झारखंड: पूर्व मुख्यमंत्री सह बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवर दास ने कहा कि झारखंड सरकार निकाय चुनाव नहीं कराना चाहती है. निकाय चुनाव कराना होता तो अधिसूचना अब तक जारी हो जाती है. गौरतलब है कि निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी होने की तारीख 23 नवंबर थी लेकिन आरक्षण रोस्टर को लेकर मचे बवाल की वजह से फिलहाल इसे टाल दिया गया है. बुधवार को ट्राइबिल एडवाइजरी काउंसिल की बैठक में राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा जारी आरक्षण रोस्टर पर असहमति जताई गई. अब पहले के प्रावधानों को रखने की अनुशंसा केंद्र से की जाएगी.
रघुवर दास ने धनबाद परिसदन में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि टीएसी के बहाने सरकार लोगों को गुमराह कर रही है और निकाय चुनाव नहीं कराने का मूड बना चुकी है. सोची-समझी नीति के तहत सरकार चुनाव नहीं कराने के बहाने खोज रही है. धनबाद में भाजपा से मेयर पद के कई उम्मीदवार सामने आने के मुद्दे पर रघुवर दास ने कहा कि जब सरकार चुनाव ही नहीं करा रही, तो उम्मीदवार काहे का. जब चुनाव होगा, तब उम्मीदवार पर सोचा जाएगा. वहीं 1932 खतियान पर दास ने कहा कि हेमंत सरकार 1932 के बहाने मूलवासी-आदिवासी को ठगने का काम कर रही है. जब 1932 को नियोजन नीति से नहीं जोड़ा गया है, तो इससे मूलवासी या आदिवासी कैसे लाभान्वित होंगे. सरकार को जवाब देना चाहिए.
दरअसल, राज्य निर्वाचन आयोग ने निकाय चुनाव के लिए केंद्र सरकार द्वारा तय नियमावली के तहत संशोधित आरक्षण रोस्टर जारी किया था. हालांकि, टीएसी ने 13 अनुसूचित जिलों में मेयर और नगर परिषद अध्यक्ष जैसे एकल पद को गैर-जनजातीयों के लिए आरक्षित करने पर असहमति जताई है. आदिवासी संगठनों द्वारा भी इसका विरोध किया जा रहा है. ऐसे में टीएसी में सुझाव आया कि आरक्षण को लेकर पूर्व के प्रावधानों को ही लागू किया जाएगा. हालांकि, इसके लिए केंद्र की मंजूरी की आवश्यक्ता होगी.