महिलाओं के लिए सेहत के टिप्स

हर घर में हर सदस्य की अपनी अहमियत होती है. ठीक ऐसे ही महिलाएं भी होती हैं. बच्चे के जन्म लेने से लेकर सालों साल परिवार का ख्याल रखने की जिम्मेदारियों के बीच भागती-दौड़ती महिलाएं सुपरहीरोज होती हैं. सबकी उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए वह सिर्फ अपना आराम ही नहीं, बल्कि अपनी सेहत भी कुर्बान कर देती हैं. भारतीय महिलाएं 50 की उम्र तक पहुंचते-पहुंचते घुटने और बोन मास का डिजनरेशन की समस्या से जूझने लगती हैं. भारतीय महिलाओं में आर्थराइटिस के जल्दी होने की वजह पोषक तत्वों की कमी और मोटापा है.

चलिए हम आपको बताते हैं कि कैसे आप रख सकते हैं अपनी सेहत का ख्याल

1. जल्द पहचानें चेतावनी संकेत : आपने कई बार जोड़ों के दर्द, अकड़न को उम्र बढ़ने का संकेत मानकर इसे नजरअंदाज किया होगा. ऐसे में विशेषज्ञ से विचारविमर्श करें. घुटनों में सुबह-सुबह दर्द, अकड़न, लॉकिंग एवं पॉपिंग से शुरुआत होने से लेकर जोड़ों में सूजन होने तक, यह आर्थराइटिस के संकेत हो सकते हैं जोकि एक प्रगतिशील ज्वाइंट स्थिति है. और अधिकतर भारतीय महिलाएं इन संकेतों को नजरअंदाज करती हैं.

2. सही समय पर पहचान : महिलाएं तभी डॉक्टर के पास जाती हैं जब यह स्थिति ऐसे स्टेज में पहुंच जाती है जब दर्द असहनीय हो जाता है. यदि इसका शुरुआती चरणों में इलाज हो जाए, तो पारंपरिक उपचारों की मदद से इस स्थिति को बढ़ने में विलंब किया जा सकता है.  

3. वजन पर नजर : ओवरवेट होना भारतीय महिलाओं में आर्थराइटिस होने के सबसे प्रमुख कारण है. हमारे जोड़ कुछ हद तक वजन उठाने के लिए डिजाइन हैं. प्रत्येक 1 किलो अतिरिक्त वजन घुटनों पर चार गुना दबाव डाल सकता है. क्षमता से अधिक वजन जोड़ों को नुकसान पहुंचा सकता है. इसलिए उचित वजन का मतलब है स्वस्थ जोड़.

4. 30 मिनट की वाक : हर दिन 30 मिनट की वॉक हड्डियों एवं जोड़ों के स्वास्थ्य के लिए लाभदायक हो सकती है.  

5. छोटी-मोटी चोटों को गंभीरता से लें : हम जोड़ों के आसपास लगी छोटी-मोटी चोटों को अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं. इससे हानिकारक स्थितियां पैदा हो सकती हैं. जैसे भविष्य में आर्थराइटिस हो सकता है.

6. शरीर के पॉश्चर पर रखें नजर : गलत पॉश्चर से जोड़ों, खासतौर से घुटने पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है. घुटने शरीर में सबसे अधिक भार सहन करने वाले जोड़ हैं. इससे घुटने में दर्द हो सकता है. सही पॉश्चर रखना, काम के दौरान बीच-बीच में ब्रेक लेना, नियमित रूप से स्ट्रेचिंग करना और अपने पॉश्चर को बीच-बीच में ठीक करने से घुटने के दर्द को कम करने में मदद मिलती है.  

7. पेनकिलर्स को कहें ना : हमारे देश में खुद से दवाएं लेना एक आम समस्या है. आमतौर पर, हम अक्सर शरीर में दर्द होने पर डॉक्टर से सलाह लिए बिना पेनकिलर्स का सहारा लेते हैं. पेनकिलर्स भले ही हमें दर्द से फौरन राहत दिलाते हैं पर, वह स्थिति का उपचार नहीं करते. इसलिए यदि आप खुद से पेनकिलर्स लेते हैं, तो फौरन ऑथोर्पेडिस्ट के पास जाकर उनका परीक्षण कराएं.

 

 

Web Title : HEALTH TIPS FOR WOMEN

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