बालाघाट. धान खरीदी केन्द्रो से धान का उठाव नहीं होने, विपणन संघ डीएमओ द्वारा जारी नियमविरूद्ध आदेश पत्र को वापस नहीं लेने और कर्मचारियों को कलेक्ट्रेट रेट पर भुगतान नहीं होने जैसी प्रमुख मांगो को लेकर मध्यप्रदेश सहकारी कर्मचारी महासंघ के नेतृत्व में जिले की 169 धान खरीदी केन्द्रो में ताला जड़कर कर्मचारियों ने धान खरीदी को अनिश्चितकाल तक के लिए बंद कर दिया है.
आज 6 जनवरी सोमवार को अपनी मांगो के निराकरण नहीं होने से आक्रोशित जिले की सभी 169 धान खरीदी केन्द्र प्रभारी, धान खरीदी बंद कर जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक के प्रांगण में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठ गये है. उनका आरोप है कि प्रशासन ने धान खरीदी को लेकर जो सहयोग का भरोसा दिलाया था, प्रशासन उसे भुल गया है और अब सारी समस्याओं का सामना धान खरीदी केन्द्र प्रभारियों को करना पड़ रहा है. जिससे किसानों की धान खरीदी कर रहा कर्मचारी परेशान और हताश है और ऐसी स्थिति में वह दोहरे दबाव में काम करने में मानसिक रूप से तैयार नहीं है. जिसके चलते आज से धान खरीदी को अनिश्चितकाल तक के लिए बंद कर दिया गया है और जब तक प्रशासन उनकी मांगो और धान खरीदी की व्यवस्थाओं में सुधार के लिए लिखित आश्वासन नहीं देता, उनका यह आंदोलन जारी रहेगा.
सहकारी कर्मचारियों की हड़ताल के कारण आज धान खरीदी केन्द्रो में एसएमएस के आधार पर केन्द्रो में धान बेचने पहुंचने किसानों को परेशान होना पड़ा है. हालांकि सहकारी कर्मचारियों का कहना है कि वह अपनी मांगो के साथ ही किसानों को हो रही समस्याओं को लेकर आंदोलन कर रहे है. चूंकि किसानों की धान खरीदकर केन्द्रो में पड़ी है, जब तक उसका उठाव नहीं होगा और उसका स्वीकृति पत्रक नहीं मिलेगा, तब तक किसानों को भुगतान नहीं हो सकेगा. जिसके लिए किसान साथी भी उनका सहयोग करें.
सहकारी कर्मचारियों की हड़ताल की अगुवाही कर रहे संघ जिलाध्यक्ष पी. सी. चौहान ने कहा कि बड़ी मजबूरी में सहकारी कर्मचारियों ने यह कदम उठाया है. उन्होंने कहा कि धान खरीदी से पूर्व कलेक्टर दीपक आर्य की मौजूदगी में परिवहनकर्ताओं, धान खरीदी केन्द्र प्रभारियों और विपणन अधिकारी के साथ हुई समन्वयक बैठक में आश्वस्त किया था कि यदि केन्द्र से धान का उठाव तीन दिनों के भीतर नहीं होता है तो उन्हें धान खरीदी का स्वीकृति पत्रक वहीं दे दिया जायेगा, किन्तु उसका अब तक पालन नहीं हो रहा है. बल्कि कर्मचारी चितिंत है कि बारिश के कारण केन्द्रो में दो लेयर तक रखी गई धान जो भीगकर खराब हो गई और नमी के कारण उसमें अंकुरण होने लगा है, उसका क्या होगा? उन्होंने कहा कि आज भी जिले में अधिकांश केन्द्रो में खरीदे गये धान में आधा से ज्यादा धान का उठाव नहीं हो सका है और उपलब्ध संसाधनों के माध्यम से कर्मचारी उसे बचाने का प्रयास कर रहा है, बावजूद इसके बारिश से काफी धान भीगकर खराब होने की स्थिति में पहुंच गया है. उन्होंने कहा कि जब तक जिले के सभी केन्द्रो से धान का उठाव नहीं किया जाता और विपणन अधिकारी द्वारा जारी नियमविरूद्ध आदेश को वापस नहीं लिया जाता है तब तक कोई भी केन्द्र में धान खरीदा नहीं जायेगा.
करोड़ो की धान खरीदी पर भुगतान एक रूपये का नहीं
सर्वाधिक धान उत्पादक जिले बालाघाट में किसानों से समर्थन मूल्य में 4 दिसंबर से करोड़ो रूपये की धान खरीदी गई, किन्तु अब तक किसानों को एक रूपये का भुगतान नहीं हो सका है. जिसका प्रमुख कारण खरीदी केन्द्रो से धान का उठाव नहीं होना है. चूंकि धान खरीदी केन्द्रो से परिवहन के बाद गोदाम में जब जमा होगा, तब ही स्वीकृति पत्रक जारी किया जायेगा. जिसके बाद ही किसान के खाते में बेचे गये धान की राशि आयेगी, लेकिन जिस तरह से धान खरीदी और उसके परिवहन को लेकर जिले में समस्या है, उससे लगता है कि धान खरीदी को लेकर शासन और प्रशासन गंभीर नहीं है.
धान खरीदी के लक्ष्य पूरा होने पर संशय
जिले में विगत 4 दिसंबर से धान खरीदी प्रारंभ की गई है, जो आगामी 20 जनवरी तक होना है, जिसके लिए महज 14 दिन ही बाकी है, जिसमें अवकाश के दिनों को छोड़ दिया जायें तो महज 10 से 12 दिन का समय शेष है, जबकि आज दिनांक तक आंकड़ो के अनुसार केवल 30 से 35 प्रतिशत ही धान खरीदी हो सकी है, जबकि अभी भी अधिकांश किसानों से धान खरीदा जाना बाकी है, ऐसी स्थिति में धान खरीदी के लक्ष्य पूरा होने पर संशय पैदा हो गया है. वहीं दूसरी ओर धान खरीदी कर रहे सहकारी कर्मचारियों के आंदोलन में चले जाने से स्थिति और खराब हो गई है. अब देखना है कि प्रशासन इस स्थिति को कैसे संभालता है.