लगातार बढ़ रहा वायु प्रदूषण समय से पहले सुला रहा है मौत की नींद: रिसर्च


सिडनी: जहरीले वायु प्रदूषकों के संपर्क में आने से हृदय और सांस की बीमारियों से होने वाली मौतों का जोखिम बढ़ जाता है. शोधकर्ताओं ने यह बात कही. न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित हुए अध्ययन को पूरा होने में 30 साल लगे. इसमें 24 देशों और क्षेत्रों के 652 शहरों में वायु प्रदूषण और मृत्युदर के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया है.

शोधकर्ताओं ने पाया कि कुल मौतों में वृद्धि इनहेल करने योग्य कणों (पीएम10) और फाइन कणों (पीएम2. 5) के संपर्क से जुड़ी हुई होती है, जो आग से उत्सर्जित या वायुमंडलीय रासायनिक परिवर्तन के माध्यम से बनती हैं.

ऑस्ट्रेलिया में मोनाश विश्वविद्यालय में प्रोफेसर युमिंग गुओ ने कहा कि पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) और मृत्युदर के बीच संबंध के लिए कोई सीमा नहीं है, जिससे वायु प्रदूषण के निम्न स्तर से मौत का खतरा बढ़ सकता है.

गुओ ने कहा कि जितने छोटे कण होते हैं, उतनी ही आसानी से वे फेफड़ों में गहराई तक प्रवेश कर सकते हैं और अधिक टॉक्सिक कॉम्पोनेंट ग्रहण करने के चलते मौत की संभावना बढ़ जाती है.

Web Title : CONSTANTLY GROWING AIR POLLUTION PREMATURE SLEEP OF DEATH: RESEARCH

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