गुरूद्वारे में मनाया गया श्री गुरूनानकदेव जी का 551 वां प्रकाश उत्सव, कोविड-19 नियमों का पालन करते हुए की गई लंगर की सेवा, भक्तो ने चखा लंगर

बालाघाट. सतिगुरू नानक प्रगटिआ, मिटी धुंध जग चानण होआ.. . जैसे महान श्री गुरूनानकदेव जी का 551 वां प्रकाश उत्सव सोमवार 30 नवंबर को पूरी आस्था, विश्वास और श्रद्वा के साथ गुरूद्धारा में समूह साध संगत द्वारा मनाया गया. सिक्ख धर्म के प्रथम संस्थापक धन्य धन्य श्री गुरूनानक देवजी के 551 वें प्रकाश उत्सव पर गुरूद्वारा श्री गुरूसिंघ सभा द्वारा विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया. 30 नवंबर को श्री गुरूनानकदेवजी के 551 वें प्रकाश उत्सव पर प्रातः अखंड पाठ साहिब की संपूर्णतया उपरांत रागी हजुरी जत्था बालाघाट भाई जितेन्दरसिंघ समूह और साध-संगत जी द्वारा शबद कीर्तन के बाद लंगर की सेवा सरदार जसमीतसिंघ एवं मनमीतसिंघ पसरिचा द्वारा की गई. प्रकाश उत्सव पर श्री गुरूद्वारा में आयोजित कार्यक्रम और लंगर की सेवा में सभी सिक्ख धर्मावलंबियों और आम नागरिकों ने कोविड-19 नियमों का पालन करते हुए लंगर चखकर पुण्यलाभ अर्जित किया. श्री गुरूनानक देवजी की जयंती पर पूर्व मंत्री एवं विधायक गौरीश्ंाकर बिसेन ने भी हाजिरी लगाकर माथा टेका और जिले एवं प्रदेश की खुशहाली की कामना की.

बताया जाता है कि पंद्रहवी सदी में जब मुगल हुकुमत का बोलबाला था, हर ओर जोर-जुल्म की आंधी ने पूरे संसार को घेरे रखा था. जनता त्राहि-त्राहि कर रही थी और चारो तरफ अंधेरा था, उस समय आज से 551 वर्ष पूर्व सन् 1469 में श्री गुरूनानक देवजी महाराज का अवतरण तलवंडी शहर में हुआ था. जो ननकाना साहिब के नाम से पाकिस्तान में प्रसिद्ध है. जिन्होंने पूरे हिन्दुस्तान को जुल्मों से मुक्त कराया. लोगों में व्याप्त अंधविश्वास को दूर करने का काम किया. यही कारण है कि गुरू श्री नानकदेवजी को हर पंथ और हर धर्म के धर्मावलंबियों ने अपना गुरू मानते है. श्री गुरूनानक देवजी ने सर्वप्रथम उस समय 20 रूपये से लंगर की सेवा शुरू की थी, जिसका उद्देश्य एक पंगत में बैठकर जात-पात, उंच-नीच, अमीरी-गरीबी को भुलाकर, एक साथ लंगर की खाने की प्रथा शुरू की. जिसके बाद गुरूनानकदेव जी के इस प्रथा को गुरू अंगददेवजी ने बड़े विशाल स्तर पर शुरू किया. जिसे आज भी पूरा सिक्ख समाज गुरू का आदेश मानते हुए उस प्रथा को आज भी जीवंत बनाये हुए है. सिक्ख धर्म के संस्थापक और प्रथम गुरू श्री गुरूनानकदेवजी के 551 वें पर प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी गुरूद्वारा में श्री गुरूद्वारा गुरूसिंघ सभा द्वारा विभिन्न धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. इस दौरान सेवादार जसबीरसिंघ सौंधी, सुरजीतसिंघ छाबड़ा, सुरेन्द्रपालसिंघ सौंधी, पूरनसिंघ भाटिया, हरचरणसिंघ नरडे, गुरमीतसिंघ गंभीर, हीरासिंघ भाटिया, अवतारसिंघ भाटिया, गुरजीतसिंघ गिल, जतिन्दरसिंघ परमार, जिम्मी भाटिया, गुरमीतसिंघ सिद्धु, श्रीमती सुखविंदर कौर, श्रीमती अमरजीत कौर अतालिया, श्रीमती राजरानी गांधी, श्रीमती जसप्रीत कौर सहित युथ फेडरेशन के सेवादार मौजूद थे.


Web Title : SHRI GURUNANAKDEVS 551ST PRAKASH UTSAV CELEBRATED AT GURUDWARA, SERVING AS LANGAR FOLLOWING THE KOVID 19 RULES, TASTED BY DEVOTEES