गांव की बेटी शानु बनी कॉपरेटिव डिपार्टमेंट की असिस्टेंट कमिश्नर, एमपीपीएससी से हुई चयनित, मां के हौंसलो से गांव की पहली शासकीय अधिकारी बनी शानु

बालाघाट. जिले में प्रतिभाओं की कमी नहीं है. जिले की प्रतिभाओं ने हमेशा, अपना, परिवार और जिले का नाम रोशन किया है. बात करें, जिले के छोटे से खैरगांव की तो गांव की बेटी ने मां के हौंसलो और लोगों के सहयोग से वह कर दिखाया है, जो गांव की कोई बेटी नहीं कर सकी, गांव की शासकीय सेवा में चयनि9त होने वाली शानु पहली बेटी है.  जिले के एक छोटे से ग्राम खैरगांव की तो यहां की आबादी लगभग 1400 लोगो की है. यहां बच्चों की पढ़ाई के लिए सिर्फ प्राथमिक और माध्यमिक शाला ही है. आगे कि यहां के बच्चों को पढ़ाई के लिए हट्टा या बालाघाट आना पड़ता है. इन्ही सब कठिनाईयों को पार करते हुए ग्राम की शानु चौधरी ने अपने सपने को पूरा किया. एमपीपीएससी 2021 में उसका चयन कॉपरेटिव्ह डिपार्टमेंट में असिस्टेंट कमिश्नर के पद पर हुआ है. जो ग्राम की पहली शासकीय अधिकारी बनी है. जिससे ग्राम में हर्ष का माहौल भी देखने को मिल रहा है. मां के हौंसलो के कारण, शानु एक मुकाम हासिल कर सकी है.

चर्चा के दौरान शानु चौधरी ने बताया कि उनके परिवार में चार लोग है. जिसमें पिता मदनलाल चौधरी, माता श्रीमती धनेश्वरी चौधरी, बड़ा भाई समीर चौधरी है और वह स्वयं है. मैने अपनी प्रारंभिक शिक्षा से लेकर अभी तक की पढ़ाई शासकीय संस्थाओं से ही पूरा की है और सफलता भी मिली है. उन्होंने बताा कि ऐसी मिथ्या है कि शासकीय स्कूलों से पढ़ाई करने पर कोई कुछ नहीं बन सकता तो वह गलत है, अगर वह ठान ले कि उसे क्या करना, क्या बनना है तो वह शासकीय संस्था से पढ़ाई करके भी अपने सपने को पूरा कर सकता है. नहीं तो निजि संस्था से पढ़ाई करने के बाद भी नौकरी नहीं लगती है. इसमें शासकीय और अशासकीय की बात नहीं है, बात है तो सिर्फ दृढ़संकल्प की.

शानु का एमपीपीएससी में चयन होने के बाद से ही ग्राम में खुशी की लहर है, यही कारण है कि शानु के शासकीय नौकरी में चयन होने के बाद प्रथम बार ग्राम आगमन पर स्वागत समारोह का आयोजन किया. जिसमें भारी संख्या में ग्रामवासी सहित आस-पास के क्षेत्र के लोग मौजूद थे.  ग्राम के युवाओं के लिए शानु चौधरी प्रेरणा स्रोत बन गई है, क्योंकि वह एक मध्यमवर्गीय परिवार से आती है. जिन्हें अपने सपने को पूरा करने के लिए आर्थिक और मानसिक कठिनाइयों का सामना करने के बावजूद उन सब परेशानियों को दूर करते हुए उन्होंने अपने सपने को हासिल किया है. जहां एक ओर माता-पिता की उम्मीद टूटने लगी तो दूसरी ओर घर की कुछ जिम्मेदारियां भी उन्हें निभाई थी. लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अपने सपने को पूरा किया है. इस वजह से वह युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बन गई है.

