बिना डॉक्‍टरी सलाह ऐंटीबायॉटिक्‍स लेना है जानलेवा

तबीयत खराब होने पर अकसर हम या तो मेडिकल स्‍टोर से खुद ही ऐंटीबायॉटिक्‍स ले लेते हैं या फिर डॉक्‍टर के पुराने पर्चे के आधार पर कोई दवा ले लेते हैं. लेकिन हमारी यह आदत एक भयानक मेडिकल संकट ऐंटीमाइक्रोबॉयल रेसिस्‍टेंस (एएमआर) को बढ़ावा दे रही है. हाल ही में विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन ने एएमआर को 2019 की टॉप 10 वैश्विक स्‍वास्‍थ्‍य चुनौतियों में शामिल किया है.  

एएमआर यानि ऐंटीबायॉटिक्‍स के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर लेना. इसकी सबसे बड़ी वजह है ऐंटीबायॉटिक्‍स का अंधाधुंध इस्‍तेमाल. विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन ने 2015 में 12 देशों का एक सर्वे कराया था जिसमें पाया गया कि भारत समेत सर्वे में हिस्‍सा लेने वाले चार देशों के 75 प्रतिशत लोगों ने माना कि पिछले छह महीनों में उन्‍होंने ऐंटीबायॉटिक दवा ली थी. सबसे कम प्रतिशत बारबेडॉस का रहा जहां केवल 35 प्रतिशत लोगों ने छह महीनों के भीतर ऐंटीबायॉटिक्‍स का सेवन किया था.  

50 प्रतिशत आम रोगों के रोगाणुओं पर दवाएं बेअसर 

विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि करीब 50 प्रतिशत रोग फैलाने वाले सामान्‍य रोगाणुओं जैसे like E. coli, K. pneumoniae और S. aureus में ऐंटीबायॉटिक्‍स के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो गई है. यह इसलिए भी चिंता की बात है क्‍योंकि इन रोगों के लिए पिछले चार दशकों में कोई नई दवा भी नहीं खोजी गई है. इस कारण दुनिया भर में जो रोग आसानी से ठीक हो जाते थे वे भी असाध्‍य की श्रेणी में आ गए हैं.  

क्‍यों होता एएमआर 

बेंगलुरू के एस्‍टर सीएमआई हॉस्पिटल की कंसल्‍टेंट डॉ. स्‍वाति राजागोपाल का कहना है, ´ऐंटीबायॉटिक्‍स के दुरुपयोग, जरूरत से ज्‍यादा उपयोग या फिर पूरी डोज न लेने की वजह से ऐसा हो रहा है. कभी-कभी तो ऐसे मामलों में भी लोग ऐंटीबायॉटिक्‍स लेते हैं जहां वायरस से इन्फेक्‍शन हुआ हो. इसके अलावा एनिमल और एग्रीकल्‍चर इंडस्‍ट्री में ग्रोथ प्रमोटर्स के रूप में ऐंटीबायॉटिक्‍स का भी जमकर इस्‍तेमाल होता है.

iGenetic Diagnostics की डॉ. अपर्णा कोटेकर क‍हती हैं, ´50 से 60 प्रतिशत मामलों में ऐंटीबायॉटिक्‍स लेने की डॉक्‍टरी सलाह भी गैर जरूरी होती है. कई बार रोग के कारण की जानकारी न होने पर भी ऐंटीबायॉटिक्‍स दे दी जाती हैं. निम्‍न आय वर्ग के लोग महंगी होने की वजह से ऐंटीबायॉटिक्‍स की डोज भी पूरी नहीं लेते. इससे भी इनके खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित होती है. ´ 

एक तीसरी बड़ी वजह है मेडिकल टूरिज्‍म और अस्‍पतालों में हाइजीन की कमी. इससे दुनिया भर में ऐंटीबायॉटिक्‍स के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने वाले बैक्‍टीरिया, जिन्‍हें सुपरबग्‍स कहा जाता है, अब किसी एक देश तक सीमित नहीं रह गए हैं.  

Web Title : TAKING ANTIBIOTICS WITHOUT PRESCRIPTION IS A MAJOR GLOBAL HEALTH CONCERN

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