बारिश से उपार्जन केन्द्रो में रखा धान भीगा, परिवहन नहीं होने से केन्द्रो में पड़ा लाखों क्विंटल धान

बालाघाट. 4 दिसंबर से जिले में समर्थन मूल्य पर जिले के 167 खरीदी केन्द्रो में धान खरीदी प्रारंभ है. जिसमें शासकीय आंकड़े अनुसार 30 दिसम्बर तक 167 केन्द्रों पर 29 हजार 182 किसानों से 12 लाख 46 हजार 109 क्विंटल धान की खरीदी की गई है. जिसमें से महज अब तक लगभग आधी 06 लाख 13 हजार क्विंटल धान का ही परिवहन हो सका है. जबकि आज भी अधिकांश धान खुले में पड़ी है. गत 31 दिसंबर की शाम से हुई बारिश के बाद खुले में पड़ी धान में अधिकांश धान बारिश में भीग गई है. जिससे धान के खराब होने का खतरा पैदा हो गया है. 31 दिसंबर की शाम से जिले में हुई बारिश के बाद आज सुबह पानी खुलने के बाद प्रशासनिक अमला केन्द्रो का निरीक्षण करने पहुंचा और वस्तुस्थिति की जानकारी ली.  

गौरतलब हो कि बालाघाट जिले के वारासिवनी और खैरलांजी को छोड़कर कटंगी, तिरोड़ी, लालबर्रा, खमरिया, लांजी, साडरा और परसवाड़ा क्षेत्र सहित अन्य स्थानों में जहां धान खरीदी की जा रही है वहां लाखों क्विंटल धान खुले में पड़ी है, जो गत दिवस की बारिश से लाख जतन के बावजूद भीगकर गिली हो गई है. चूंकि मौसम जानकारों के अनुसार आगामी एक, दो दिन और मौसम के खराब होने की आशंका के बाद खुले में पड़ी धान को बचाने की चिंता में केन्द्र प्रभारी बेबस नजर आ रहे है.

गत दिवस की बारिश के बाद पूरे समय केन्द्र प्रभारी खुले में पड़ी धान को बारिश में भीगते हुए बचाने की जतन में नजर आये. यदि मौसम बिगड़ता है और बारिश होती है तो निश्चित ही किसानों से खरीदी गई करोड़ो रूपये की धान को बचा पाना मुश्किल होगा. ऐसे में इसका जिम्मेदार कौन होगा. बताया जाता है कि धान खरीदी के बाद से जिले में दो बार हुई बारिश से हजारों क्विंटल धान भीगने के कारण लापरवाही की भंेट चढ़ गया है. पूर्व दिनों में जो धान बारिश से भीगा था, जिसका परिवहन नहीं हो सका, उस धान के बोरे में फफूंद उग गई है. जो धान अब पूरी तरह से बर्बाद हो गया है.  

31 दिसंबर की शाम से 1 जनवरी की सुबह तक तेज बारिश के कारण खरीदी केन्द्रो में रखी धान के भीगने से खराब हुई धान के आंकड़े को भी नहीं बताकर छुपाने का काम जिम्मेदारों द्वारा किया जा रहा है. चूंकि इस वर्ष धान खरीदी केन्द्र के लिए बड़े से खुले मैदान में धान खरीदी करने के निर्देश के बाद कई जगह पर खेतों में धान खरीदी केन्द्र बनाये गये है. जहां खरीदी गई धान को रखा गया है, जो खुले आसमान के नीचे है. ऐसे में तेज बारिश से जहां धान भीगा है वहीं जमीन के गिली होने से नीचे रखी धान के खराब होने की संभावनायें बढ़ गई है. हालांकि प्रशासन अब भी  गंभीर दिखाई नहीं दे रहा है, जिससे करोड़ो की धान की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ गई है. अब देखना है कि प्रशासन शेष दिनों में खरीदी जाने वाली धान को किस तरह से बचाने में कारगर भूमिका निभाता है.

दूसरी ओर मध्यप्रदेश सहकारी कर्मचारी महासंघ, खरीदी केन्द्रो से धान परिवहन नहीं होने को इसका जिम्मेदार बता रहा है. धान खरीदी के बाद से मध्यप्रदेश सहकारी कर्मचारी महासंघ, प्रशासन से मिलकर खरीदी केन्द्रो में भंडारित धान के परिवहन को लेकर पत्राचार करता रहा है, गत दिवस भी मध्यप्रदेश सहकारी कर्मचारी महासंघ ने धान के उठाव नहीं होने तक केन्द्र प्रभारियों, प्रबंधक और समिति की जिम्मेदारी को लेकर मध्यप्रदेश राज्य विपणन संघ द्वारा जारी पत्र पर  नाराजगी जाहिर करते हुए प्रशासन को यह आदेश वापस लेने की मांग की थी. जिसमें मध्यप्रदेश राज्य विपणन संघ मर्यादित द्वारा जारी पत्र में कहा गया था कि 4 दिसंबर से धान कई केन्द्रो से परिवहन नहीं हो सका है, जिसकी संपूर्ण जवाबदारी उपार्जन प्रभारी, प्रबंधक एवं समिति की होगी.

सहकारी कर्मचारी संघ ने दी 3 से आंदोलन की चेतावनी

विगत दिनों मध्यप्रदेश सहकारी कर्मचारी संघ के नेतृत्व में जिला प्रशासन को सौंपे गये ज्ञापन मंे धान परिवहन को लेकर आ रही दिक्कतों सहित अन्य मांगो को लेकर ज्ञापन सौंपा गया था. जिसमें मध्यप्रदेश सहकारी कर्मचारी महासंघ ने प्रशासन को अपनी मांगो के निराकरण के लिए 2 जनवरी तक का वक्त दिया था. जिसके बाद 3 जनवरी से महासंघ ने पूरे जिले में धान खरीदी बंद करने की चेतावनी दी थी. आज भी बारिश के बाद केन्द्रो में पड़ी धान के भीगने से महासंघ ने नाराजगी जाहिर की है.  

Web Title : PADDY KEPT IN RAIN ACCRUAL CENTRES WILL BE SOAKED, LAKHS OF QUINTALS OF PADDY LYING IN THE CENTRES DUE TO NO TRANSPORTATION