बिहार - ना बीजेपी को फायदा; ना ही आरजेडी को नुकसान, मोकामा और गोपालगंज में कम वोटिंग के क्या मायने
बिहार की गोपालगंज और मोकामा विधानसभा सीटों पर उपचुनाव में मतदान के प्रति मतदाताओं में वह उत्साह नजर नहीं आया, जिसकी उम्मीद की जा रही थी. इन दोनों क्षेत्रों में पिछले चुनावों की तुलना में भी कम वोट पड़े. जबकि, दोनों गठबंधनों ने एड़ी-चोटी का पसीना बहाया. मतदान के रूझानों से दोनों सीटों पर महागठबंधन और एनडीए के बीच सीधा और करीब का मुकाबला माना जा रहा है. हालांकि, राजनीतिक जानकारों का मानना है कि उपचुनाव में कम वोटिंग प्रतिशत पूर्व स्थिति को दर्शाता है. यानी कि न बीजेपी को कोई फायदा होगा और नही आरजेडी को कोई नुकसान होने वाला है.
दोनों सीटों को मिलाकर 52. 38 फीसदी वोटिंग हुई. मोकामा में सबसे ज्यादा 53. 45 प्रतिशत और गोपालगंज में 51. 48 प्रतिशत वोट पड़े. साल 2020 के विधानसभा चुनाव में गोपालगंज में 55. 03 फीसदी और मोकामा में 54. 01 फीसदी वोटिंग हुई थी. 2014 के विधानसभा चुनाव में गोपालगंज में 56. 68 फीसदी और मोकामा में 56. 96 फीसदी मतदान हुआ था.
गोपालगंज में पूर्व मंत्री और बीजेपी नेता सुभाष सिंह के निधन के बाद सीट खाली हुई. वहीं, मोकामा में बाहुबली अनंत सिंह के जेल जाने के बाद उपचुनाव की नौबत आई. मोकामा में आरजेडी ने अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी को टिकट दिया तो बीजेपी ने बाहुबली ललन सिंह की पत्नी सोनम देवी को मैदान में उतारा. दूसरी ओर, गोपालगंज में त्रिकोणीय मुकाबले के आसार हैं. यहां से बीजेपी ने दिवंगत सुभाष सिंह की पत्नी कुसुम देवी और आरजेडी ने मोहन प्रसाद गुप्ता को प्रत्याशी बनाया. यहां से डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के मामा साधु यादव की पत्नी इंदिरा भी बसपा के टिकट से मैदान में हैं. पिछले चुनाव में साधु यादव दूसरे नंबर पर रहे थे.
मतदान के रूझानों के आधार पर कयास लगाए जा रहे हैं कि दोनों सीटों पर नतीजे यथास्थिति रहेंगे. यानी कि पिछले चुनाव जो सीट जिस पार्टी के पास थी, इस बार भी उसी दल की जीत हो सकती है. ऐसे में गोपालगंज में बीजेपी और मोकामा में आरजेडी के जीतने के कयास लगाए जा रहे हैं. अगर वोटिंग प्रतिशत ज्यादा होता तो चुनाव नतीजों में बदलाव की उम्मीद हो सकती थी. हालांकि, वोटों की गिनती 6 नवंबर को होगी, उसके बाद ही सही नतीजे सामने आ पाएंगे.