी उठने लगी है.  28 अप्रैल को बालाघाट मुख्यालय में सनातन सभा के नेतृत्व में सामाजिक, धार्मिक एवं अध्यात्मिक संगठनों ने महामहिम राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपकर माननीय उच्चतम न्यायालय में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने हो रही सुनवाई पर रोक लगाये जाने और इस पर विचार का अधिकार संसद को दिये जाने की मांग की.  इस दौरान बड़ी संख्या में सामाजिक, धार्मिक एवं अध्यात्मिक संस्था से जुड़े लोग, युवा एवं युवतियां भी मौजूद थी.  

सनातन सभा अध्यक्ष महेश खजांची ने कहा कि समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने संबंधी चल रही  सुनवाई को निरस्त किया जाये और इसका अधिकार संसद को दिया जाये, क्योकि वह सर्वोपरी है. उन्होंने कहा कि यदि समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता प्राप्त हो जाती है तो परिवार का ताना-बाना नष्ट हो जायेगा. चूंकि ऋषि-मुनियों द्वारा लिखी गई श्रुति, भारतीय संस्कृति और पुराणों में गृहस्थ आश्रम को सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण आश्रम माना गया हैं, भारतीय संस्कृति में पुरूष और महिला के विवाह को ही मान्यता प्राप्त है. परिवार की व्यवस्था के लिए गृहस्थ जीवन के चलते ही महान विभूतियों ने इस धरती पर जन्म लिया है और यदि समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता प्रदान की जाती है तो इससे परिवार की व्यवस्था पर कुठाराघात होगा और यह अप्राकृतिक होगा.  

राष्ट्रीय विचार मंच संयोजिका श्रीमती लता एलकर ने कहा कि माननीय न्यायालय में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की जा रही कानूनी प्रक्रिया पर रोक लगाई जायें और इस मसले पर निर्णय लेने का अधिकार संसद के हाथो में सौंपा जाये. भारतीय संस्कृति में पुरूष और महिला के बीच संतति को बढ़ाने का संस्कार है विवाह, यदि समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता प्रदान की जाती है तो इससे ना केवल परिवार का ताना-बाना नष्ट होगा बल्कि यह अप्राकृतिक भी होगा.  

समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने के खिलाफ युवतियों भी मुखर है, समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने के खिलाफ ज्ञापन आंदोलन में शामिल अनुसूचित जनजाति छात्रावास की छात्रा पूनम मरावी ने भी समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता दिये जाने के खिलाफत करते हुए कहा कि यह भारतीय संस्कृति के विपरित है और इससे समाज की परंपरा को नुकसान होगा.


Web Title : SOCIAL, RELIGIOUS AND SPIRITUAL ORGANISATIONS LED BY SANATAN SABHA SUBMIT MEMORANDUM DEMANDING BAN ON LEGAL RECOGNITION OF SAME SEX MARRIAGE