खरमास या मलमास वह समयावधि होती है, जब आध्यात्मिक कार्यों में लीन होने के लिए किसी भी तरह के शुभ कार्य संपन्न नहीं होते. खरमास के दौरान विवाह, यज्ञोपवित जैसे कार्य संपन्न नहीं होते और ना ही घर-परिवार से जुड़े किसी तरह के मांगलिक कार्य होते हैं. माना जाता है कि मन की चंचलता पर काबू पाने के लिए यह समय उत्तम होता है. खरमास को नारायण का मास भी माना जाता है. इस दौरान सूर्य देवता गुरु की राशि में विराजमान रहते हैं. खरमास की शुरुआत 16 दिसंबर से हुई थी और अब यह अवधि खत्म हो रही है. इसे देखते हुए शादी, बच्चे का मुंडन जैसे घर के अलग-अलग तरह के मांगलिक कार्य सुगमता से किए जा सकते हैं.
शुभ कार्यों की होगी शुरुआत
पंडित भानुप्रताप नारायण मिश्र ने बताया है,
´अभी तक सूर्य नारायण गुरु के घर में गए हुए थे, लेकिन खरमास के समाप्त होने पर सभी शुभ कार्य किए जा सकते हैं. तिथि के अनुसार मकर संक्रांति 15 फरवरी की है, क्योंकि रात के 2 बजे सूर्य नारायण मकर राशि में प्रवेश कर जाएंगे. सूर्य के उत्तरायण होने से देवताओं के दिन शुरू हो जाएंगे. अभी तक खरमास चल रहा था और सूर्य भगवान का रथ गधे चला रहे थे, लेकिन अब उनके मकर राशि में प्रवेश करने से सूर्य देव को उनके घोड़े वापस मिल जाएंगे. इस समय से धरती पर सूर्य का प्रकाश बढ़ने लगता है. दिन लंबे होने लगते हैं और रातें छोटी होने लगती हैं. सूर्य देव के प्रकाश से दिनोंदिन मौसम बेहतर होता जाता है. ´
सूर्य का उत्तरायण होना अत्यंत शुभ
सूर्य का उत्तरायण में होना अत्यंत शुभदायी है. भीष्म पितामह जब अर्जुन के बाणों से घायल होकर मृत्यु शैया पर थे तो वे सूर्य देव के उत्तरायण की ही प्रतीक्षा कर रहे थे. यह समय मोक्ष प्राप्ति के लिए उत्तम माना जाता है. माना जाता है कि इस समय में जो शरीर देह त्यागते हैं, उन्हें स्वर्ग की प्राप्ति होती है. भीष्म पितामह ने इसीलिए उत्तरायण में देह त्यागी थी.
इन कार्यों के लिए है उत्तम समय
अगर घर में किन्हीं वजहों से मांगलिक कार्य संपन्न नहीं हो पाए थे और खरमास के खत्म होने का इंतजार किया जा रहा था तो अब आप गृह प्रवेश, शादी, नामकरण संस्कार, मुंडन संस्कार, यज्ञोपवीत जैसे कार्यों के लिए तिथि निकलवा सकती हैं.