12 वर्ष पुराने बैंक डकैती कांड में आरोपी रिहा

धनबाद : 27 जुलाई 2004 को दिन के उजाले में पिस्टल की नोंक पर विजया बैंक की धनबाद शाखा के स्ट्रांग रूम से 18 लाख रूपये लूट लेने के 12 वर्ष पुराने मामले में मंगलवार को अदालत ने अपना फैसला सुना दिया. जिला एवं सत्र न्यायाधीश पियूष कुमार की अदालत ने कांड के नामजद आरोपी वासेपुर निवासी मो. मुमताज उर्फ मुन्ना को साक्ष्य के आभाव में बाईज्जत बरी कर दिया.

27 जुलाई 2004 को दिन के 11 बज रहे थे. विजया बैंक में बैंकिग कार्य शुरू था. बैंक कर्मी के साथ ग्राहक भी बैंक में मौजूद थे. सहायक ब्रांच मैनेजर किशोर कुमार वर्मा अपने सहयोगी कमलेन्दु मंडल के साथ स्ट्रांग रूम में पैसा लाने के लिए गए. बैंक में मौजूद ग्राहक के भेष में अपराधकर्मियों ने किशोर वर्मा पर पिस्टल तान दी.

बैंक में मौजूद सभी लोगों को अपराधियों ने पिस्टल का भय दिखाकर अपने कब्जे में ले लिया. सीनियर ऑडिटर जगरनाथ भट्ट स्ट्रांग रूम की तरफ बढ़े. उनपर भी पिस्टल तान दिया गया. पलक झपकते ही स्ट्रांग रूम से नगद 18 लाख रूपये पॉलिथिन में भर सभी डकैत फरार हो गए.

सहायक मैनेजर किशोर की शिकायत पर 27.4.04 को बैंक मोड थाना में कांड संख्या 473/04 दर्ज किया गया. पुलिस ने 16 जून 13 को सुरेश साव, मो. मुमताज, विनोद यादव, पप्पू, मो. असगर, मो. आलू के विरुद्ध आरोप पत्र दायर किया था. वहीं पुलिस ने महेश यादव, रामेश्वर साव को मृत दिखाते हुए चार्जशीट दी थी. एक बार फिर कोर्ट के सामने अभियोजन लाचार दिखा.

किसी गवाह ने कोर्ट में मुमताज की पहचान नहीं की. वहीं पुलिस ने भी दिखावे के लिए अनुसंधान में दावा किया था कि उसने खोजी कुत्तों की मदद से मुमताज का पता लगाया था और घटना में प्रयुक्त मोटरसाईकिल बरामद किया था. परंतु पुलिस ने किसी भी अपराधकर्मी की पहचान परेड नहीं कराई.

जिसका फायदा अभियुक्तों को मिला. इतना ही नही. अभियोजन इस मामले में कड़ी से कड़ी जोड़ने में भी नाकामयाब रहा. अपर लोक अभियोजक ओम प्रकाश तिवारी ने मुकदमे को साबित करने का भरपूर प्रयास किया परंतु न्यायालय में अभियोजन का साक्ष्य कमजोर पड़ा और अभियुक्त रिहा हो गया.

Web Title : ACCUSED RELEASED IN 12 YEAR OLD BANK ROBBERY CASE