जंगल से सागौन के पेड़ को छिपाने कार्यालय से काट दिये पेड़, अधिकारी कर रहे शिकायत का इंतजार, शिकायत मिलेगी तो जांच की जायेगी-सीसीएफ

बालाघाट. वारासिवनी परिक्षेत्र के अंतर्गत ग्राम पंचायत पिपरिया के जंगल से लगभग एक दर्जन से अधिक सागौन के वृक्षो की कटाई हो गई, जिसको छिपाने परिक्षेत्र कार्यालय के पेड़ काट दिये गये. परिक्षेत्र अधिकारी कह रहे है कि मामले में जांच की जा रही है, वहीं जिलास्तर पर भी जांच हो रही है, उसके बाद वनविभाग के आला अधिकारी, शिकायत नहीं मिलने की बात कर रहे है, जिससे लगता है कि वरिष्ठ अधिकारी, बेशकीमती सागौन की अवैध कटाई को संरक्षण प्रदान कर अपने मातहत अमले को बचाने का काम कर रहे है. जबकि यह पूरा मामला पब्लिक डोमेन में है और लगातार इसको लेकर अखबार और चैनलो में इसकी खबरें आ रही है, बावजूद सीसीएफ नरेन्द्र सनोडिया, मामले में शिकायत का इंतजार कर रहे है.

गौरतलब हो कि पिपरिया के जंगल में बेशकीमती सागौन के पेड़ो की अंधाधुंध अवैध कटाई की गई, जब यह मामला प्रकाश में आया तो वन विभाग ने अपने स्तर पर जांच पड़ताल शुरू की. जो जांच कहां तक पहुंची और इस जांच में अब तक कौन दोषी पाया गया, इसका कोई पता नहीं चल पा रहा है, वहीं अधिकारी कुछ भी बताने तैयार नहीं है. मीडिया रिपोर्ट की मानें तो परिक्षेत्र अधिकारी का कहना है कि काटे गये सागौन के पेड़ो की लकड़ी को जब्त कर लिया गया है और कार्यालय के पेड़ो का काटे जाने की जानकारी नहीं है. जिससे ही समझ में आता है कि वनविभाग के अधिकारियों में समन्वयक की कितनी कमी है.  

एक ओर वन विभाग के आला अधिकारी जंगल और कार्यालय से काटे गये सागौन के पेड़ो को लेकर जांच के लिए शिकायत का इंतजार कर रहे है, वहीं दूसरी ओर स्वयं मातहत अमला स्वीकार कर रहा है कि जंगल और कार्यालय से पेड़ काटे गये है. यही कोई आम आदमी अपने खेत से भी काट लेता तो वनविभाग उसके लाल-पीला होता दिखाई देता, लेकिन यहां मातहत अधिकारी की जंगलो से पेड़ काटे जाने के बाद भी जानकारी नहीं होने की लापरवाही को संभवतः वरिष्ठ अधिकारी, विभाग की छवि के कारण बचाने में जुट गये है. वहीं इस मामले में जिलास्तर पर जांच कर रहे अधिकारी लगातार फोन करने के बाद भी जवाब देना उचित नहीं समझ रहे है, जिससे साफ है कि समय के साथ विभाग मामले को ठंडा करने पर तुला है, ताकि मामला शांत होने के बाद इस मामले को ठंडा कर दे.

खबर के अनुसार ग्राम पिपरिया बीट के नदी किनारे लगे जंगल से 1-2 नही लगभग बल्कि एक दर्जन से अधिक बेस कीमती सागौन के पेड़ काट दिये गये है. मामले के संज्ञान में आते ही बालाघाट डीएफओ ने वारासिवनी वन अमले को नोटिस जारी कर जांच पड़ताल के आदेश दिये थे. बावजूद इसके घटना को लगभग 1 माह से अधिक बीत जाने के बाद आज तक कोई कार्यवाही नही हुई है, बल्कि वन परिक्षेत्र कार्यालय में लगे लगभग 2-3 सागौन के बेस कीमती पेड़ो की कटाई का एक और मामला सामने आ गया.  

लोगों की मानें तो जंगलो से बेशकीमती सागौन के पेड़ काटे जाने के मामले में अधिकारी के साथ ही पिपरिया बीट गार्ड की लापरवाही सामने आ रही है. जो अक्सर अपनी ड्यूटी से ज्यादातर नदारत ही रहते है.

जबकि सूत्रों की मानें तो ग्राम पंचायत पिपरिया के जंगलों में अज्ञात व्यक्ति द्वारा लगभग एक दर्जन से अधिक बेस कीमती सागौन के पेड़ को को काटकर आरा मिल में बेच दिया था. बावजूद इसके वारासिवनी वनअमले को जानकारी भी नही लग पाई. जब ये सारी घटना की जानकारी ग्रामीणों ने विभाग के अधिकारी को दी, तब मामला सामने आया. हालांकि इसके बाद वरिष्ठ अधिकारियों ने वारासिवनी परिक्षेत्र अधिकारी यशपाल मेहरा एवं डिप्टी रेंजर से इस मामले में जवाब-तलब किया और जल्द से जल्द सागौन के पेड़ो को काटने वाले आरोपी को पकड़ने का आदेश दिया. मगर बाद में यह खबर सामने आई कि जंगल के पेड़ो की भरपाई के लिए वारासिवनी के वनअमले ने अपने ही कार्यालय के पेड़ो को काट डाला, जिसके ठंूठ कार्यालय में देखे जा सकते है.


इनका कहना है

इस मामले की अब तक कोई शिकायत नहीं मिली है, शिकायत मिलेगी तो जांच की जायेगी और जांच में जो भी दोषी होगा, उस पर कार्यवाही की जायेगी और उससे इसकी भरपाई की जायेगी.

नरेन्द्र कुमार सनोडिया, सीसीएफ


Web Title : TREES CUT DOWN FROM OFFICE TO HIDE TEAK TREE FROM FOREST, OFFICIALS AWAITING COMPLAINT, IF COMPLAINT IS RECEIVED, THEN INVESTIGATION WILL BE CONDUCTED CCF