झारखंड : कहते हैं कि हौसलों में जान हो तो ऊंची उड़ान पक्की है. ये साबित किया है झारखंड के साहिबगंज की रहने वाली प्रीति ने. प्रीति दिव्यांग हैं लेकिन समाज द्वारा समझी जाने वाली इस कमजोरी को नजरअंदाज करते हुए प्रीति ने अपनी कला को अपनी ताकत बनाया और अपना नाम वर्ल्ड ग्रेटेस्ट रिकॉर्ड में दर्ज करा लिया. प्रीति ने राम नाम उकेर कर भगवान श्रीराम और सीताजी की खूबसूरत पेंटिंग बनाई है. प्रीति ने इसे तैयार करने में पेंटिंग ब्रश या कलर का इस्तेमाल नहीं किया बल्कि अलग-अलग रंग के पेन का इस्तेमाल कर 50,181 बार राम का नाम लिखकर ये पेंटिंग तैयार की है. प्रीति को सर्टिफिकेट और मेडल देकर सम्मानित किया गया है. प्रीति बीएचयू में फाइन आर्ट फैकल्टी में अंतिम वर्ष की छात्रा हैं.
ट्यूमर की बीमारी के बावजूद नहीं खोया हौसला
प्रीति ने कहा कि मुझे ट्यूमर की बीमारी है. जीवन अनिश्चित है. लोग यहां आते-जाते रहते हैं लेकिन मैं कुछ ऐसा करना चाहती थी कि लोग लंबे समय तक मेरा नाम याद रखें. प्रीति ने कहा कि मेरी भगवान में गहरी आस्था है. दिव्यांगता या बीमारी की वजह से जब कभी भी मनोबल टूटा तो भगवान से प्रेरणा मिली. 50,181 हजार शब्दों का इस्तेमाल कर बनाई गई सियाराम की पेंटिंग को बनाने में प्रीति को महज 11 घंटे लगे हैं. उन्होंने कहा कि पढ़ाई और स्कूल से जब भी वक्त मिलता मैं पेंटिंग बनाने में जुट जाती. प्रीति की इस उपलब्धि पर उनकी फैकल्टी, सहपाठी और प्रोफेसर काफी खुश हैं. बधाईयों का तांता लगा है. गौरतलब है कि स्कूल के दिनों से ही अपनी प्रतिभा की बदौलत पुरस्कार जीतती आ रहीं प्रीति को केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी भी एक दफा सम्मानित कर चुकी हैं.
दिव्यांगता की वजह से लोगों ने हीन भावना दिखाई
प्रीति बचपन से दिव्यांग हैं. जन्म से ही उनके बाएं हाथ में सूजन थी. ये बढ़कर अब ट्यूमर का रूप ले चुका है. दर्द भी होता है लेकिन प्रीति के चेहरे से कभी मुस्कान ओझल नहीं होती. प्रीति कहती हैं कि बचपन में मेरी दिव्यांगता की वजह से मुझे लोगों की हीन भावना का सामना करना पड़ा. लोग फेक सहानुभूति जताते या घृणा करते. बहुत बार मेरी प्रतिभा को नजरअंदाज करते हुए मेरी दिव्यांगता की वजह से मुझे अहम मौकों से वंचित कर दिया गया लेकिन मैंने हार नहीं मानी.
प्रीति कहती हैं कि स्कूल में एग्जीबिशन में हिस्सा लिया. धीरे-धीरे पेंटिंग की तरफ रूचि बढ़ती गई. नवोदय विद्यालय साहिबगंज में कला शिक्षक उदयनाथ यादव ने मेरी प्रतिभा पहचानी और उसे तराशा. उन्होंने मेरा काफी मार्गदर्शन किया. इस बीच प्रीति अपनी सामाजिक विज्ञान की शिक्षिका सीमा आनंद का नाम लेना नहीं भूलतीं जिन्होंने हमेशा उनके काम की सराहना की. मनोबल बढ़ाया.
प्रीति कहती हैं कि 12वीं के बाद निफ्ट में चयन हुआ था. बीएचयू में भी सेलेक्शन हुआ था. किसी कारणवश निफ्ट छोड़कर बीएचयू में दाखिला लिया. बीएचयू में फाइन आर्ट फैकल्टी में अंतिम वर्ष की पढ़ाई कर रहीं प्रीति बताती हैं कि यहां पूनम मैडम उनकी प्रेरणास्त्रोत हैं. उनकी जिंदगी, मेरी जिंदगी से काफी मिलती जुलती है.
आर्ट कितनी ऊंचाई हासिल करना चाहती हैं प्रीति!
ऐसे समाज में जहां करियर के लिए केवल मेडिकल, इंजीनियरिंग, शिक्षण या सिविल सेवा को ही करियर का विकल्प समझा जाता है वहां आर्ट को चुनना कितना मुश्किल था. प्रीति बताती हैं कि आर्ट को करियर विकल्प के रूप में चुनना मेरे लिए मुश्किल था लेकिन नामुमकिन कभी नहीं रहा. माता-पिता को इस फील्ड की समझ नहीं थी. हालांकि, पिता ने मुझे कभी रोका नहीं. हमेशा समर्थन ही किया. प्रीति के वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने की खबर सुनकर पिता दिनेश प्रसाद मंडल और मां सुनीता देवी फूले नहीं समा रहे.
प्रीति की उपलब्धि ने उन रिश्तेदारों और पड़ोसियों को भी माकूल जवाब दे दिया है जो कहा करते थे कि आर्ट में क्या करियर है. इस लड़की का इसमें कोई भविष्य नहीं बन सकता. अब सब बधाई दे रहे हैं. प्रीति कहती हैं कि मैं जिंदगी में कुछ बड़ा करना चाहती हूं. कला की अलग-अलग विधाएं सीखना और काम करना चाहती हूं. कभी भी रंग और ब्रश हाथों से नहीं छूटेगा.