लोक कलाकारों ने मिथिलांचल की संस्कृति को किया जीवंत

धनबाद : कुंजभवन निकसल रे, रोकल गिरिधारी.... सुनु सुनु रसिया, आब बजाऊ बिपिन बसिया... और ऐसे ही एक से बढ़कर एक विद्यापति के गीत सोमवार की रात जिला परिषद मैदान में गूंज रहे थे. यह आवाज थी मैथिली की सुप्रसिद्ध गायिका रंजना झा की और मौका था सामा चकेवा पर्व का. विद्यापति समिति ने इस कार्यक्रम का आयोजन कर मिथिलांचल की संस्कृति को जीवंत कर दिया. कार्यक्रम की शुरुआत में महाकवि विद्यापति की तस्वीर पर मालार्पण किया गया.

फिर आशा मिश्रा ने दुर्गा स्तुति जय-जय भैरवी, असुर भयावनी, पशुपति भामिनी माया की प्रस्तुति की. भाई-बहन के प्रेम के इस त्योहार पर हुए आयोजन में शामिल होने के लिए मैथिल समाज के सैकड़ों महिला, पुरुष, बच्चे पहुंचे. उद्‌घाटन समारोह में सांसद रवींद्र पांडेय, विधायक राज सिन्हा, फूलचंद मंडल, सीआईएसएफ के डीआईजी यूके सरकार, रेलवे के सीनियर डीसीएम आशीष झा, सीनियर आरपीएफ कमांडेंट एके झा, केएन झा आदि भी मौजूद थे.

समारोह के दौरान शहीद सैनिकों की याद में दीप प्रज्वलित किए गए. कलाश्री पुरस्कार से सम्मानित रंजन झा के अलावा समारोह में बिहार गौरव कला से सम्मानित सुरेंद्र नारायण झा, कुमकुम मिश्रा, रामसेवक ठाकुर, अवनिंद्र ठाकुर, वंदना झा, ज्योति मिश्रा, आशा मिश्रा आदि ने भी अपने लोक गीतों की प्रस्तुति से सभी श्रोताओं को मुग्ध कर दिया.

इससे पहले अतिथियों का स्वागत प्रो जीसी झा ने किया. समिति के अध्यक्ष शिवकांत मिश्र ने भाई-बहन के प्रेम का त्योहार सामा-चकेवा के बारे में बताया. आयोजन में शीतल कुमार मिश्र, डॉ बीके ठाकुर, आरके ठाकुर, मिल्टन पार्थसारथी, अमरनाथ झा, आशुतोष झा, धीरेंद्र झा, रामानंद यादव, उत्पल चौधरी, अशोक ठाकुर, कमलेश मिश्रा, हरिश्चंद्र चौधरी, संजय झा, एसके झा आदि ने सक्रिय योगदान दिया.

 

Web Title : MITHILAANCHAL CULTURE PROGRAM HELD AT ZILA PARISHAD GROUND