नवजात का शव नहीं देने पर परिजनों ने लगाया जालान अस्पताल पर गंभीर आरोप

धनबाद : एशियन द्वारकादास जालान सुपर स्पेश्यालिटी अस्पताल में आज टुंडी थानाक्षेत्र के नतवारी ग्राम के सिधु कुंभकार और संजय कुमार ने गंभीर आरोप लगाया है. यदि उनके आरोप सही है, तो अस्पताल अपने उद्देश्य और सिद्धहांत से भटक गया है, ऐसा प्रतित होता है. सिधु कुंभकार के अनुसार 10 अक्टूबर को उसकी पुतेहु साधना देवी ने सर्वमंगला नर्सिंग होम में एक बच्ची को जन्म दिया.

जन्म के बाद नवजात को सांस लेने में कठिनाई हो रही थी. सर्वमंगला नर्सिंग होम से नवजात को उसी रात एशियन द्वारकादास जालान सुपर स्पेश्यालिटी अस्पताल में ईलाज के लिए भर्ती कराया गया.ईलाज के क्रम में बीती रात नवजात ने दम तोड़ दिया. सिधु कुंभकार और नवजात के पिता संजय कुंभकार, जो पेशे से मिस्त्री है, ने अस्पताल प्रबंधन पर ईलाज में लापरवाही बरतने तथा अधिक बिल बनाने का आरोप लगाया.

उन्होंने कहा कि जब वे नवजात को लेकर जालान अस्पताल पहुंचे तब वहां बताया गया कि बच्ची की स्थिति बहुत गंभीर है. साथ ही कहा गया कि शीघ्र 8500 रुपया जमा करा दो बच्ची का ईलाज आरंभ हो जाएगा. ईलाज के क्रम में 12 अक्टूबर की रात नवजात ने दम तोड़ दिया. जब परिजन नवजात का शव मांगने लगे तब अस्पताल प्रबंधन ने कहा कि बिल की कुल रकम 13 हजार है.

पहले बाकी का भुगतान करो, फिर शव मिलेगा. सिधु कुंभकार ने बताया कि उन्होंने बाकी के पैसे देने में असमर्थता जताई. लेकिन अस्पताल प्रबंधन बिना रकम लिए शव देने की बात पर अड़ गया. किसी तरह से सिधु कुंभकार ने अपनी दो साइकिल को बेचकर 1300 रुपए अस्पताल में जमा कराए. लेकिन अस्पताल प्रबंधन नवजात का शव नहीं दे रहा था.

इस बात को लेकर काफी देर तक नवजात के परिजन शव देने की गुहार अस्पताल प्रबंधन से लगाते रहे. कुछ देर में दो पुलिसकर्मी भी अस्पताल में पहुंच गए. खबर पाकर मीडियाकर्मी भी अस्पताल पहुंचे. करीब एक डेढ़ घंटे के बाद अस्पताल प्रबंधन ने नवजात का शव उसके परिजनों को दिया.

इस बीच अस्पताल में मौजूद कई लोगों ने प्रबंधन पर ईलाज में कोताही बतरने तथा ईलाज के नाम पर भारी भरकम बिल बनाने की शिकायत मीडिया से की. वहीं जीवन रेखा ट्रस्ट के सचिव राजीव शर्मा ने सिधु कुंभकार के आरोप को खारिज करते हुए कहा कि एशियन द्वारकादास जालान सुपर स्पेश्यालिटी अस्पताल का मैनेजमेंट एशियन हॉस्पिटल देख रहा है.

उन्होंने कहा कि हमें जब इस मामले की जानकारी हुई तो हमनें उचित डिस्काउंट, जो ट्रस्ट के दायरे में है, वह कर दिया था. जहाँ तक नवजात के डेथ सर्टिफिकेट की बात थी, वह रात में ही साइन हो गई थी. बच्चे के परिजन ने रात में शव ले जाने से मना कर दिया था. आज सुबह ले जाने की बात हुई थी.

राजीव शर्मा ने कहा कि अस्पताल का बिल करीब 13 हजार का था. जिसमें से करीब 3660 रुपए का डिस्काउंट कर दिया गया था. मात्र 1300 रुपया ही बकाया था, जिसको लेकर परिजन ने हंगामा किया था. उन्होंने कहा जहाँ तक ट्रस्ट की बात है, वह गरीब तबके के लोगों का ईलाज यथासंभव मदद करने को सदैव तत्पर रहेगा.

मैनेजमेंट में हमारा मात्र सहयोग है, कंट्रोल एशियान हॉस्पिटल के हाथों में है. उल्लेखनीय है कि द्वारकादास जालान मेमोरियल अस्पताल का उद्घाटन 2 मार्च 2003 को हुआ था. इसका उद्घाटन स्व. द्वारकादास जालान की पुत्री सुशीला देवी मुरारका ने किया था.

अस्पताल बनाने के लिए स्व. राधाकृष्ण जालान ने 2.52 एकड़ का भूखंड दान में दिया था. इसके बाद जिवन रेखा ट्रस्ट बनाकर इसमें शहर के कई गणमान्य लोगों को ट्रस्टी बनाया गया. उद्घाटन के अवसर पर जालान परिवार ने अस्पताल निर्माण का उद्देश्य और सिद्धहांत बताते हुए कहा था कि यहां पर गरीब लोगों का बहुत ही रियायत दर पर ईलाज होगा. यह भी कहा था कि यदि कोई ईलाज का खर्च नहीं वहन कर सकेगा तो उसका निःशुल्क ईलाज भी किया जाएगा.

वहीं, 9 मई 2016 को झारखण्ड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने जालान अस्पताल को एशियन द्वारकादास जालान सुपर स्पेश्यालिटी अस्पताल बनाने के लिए आधारशीला भी रखी थी. अपने अभिभाषण में मुख्यमंत्री ने कहा था कि सरकार का संकल्प है कि झारखण्ड के अधिक से अधिक शहरों में ऐसे सुपर स्पेश्यलिटी अस्पताल खुले.

जिससे झारखण्ड के अंतिम व्यक्ति तक स्वास्थ्य सुविधा पहुंच सके. मुख्यमंत्री ने अस्पताल प्रबंधन से कहा था कि गरीबों पर फोकस करें एवं उन्हें रियायती दर पर समुचित स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराएं. मुख्यमंत्री ने आशा व्यक्त की थी कि गरीबों की सेवा प्रबंधन की सोच रहेगी. अब यह जिवन रेखा ट्रस्ट और एशियन द्वारकादास जालान सुपर स्पेश्यालिटी अस्पताल प्रबंधन पर निर्भर करता है कि वे उद्देश्य और सिद्धहांत पर कितना खरा उतरते हैं. 

Web Title : NOT GIVEN DEADBODY OF NEWBORN CHILD BY HOSPITAL MANAGEMENT FAMILY MEMBERS SERIOUS ACCUSATION ON JALAN HOSPITAL MANAGEMENT