आंख होने के बाद भी नही देख पाती नंदनी

धनबाद(कन्हैया कुमार) : दोनों आंख होने के बाद भी दो साल की नंदनी देख नही पाती हैं . सुनने में यह बात अजीब जरूर लगती हैं पर सच्चाई यही हैं . कुदरत ने एक दो साल की बच्ची के साथ ऐसा भद्दा मजाक किया है जिसकी हम कल्पना भी नही कर सकतें  . पेश हैं सिटी लाइव की खास रिपोर्ट  -

 धनबाद बैलगडि़या निवासी सुनील महतो के गरीब परीवार में जन्मी नंदनी को इस दुनिया में आयें दो साल बीत चुके हैं पर इन दो सालों में उसनें इस जीवन को केवल महसुस ही किया हैं जीवन की खुबसुरती नही देख पाई हैं .

नंदनी के दोनों हाथ , पांव के अलावें मुंह सहित शरीर का तमाम भाग सामान्य हैं पर उसकी आंख ओरो से अलग हैं भगवान ने शायद इसके आंखों की पुतली बनानी  भुल गया . इसकी दोनों आंखें बंद है जो कि दो वर्षो में भी विकसित नही हुई .

नंदनी के माता पिता नंदनी के ईलाज के लिए धनबाद के पीएमसीएच के अलावें जिलें के अन्य कई अस्पतालों मे भी गयें जहां से उन्हे केवल निराशा ही हाथ लगी . सभी ने कहा नंदनी का ईलाज धनबाद में मुमकिन नही हैं इसका ईलाज दिल्ली जैसे बड़े शहरों में ही मुमकिन है . नंदनी के पिता को यह भी बताया गया कि नंदनी के समुचित ईलाज में काफी खर्च आयेंगा .

पेशे से दिहाड़ी मजदुर नंदनी के पिता सुनील महतों प्रति दिन के हिसाब से 170 रू0 कमातें हैं . सुनील ने बताया कमाई इतनी नही है कि नंदनी का ईलाज किसी बड़े अस्पताल में करा सकें .

धनबाद के रेड क्रास भवन में लगायें गयें निःशूल्क चिकित्सय परामर्श शिविर की सुचना मिलने के बाद एक आश लियें सुनील महतों पुरें परीवार के साथ पहुच  गया . यहां इन्होनें नंदनी की बिमारी चिकित्सक को दिखाई पर यहां भी सुनील को वही रटा रटाया  जवाब मिला . शिविर में उपस्थित हुए रांची देव कमल अस्पताल के प्लास्टिक सर्जन डा0 अनंत कुमार सिन्हा ने नंदनी की बिमारी देखने के बाद बताया कि यह बिमारी आंख से हैं और किसी अच्छे नेत्र रोग विशेषज्ञ को दिखाने की जरूरत है उन्होने बस इतना ही कहा कि नंदनी की आंखों की रोशनी बची होगी तभी उसका ईलाज भी हो पायेंगा अन्यथा नंदनी को बगैर आंख के ही जीवन काटनें होंगे .

बहरहाल , आर्थिक रूप से कमजोर पेशे से दिहाड़ी मजदुरी करने वालें सुनील महतों की आश कमजोर पड़ी जा रही है ऐसे जरूरत हैं समाज को आगे आकर मदद करनें की .

Web Title : NOT EVEN AFTER THE EYE SEES NANDINI