वारासिवनी. नगर में स्थित कृषि उपज मण्डी में मंडी कर्मचारी एवं हम्मालों, तुलावटियों की बैठक में मंडी निरीक्षक देवकरण सहारे, सहायक निरीक्षक नगेन्द्र रंगारे, निर्वतमान नपाध्यक्ष विवेक पटेल, जनपद सदस्य छोटू ठाकरे सहित अन्य मंडी अधिकारी, कर्मचारी एवं हमाल, तुलावटी मौजूद थे.
बैठक में केन्द्र सरकार द्वारा जो अध्यादेश जारी किया गया है उसके संबंध में विस्तार से चर्चा कर यह बताया कि सरकार ने जो तीन अध्यादेश लागू किया है वह मंडी एवं किसान विरोधी है. जिससे मंडी के कर्मचारी-अधिकारी एवं मंडी में काम करने वाले रेंजा, हम्माल, तौलकों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा, क्योंकि मंडी में खरीदी ही नही होगी तो मंडी की आय समाप्त हो जायेगी. ऐसी स्थिति में मंडी कर्मचारियों-अधिकारियों को वेतन नही होगा साथ ही हजारों मजदूरों को रोजगार नही मिलेगा. जिसको लेकर 25 सितंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल कर सरकार के इस अध्यादेश का विरोध करने की बात कही. 25 सितंबर से पूरे प्रदेशभर के 259 मंडियां बंद रहेगी एवं कार्यरत कर्मचारियों के द्वारा अनिश्चितकालीन हड़ताल की जायेगी.
केन्द्र सरकार के द्वारा कृषि के क्षेत्र में तीन अध्यादेश जारी किये गये है. इन तीन अध्यादेश ने दशभर के कृषि क्षेत्र से संबंधित सभी वर्गों के किसान, व्यापारी, हम्माल, तुलैया और मंडी कर्मचारी खासे परेशान है. जिसमें प्रथम अध्यादेश आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 को संशोधित कर 2020 कर दिया गया है. जिससे माल का स्टाक रखा जायेगा, ऐसी स्थिति में कृषि उत्पादों की जमाखोरी और कालाबाजारी बढऩे की आशंका, दूसरा अध्यादेश मूल्य आश्वासन एवं कृषि सेवाओं के करारों के लिए किसानों का सशक्तिकरण और संरक्षण अध्यादेश 2020 जिससे कृषकों को यह आशंका है कि वे अपनी ही जमीन पर मजदूर न बन जाये, तीसरा अध्यादेश किसान उत्पाद व्यापार और वाणिज्य अध्यादेश 2020 है इससे कृषि उपज मण्डी में किसान की उपज खरीदने व्यापारी मंडी आता है तो उसे टैक्स लगेगा, बाहर खरीदने पर नही ऐसी स्थिति में मंडी की आय कम होने के साथ ही किसानों को उसकी उपज का अच्छा दाम नही मिल पायेगा जिससे किसानों के साथ मंडी के कर्मचारियों को सबसे ज्यादा नुकसान होगा. जबकि भारत एक कृषि प्रधान देश है और देश व प्रदेश का सामाजिक-आर्थिक ढांचा प्रमुखता कृषि पर आधारित है इसलिए किसानों को उनकी उपज का उचित दाम मिलना चाहिये.
कृषि उपज मण्डी वारासिवनी के सहायक उपनिरीक्षक नगेन्द्र रंगारे ने बताया कि सरकार ने तीन जो अध्यादेश लागु किया है. जिससे मंडी कर्मचारी के साथ मंडी में कार्यरत हजारों रेंजा, हम्माल, तौलक रोजगार विहीन हो जायेगे इसलिए सरकार से मांग है कि अध्यादेश को वापस ले यह फिर मंडी कर्मचारियों को राज्य कर्मचारी घोषित करे. निवर्तमान नपाध्यक्ष विवेक पटेल ने बताया कि कृषि उपज मण्डी में किसानों को उनकी उपज का अच्छा दाम मिल जाता है किन्तु केन्द्र सरकार के द्वारा जो अध्यादेश जारी किया है किसानों को सबसे ज्यादा नुकसान होगा साथ ही यह भी बताया कि करोड़ों रूपयों की लागत से मंडी का निर्माण किया गया है उसे बंद करने में लगी है सरकार जिससे हजारों लोग बेरोजगार हो जायेगें और यह सरकार का किसान विरोधी अध्यादेश है. संयुक्त मोर्चा मंडी बोर्ड जिलाध्यक्ष मनोज पटले ने बताया कि लोकसभा, राज्यसभा में कृषि बिल अध्यादेश जारी की गई है जिसके विरोध में 25 सितंबर को पूरा भारत बंद है, किसानों, मंडी कर्मचारियों एवं हम्मालों को एकजुट करने के लिए बैठक आयोजित की गई थी, सरकार जो अध्यादेश लाई है जिससे किसानों को नुकसान होगा उन्हे उनकी उपज का अच्छा दाम नही मिल पायेगा.