बेटे के दीर्घायु और परिवार की खुशहाली के लिए माताओं ने व्रत रखकर किया हरछट माता का पूजन

बालाघाट. भादो के कृष्ण पक्ष की छठी तिथि पर हरछट पर्व मनाने की परंपरा है. 9 अगस्त रविवार को हरछट पर्व मनाया गया. हरछट का व्रत केवल पुत्रवती महिलाएं ही रखती हैं. व्रतधारी माताओं ने षष्ठी माता की पूजा करके परिवार की खुशहाली और संतान की लंबी उम्र एवं सुख-समृद्धि की कामना की. इस दिन श्री कृष्ण के बड़े भाई बलराम जी का जन्म हुआ था. जिससे इस दिन को  बलराम जयंती के रूप में भी मनाया गया.  

घरो-घरो में व्रतधारी माताओं द्वारा पुत्र की दीर्घायु की कामना और सुख समृद्धि के लिए विधिविधान से हरछट माता का पूजन किया. हरछट माता के पूजन में बिना हल जोते उगने वाले पसहर चावल फूल, नारियल, फुलोरी, महुआ, दोना, टोकनी, लाई और छह प्रकार की भाजी चढ़ाकर पूजा अर्चना की गई. बताया जाता है कि पूजा के दौरान महिलायें पसहर चावल को पकाकर भोग लगाती हैं, साथ ही इसी चावल का सेवन कर व्रत तोड़ा.  

Web Title : FOR THE LONGEVITY OF THE SON AND THE BETTERMENT OF THE FAMILY, THE MOTHERS HAVE LENT A VOW TO WORSHIP THE HARCHHAT MATA