हे प्रभु जल्दी तारो ना..दीक्षार्थी बहनो ने की प्रभु से मन की बात,आज निकलेगा वरघोड़ा, पावन दीक्षा महोत्सव 22 को

बालाघाट. जो जीवन मातृभूमि और समाज की सेवा में समर्पित हो जायें, वह जीवन धन्य होता है, बालाघाट की पावन धरा ने जैन समाज को जैन साधु और साध्वियों के रूप में 27 तपस्वियों को समर्पित किया है, जो जिले का गौरवमयी इतिहास है. जिस इतिहास में दो नये अध्याय और जुड़ने जा रहे है. कल 22 फरवरी को नगर के उत्कृष्ट विद्यालय मैदान में बालाघाट की पावन भूमि पर पावन जैन दीक्षा महोत्सव का आयोजन होने जा रहा है. जिसमंे जिले के प्रतिष्ठित कोचर की माता श्रीमती कंचन सुरेश कोचर और बोथरा परिवार की बेटी कु. क्षमा बोथरा दीक्षा ग्रहण करने वाली है. जिनका दीक्षा कार्यक्रम 17 फरवरी से प्रारंभ हो गये है. जिनके दीक्षा कार्यक्रम को लेकर 20 फरवरी को पार्श्वनाथ भवन में विभिन्न कार्यक्रमो का आयोजन किया गया. वहीं आज 21 फरवरी को वरघोड़ा दादाबाड़ी मंदिर से प्रातः 8. 30 बजे से निकाला जायेगा. जो शहर के मेनरोड से होकर काली पुतली चौक, आंबेडकर चौक होते हुए दीक्षा स्थल उत्कृष्ट विद्यालय पहुंचेगा. दीक्षा के लिए जिले में जैन साधु, साध्वियों का पावन आगमन हो चुका है.

आगामी 22 फरवरी को श्रीमती कंचन सुरेश कोचर और कु. क्षमा बोथरा का दीक्षा संस्कार बालाघाट में महोत्सव के रूप में मनाया जा रहा है. जिसके तहत आगामी 17 फरवरी से दीक्षा संस्कार कार्यक्रमों का आयोजन प्रारंभ हो गया है. यह दीक्षा संस्कार शासन प्रभावक, मधुरभाषी नमिउन तीर्थ प्रणेता खरतरगच्छाचार्य प. पू. श्री जिनपीयूष सागर सूरीश्वर जी म. सा. आदि ठाणा 6 के आशीर्वाद से होगा. दीक्षा कार्यक्रम में शामिल होने जिले एवं महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ से बड़ी संख्या में सामाजिक बंधु बालाघाट पहुंचे है.  

दीक्षार्थी बहनो ने की प्रभु से ‘मन की बात’

22 फरवरी को भागवती दीक्षा ग्रहण करने वाली मुमुक्षु बहन श्रीमती कंचन देवी धर्मपत्नी स्व. सुरेशजी कोचर एवं कु. क्षमा सुपुत्री भारती निर्मलजी बोथरा ने जैन मंदिर में विराजित मूलनायक प्रभु पार्श्वनाथ भगवान से मन की बात करते हुए कहा कि प्रभु हमने अनादि काल से संसार के साथ नाता जोड़ा, इस भव में प्रभु से नाता जोड़ना है ताकि प्रभु को अपना प्रियतम बनाकर संपूर्ण जीवन उन्हें सौंप देना है. हे प्यारे प्रभु आप मेरी आंख बनो, ह्रदय बनो, जीभ बनो, कान बनो. आप से मिलकर में अभेद बन जाऊंगी. फिर इन आँखों से मैं नहीं आप देखेंगे. जिभ मेरी होगी वचन आपके होंगे. शरीर भले ये हो इसका उपयोग आपके अनुसार होगा. प्रभु सिर्फ हमारी आंख भी बनेंगे तो पूरा नजरिया बदल जायेगा. प्रभु की नजर एक्स-रे जैसी हैं, कैमरे जैसी नहीं. एक्स-रे अंदर का देखता है. प्रभु आप मेरे मित्र भी हैं मित्र ही नहीं कल्याण मित्र, जिससे मैं खुलकर बात कर सकती हूं. अपने दिल की हर बात बताते समय मुझे डर भी नहीं रहता कि आप किसी को बता देंगे. यदि मुझे किसी से शिकायत है या मेरी किसी से नहीं जमती या कोई मेरा अपमान करता है. तो मैं दिल खोल कर उसकी निंदा आपके सामने कर सकती हूं. प्रभु आप सब कुछ कितना प्रेम से सुनते हैं. ऐसा लगता है आप मेरे पक्ष में हैं. दिल की सारी बाते आपसे कहकर, जब मैं शांति से 2 मिनट बैठती हूं, तो मुझे ऐसा लगता है कि आप मुझसे कह रहे हो वत्स पाप से घृणा करो पापी से नहीं. वत्स पूर्व में तेरे द्वारा किए गए पाप कर्मों का फल तुझे मिल रहा है. सामने वाला तो निमित्त मात्र ही है, क्या निमित्त को दोष देना उचित है. निमित्त तो हमेशा निर्दोष होता है. प्रभु आप कभी गुरु रूप में आकर मार्गदर्शन देते हो. तो कभी मेरे सामने शास्त्र पंक्तियां लाकर रख देते हो. कभी प्राकृतिक घटनाओं का निमित्त बनाते तो. कभी स्वप्न में ही दिशा दर्शन कर जाते हो. कितने मधुर संबंध है आपके और हमारे बीच, हे प्रभु जल्दी तारो न.. .


Web Title : O LORD EARLY TARO NA. DAIKARANTHA SISTERS SPEAK THEIR MINDS TO THE LORD, TODAY WILL EMERGE VARGHODA, HOLY INITIATION FESTIVAL ON 22