धान के ट्रको को छोड़े जाने पर प्रशासन और पुलिस के बयान में अंतर, धान खराब न हो जाये इसलिए मिलर्स को सौंप दी धान!

बालाघाट. विगत दिनों लांजी एसडीओपी द्वारा महाराष्ट्र सीमा मंे मध्यप्रदेश वेयर हाउस के धान से भरे ट्रक को बरामद करने और उसके दो दिनों तक कोई वैधानिक दस्तावेज नहीं मिलने से मानो लग रहा था कि पुलिस अब इस सिरे से बालाघाट में मिलिंग के धान के तस्करी के रूप में महाराष्ट्र मंे बेचने के बड़े मामले का उजागर होगा, और यह क्या जिस मिलर्स के यहां जाने के बजाये ट्रक से धान महाराष्ट्र जा रही थी, उसी मिलर्स को वह धान लौटा दी गई. जिसके लिए धान के खराब होने के हवाले की बात सामने आ रही है.  

पुलिस, कार्यालय मध्यप्रदेश राज्य सहकारी विपणन संघ मर्यादित केन्द्र लांजी के आदेश का हवाला देते हुए कह रही है कि गोदाम प्रभारी के कागजी आदेश के बाद धान खराब न हो, इसलिए छोड़ दिया गया. हालांकि पुलिस कहना है कि ट्रक को छोड़ा नहीं जायेगा.

पुलिस की इस थ्योरी से प्रशासनिक अधिकारी को इत्तेफाक नहीं है, प्रशासन का मानना है कि जब पुलिस ने जांच प्रतिवेदन हमें सौंप दी है तो अब उसके बारे में कोई भी निर्णय करने का अधिकार हमारा है और हमें इस तरह का कोई पत्र नहीं मिला. जब्त ट्रको को छोड़े जाने की जानकारी पर प्रशासनिक अधिकारी अनभिज्ञता जाहिर करते हुए कहते है कि इसके बारे में वह कुछ नहीं जानते, लेकिन अब प्रशासनिक अधिकारी की उस जांच का क्या होगा, जिसमें उन्हें जांच करना है और जब मुख्य मुद्दा धान ही नहीं रहेगा तो प्रशासन किस धान की जांच करेगा.  

बताया जाता है कि एसडीओपी लांजी के नाम गोदाम प्रभारी द्वारा एक पत्र जारी किया गया है. जिस पत्र में गोदाम प्रभारी कहा गया कि जिस दिन पुलिस ने जो धान से भरे फरहान राईस मिल के दो ट्रक पकड़े है, उसके चालक नये होने से वह रास्ता भुल गये थे, गणेश पंडालों के कारण उन्हें रास्ता समझ नहीं आया और वह सिंगोला से आगे बढ़ गये. जिन्हें पुलिस थाने लाया गया. जिसमें रखी लगभग 11 सौ बोरा धान बारिश और नमी में खराब हो सकती है. जिसे छोड़ दिया जायें और इस आदेश के बाद लांजी थाने से वाहनों को छोड़ दिया गया. जिसे उसी मिलर्स के यहां खाली कराया गया, जिसकी धान को लेकर मामला जांच में है.

सबसे गौर करने वाली बात यह है कि गोदाम प्रभारी के जिस पत्र के आधार पर पुलिस ने छोड़ा है, उसमें कई गौर करने वाली बातें है, जिसे पुलिस देख नहीं सकी या फिर उसे पुलिस ने नजरअंदाज कर दिया, यह तो पुलिस की बतायेगी. लेकिन जो पत्र एसडीओपी के नाम गोदाम से जारी किया गया, वह रविवार का दिन है जो अवकाश का होता है, दूसरी बात उस पत्र में आवक जावक नंबर भी नहीं है. जो अमूमन शासकीय पत्र में होता है, फिर कैसे उसे निर्देश या आदेश माना जायें. बहरहाल यह जांच का विषय हो सकता है लेकिन जिस तरह से पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी के बयानों में अंतर नजर आ रहा है. उसको लेकर कई तरह की चर्चायें मिलर्स और लांजी में है.  

लांजी एसडीएम प्रभारी राजेन्द्रसिंह पटेल की मानें तो इस मामले में पुलिस ने उन्हें एक प्रतिवेदन मिला है. जिसमें धान को जब्त किये जाने की बात कही है. जिसके बाद इस मामले की जांच हमारे द्वारा की जानी और इसमें अब कोई भी निर्णय हमारे द्वारा ही लिया जायेगा. पुलिस ने अभिरक्षा से ट्रक कैसे छोड़े यह तो पुलिस ही बता सकती है लेकिन ऐसा कोई पत्र मुझे नहीं मिला है. अपनी चर्चा के दौरान एसडीएम श्री पटले ने अपने द्वारा ऐसे ही एक ट्रक को पकड़े जाने और उसकी कार्यवाही का उदाहरण भी दिया.  

जिसे शंका के आधार पर धरे गये धान से भरे उन ट्रको को एक ऐसे सादे कागज के आधार पर छोड़ देना, जिसमें चल रही है, समझ से परे है. जबकि दूसरी ओर पुलिस का कहना, इससे विपरित है. प्रशासन जिस पत्र को नहीं मिलने की बात कर रहा है, पुलिस उसी पत्र का हवाला धान से भरे ट्रको को छोड़ने के लिए दे रही है. एसडीओपी नितेश भार्गव ने कहा कि थाने में अभिरक्षा में रखे गये ट्रक में रखी धान के बारिश और नमी में खराब हो जाने के कारण इन्हें छोड़े जाने के एक पत्र के बाद ट्रको से धान को लौटा दिया गया है.

इस पूरे मामले की गंभीरता से जांच इस मामले में कई नये खुलासे कर सकती है उम्मीद है कि प्रशासन और पुलिस धान मिलिंग के तस्करी के इस सिरे से इसकी जड़ें खोदकर लोगों को बेनकाब कर सकते है.


Web Title : THE DIFFERENCE BETWEEN THE STATEMENT OF THE ADMINISTRATION AND THE POLICE WHEN THE PADDY TRUCK IS RELEASED, SO THE PADDY IS HANDED OVER TO THE MILLERS SO THAT THE PADDY DOES NOT DETERIORATE!