व्यंग्य: कालजयी रावण, (लेख-डॉ. चंद्रशेखर चतुरमोहता, ह्रदय रोग विशेषज्ञ)

बालाघाट. भाई रावण वाकई तुम कालजयी हो, हजारो साल से तुम्हारा वध किया जा रहा है, परंतु आज तक तुम्हे कोई मिटा नहीं पाया. भगवान राम ने तुम्हारा वध जरूर किया था और तुम्हे मुक्ति दिलाई, परंतु जन मानस से तुमको अलग नही कर पाए. हर साल तुम्हारे प्रतिबिंब स्वरूप पुतला हर साल बड़ा और बड़ा एवं भव्य होता जाता है, इस कोरोना काल में भी जहां गणेश जी एवं दुर्गा माता की प्रतिमाओं की ऊँचाई पर भी प्रतिबंध लगाए गए, यहां पर भी आपकी प्रशासन में पैठ के कारण आपके व्यक्तित्व को दर्शाने वाली किसी रोकटोक का उल्लेख नही है.

आपके दहन का ड्रामा देखने के लिए भारी भीड़ इकठा होती है और दर्शकों की भीड़ में राम की स्तुति से ज्यादा तुम्हारी भव्यता और विशालता की चर्चा होती है. फिर बहुत जोर शोर से तुम्हारा दहन किया जाता है. तुम्हारे दहन से निकले धुँए को उपस्थित भीड़ आत्मसात करके अपने अंदर के एक नए रावण को जिंदा रखने का कार्य करती है. भगवान राम और उनके समतुल्य देवताओ को तो लोगो ने कैलेंडर, फोटो और मंदिरो में जड़ दिया हैं. जहाँ ये लोग अपने स्वार्थ और अपनी आवश्यकताओं के अनुरूप नतमस्तक होते रहते हैं. ये राम की आराधना तो करते है लेकिन राम का अनुसरण नहीं करते, वही ये तुम्हारी आराधना तो नही करते परंतु अनुसरण तुम्हारा ही करते है.  

ये तथाकथित धर्म की सुरा में डूबे हुए लोग तुम्हारी खूबियों को नही जानते. अगर इन्होंने रामायण ठीक से पढ़ी या ढंग से सुनी होती तो ये जानते कि, आप एक परम विद्धवान पण्डित एवं परमवीर योद्धा थे, अति बलशाली शनि देव को अपनी बगल में दाब कर 6 माह तक वर्ल्ड टूर कराया था, मृत्यु पूर्व आपके चरणों के तरफ खड़े होकर भगवान राम एवं लक्ष्मण जी ने राजनीति शास्त्र की शिक्षा ली थी. अंतरिक्ष विज्ञान में आप पारंगत थे और विमान द्वारा माता सीता का अपहरण किया था. माता सीता को अशोक वाटिका में कैद करने के बावजूद आपने उन्हें छुआ तक नही था. हनुमान जी को दुश्मन राजा का दूत मान कर उन्हें दंडित तो किया, लेकिन उनके प्राण नही लिए.

अगर ये धर्मव्याधि से ग्रसित लोग अगर आपकी बायोग्राफी पढ़ लेते तो वो जानते कि आपकी 4 गलतियां आपके पराभव का कारण बनी.

पहला-माता सीता का अपहरण, दूसरा-भाई की उपेक्षा, तीसरा-अहँकार, चौथा और महत्वपूर्ण कारण अपनी पत्नी मंदोदरी की अनसुनी करना. भाई रावण मैं आपसे एक सवाल बचपन से ही पूछना चाह रहा हूं, कईयों से पूछा, परंतु कोई भी संतोष जनक उत्तर नही दे पाया. आप अपने दसो सिरो का उपयोग कैसे करते थे. यहां एक ही सिर में इतने सवाल उठते है कि बवाल हो जाता है, क्या आप इतने सिरो का इस्तेमाल एक साथ या अलग-अलग विधाओं में करते थे आप के सिरो के बीच प्रजातांत्रिक, साम्यवादी या सामंतवादी कौन सा विधान काम करता था, यदि आपके अनुयायी आपके सदगुणों का पालन करे तो देश सोने का बन सकता है, आपकी गलतियों का अनुसरण करें तो लंका लगना तय है..

आप के शिष्य पूरे भारत खंड में हर तरफ धार्मिक राजनीतिक और सामाजिक परिवेश में हर तरफ मौजूद है, जो रंग बिरंगी टोपियां, गमछे एवं वस्त्र धारण कर, निर्बाध रूप से विचरण करते हुए देखे जा सकते है, और ये ही आपके यश में कलंक रूपी दाग है. अगली बार जब आपका दहन हो तो कृपया इस श्रेणी विशेष के लोगो पर आप अपने अंदर समाहित बारूद का इस्तेमाल कर सकते है, और अपने पर लगे कलंक को मिटा भी सकते हैं, चाहे तो ये संदेश भी दे सकते है कि.. . . . मोगेम्बो खुश नही हुआ..


Web Title : SATIRE: KALJAYI RAVANA, (ARTICLE DR. CHANDRASHEKHAR CHATURMOY, HEART DISEASE SPECIALIST)