जंगली भैंसे के हमले से घायल आदिवासी की ऑपरेशन के बाद भी नहीं बचाई जा सकी जान, चार दिनों से जिंदगी और मौत से लड़ने के बाद तोड़ा दम

बालाघाट. भरवेली थाना क्षेत्र के केरा निवासी आदिवासी देवसिंह टेकाम पर उस वक्त, जंगली भैसे ने हमला कर दिया था. जब वह जंगल में लकड़ी लाने गया था. जंगली भैसे के सिंग के हमले उसकी पूरी छोटी और बड़ी आंत बाहर आ गई थी. जिसे गंभीर हालत में जिला चिकित्सालय लाया गया था. जहां उसे बचाने के लिए सिविल सर्जन के कंसर्न के बाद सर्जन डॉ. शुभम लिल्हारे ने उसका ऑपरेशन कर पेट से बाहर आई आंतो को सफलतापूर्वक, पेट के अंदर डाल दिया था. जिसके बाद उसे चिकित्सीय निगरानी मंे रखा गया था. जहां दूसरे दिन उसके होश में आने के बाद जिला चिकित्सालय प्रबंधन ने इसे अस्पताल प्रबंधन की उपलब्धि बताया था, लेकिन चार दिन बाद घायल देवसिंह टेकाम ने 15 जून की दोपहर, जिंदगी और मौत से लड़ते हुए दम तोड़ दिया.  

जिसकी अस्पताल से तहरीर मिलने के बाद अस्पताल चौकी पुलिस ने शव बरामद कर पंचनामा कार्यवाही के बाद शव परिजनों को सौंप दिया. मामले में मर्ग की अग्रिम जांच भरवेली पुलिस द्वारा की जाएगी. पुलिस जांच और पीएम रिपोर्ट से ही पता चल पाएगा कि उसकी मौत की वास्तविक वजह क्या है, हालांकि ऑपरेशन के बाद चिकित्सकों ने साफ कर दिया था कि ऐसी स्थिति में ऑपरेशन के बाद मरीज के बचने की संभावना 50-50 प्रतिशत होती हैं. ऑपरेशन के बाद देवसिंह टेकाम ने रिकवर भी किया था लेकिन चार दिन बाद सफल ऑपरेशन के बाद भी उसे बचाया नहीं जा सका.


Web Title : TRIBAL INJURED IN WILD BUFFALO ATTACK COULD NOT BE SAVED EVEN AFTER OPERATION, DIED AFTER FIGHTING FOR LIFE AND DEATH FOR FOUR DAYS