आंगनबाड़ी दीदियों को बोनस देने की तैयारी में सोरेन सरकार, केंद्रों को देंगे सभी मूलभूत सुविधाएं
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि राज्य के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों को सुसज्जित किया जाएगा. बिजली-पानी और शौचालय समेत सभी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी. आंगनबाड़ी सेविका और सहायिकाओं को भरोसा दिलाया कि उनके सुरक्षित भविष्य के लिए मानदेय और सुविधाओं को लेकर सरकार आगे भी ठोस निर्णय लेती रहेगी. इतना ही नहीं संसाधन जुटाए जा रहे हैं ताकि दीदियों को बोनस दिया जा सके.
इस अवसर पर सेविका-सहायिकाओं ने राज्य सरकार द्वारा चयन एवं मानदेय (अन्य शर्तों सहित) नियमावली- 2022 को मंजूरी देने के लिए मुख्यमंत्री का आभार जताते हुए अभिनंदन किया. मौके पर सीएम ने कहा कि पूर्व की कई सरकारों के समय हर दिन सड़कों पर धरना-प्रदर्शन होते दिखते थे. लेकिन, जब से उनकी सरकार बनी है, सड़कों पर आंदोलन या धरना-प्रदर्शन करने की जरूरत नहीं पड़ रही है. क्योंकि, उनकी सरकार पूरी संवेदना और प्रतिबद्धता के साथ सभी की मांगें पूरी कर रही है.
कार्यक्रम में मंत्री जोबा मांझी और मिथिलेश कुमार ठाकुर और विधायक सुखराम उरांव, सुदिव्य कुमार सोनू, भूषण बाड़ा और समीर मोहंती भी मौजूद रहे. वहीं सीएम ने विधानसभा सभागार में पुरानी पेंशन योजना बहाल किये जाने पर सचिवालय सेवा संघ और विधानसभा सचिवालय के संयुक्त तत्वापधान में आयोजित आभार कार्यक्रम को भी संबोधित किया. उन्होंने कहा कि झारखंड के बाद अब गुजरात के चुनाव में भी पुरानी पेंशन मुद्दा बन गया है. सचिवालय सेवा संघ के कार्यक्रम में संघ के अध्यक्ष विवेक बास्के, महासचिव पिकेश कुमार सिंह मुख्य रूप से मौजूद रहे.
मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड गरीब-पिछड़ा राज्य नहीं है. लेकिन, इसे पिछले बीस वर्षों से शासन करने वाले ने इसे षड्यंत्र के तहत पिछड़ा बना दिया. नहीं तो डबल इंजन की सरकार का दावा करने वालों की सरकार गुजरात में भी थी और झारखंड में भी. गुजरात चांद पर पहुंच गया और झारखंड गड्ढ़े में गिर गया. बगैर षड्यंत्र के यह कैसे मुमकिन है. उन्होंने आंगनबाड़ी दीदियों से सुखाड़ से भी निपटने में सहयोग मांगा. कहा, उनकी मदद से सरकार सुखाड़ से जंग जीतेगी.
झारखंड सचिवालय सेवा संघ व झारखंड विधानसभा सचिवालय के कार्यक्रम में रबींद्रनाथ महतो ने कहा कि मुख्यमंत्री ने पुरानी पेंशन योजना लागू करके साहसिक निर्णय लिया है. वे राज्य के हर वर्ग के प्रति संवेदनशील हैं. यह गुण उन्हें विरासत में मिला है. नौकरीपेशा व्यक्ति पूरे जीवन अपनी जिम्मेदारियों में बीता देता है. ऐसे में पेंशन उनके बुढ़ापे का सहारा और सम्मान है. पेंशन नहीं पाने वाले बुजुर्गों को वृद्धा आश्रम में देखा जाना आश्चर्य की बात नहीं है.