कॉपरेटिव्ह डिपार्टमेंट में असिस्टेंट कमिश्नर बनी शानु चौधरी का कहना है कि प्रयास करना हमारी जिम्मेदारी है, लेकिन कुछ युवा असफल होने पर आत्महत्या एवं अन्य कदम उठाते जो गलत है. जिसकों जो कार्य करना अच्छा लगता है, उसे वह कार्य करना चाहिए. जिसमें वह एक न एक दिन सफल जरूर होगा. उनका मानना है कि पढ़ाई हो या कोई रोजगार, मन लगाकर करना चाहिए. जिसमें उनका मन नहीं है और वह उस कार्य को करते तो वह निश्चित ही उन्हे कठिन लगेगा, लेकिन जिस कार्य में उनका मन लगता तो उसमें कठिनाई आने पर उसका वह सामना कर लेगें और वह सफल होंगे.  माता धनेश्वरी चौधरी ने कहा कि उन्होंने शानु को आठ साल से नहीं देखा था, वह सिर्फ फोन के माध्यम से बात होती थी और आज वह अधिकारी बनकर आई है तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं है. साथ ही साथ उन्होंने कहा है कि सभी माता-पिता अपने बषों पर विश्वास करें और उनका सहयोग करें. जिससे की बच्चे अपने सपने को पूरा कर सकें.

बड़े भाई समीर चौधरी ने कहा कि जितना आसान हमकों लगता था उतना आसान नहीं है. काफी कठिनाईयों का सामना करने के बाद शानु ने अपने सपने को पूरा किया है. चर्चा के दौरान दादा हरूलाल चौधरी ने कहा कि बच्चो को पढ़ाई के लिए सहयोग करना चाहिए. हम लोग उतने अमीर नहीं है लेकिन जितना भी सहयोग, हमसे बन पड़ा उतना किया और बच्ची ने सफलता हासिल की. वहीं आगे कहा कि सभी बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ना चाहिए, जिस तरह से हमारी बच्ची को सफलता मिली है वैसे ही किसी भी बच्ची को सफलता मिल सकतीं है.  छोटे भाई आशीष चौधरी ने कहा कि शानु दीदी हमारे लिए प्रेरणा स्रोत बन गई है. उनके अधिकारी बनने पर मैं भी मन लगाकर पढ़ाई करूंगा और अपने सपने को पूरा करूंगा.  पूर्व सरपंच ग्राम पंचायत खैरगांव ज्ञानचंद चौधरी ने बताया कि 1400 आबादी वाले इस खैरगांव में आज तक कोई भी अधिकारी नहीं बन पाया है, लेकिन शानु ने वह मुकाम हासिल कर चौधरी परिवार और ग्राम को गौरवांवित किया है. निश्चित ही अगर कोई बच्चे कुछ करने की ठान लेता है तो वह अपने सपने को पूरा करने में कोई कमी नहीं छोड़ता है.

उपसरपंच सावथ पांचे ने कहा कि शानु का इतने बड़े पद पर चयन होने से ग्राम, क्षेत्र सहित जिले का नाम रोशन हुआ है. शिक्षा में वो ताकत है कि शिक्षित कुछ भी कर सकता है. बस शिक्षा के लिए अपने आप को समर्पित करना होगा.  प्राथमिक शाला ग्राम खैरगांव में पदस्थ सहायक शिक्षक प्रमोद डोंगरे ने कहा कि यह काफी गर्व की बात है कि छोटे से स्कूल से पढ़ाई शुरू करने वाली शानु चौैधरी का अधिकारी के रूप में चयन हुआ है. शानु शुरू से ही होनहार रही है और स्कूल में हर कक्षा में टॉप किया है. ग्रामीण शेखर ठाकरे ने चर्चा के दौरान कहा कि शानु को हमने बचपन से देखा है वह खेल-खेल में पढ़ लेती थी, मतलब उसे याद करने की जरूरत नहीं पड़ती थी और उसका चयन होना पूरे ग्राम के लिए गर्व की बात है. ग्राम में और भी होनहान बच्चे है बस उनके माता-पिता का सहयोग मिल जाए तो वह भी एक मुकाम हासिल कर सकतें है.


Web Title : VILLAGE DAUGHTER SHANU BECAME ASSISTANT COMMISSIONER OF COOPERATIVE DEPARTMENT, SELECTED FROM MPPSC, BECAME THE FIRST GOVERNMENT OFFICER OF THE VILLAGE FROM MOTHERS COURAGE