बिहार की लोकसभा सीटों का हाल: अररिया में बहती रही बदलाव की बयार, बीजेपी-आरजेडी का रहा दबदबा

नेपाल की सीमा से सटे अररिया लोकसभा क्षेत्र ने 57 साल के संसदीय चुनावी इतिहास में कई बदलाव देखे हैं. समय के साथ इस लोकसभा क्षेत्र का स्वरूप और वजूद बदलता रहा. राजनीतिक दलों ने यहां से जीतने वाले प्रत्याशियों पर दांव लगाया तो जो बेटिकट हुए, उन्होने दूसरे दलों में ठौर तलाश लिया. दरअसल, अररिया पूर्व में पूर्णिया लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा था. 1967 में स्वतंत्र संसदीय क्षेत्र के रूप में यह अस्तित्व में आया. 2004 के लोकसभा चुनाव तक अररिया अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित क्षेत्र रहा. फिर 2009 में यह सीट सामान्य श्रेणी की हो गई.

पहले दो चुनावों (1967 व 1971) में इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा और तुलमोहन राम जीते. 1971 में कांग्रेस (संगठन) और 1977 में कांग्रेस के प्रत्याशी डुमरलाल बैठा चुनाव में पराजित रहे, लेकिन 1980 में वे कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते. महेंद्र नारायण सरदार (भारतीय लोक दल) पहले गैर कांग्रेसी सांसद चुने गए, जबकि 1998 के चुनाव में रामजी दास ऋषिदेव ने जीत दर्ज कर भाजपा का खाता खोला. इसके पहले जनता दल के टिकट पर सुकदेव पासवान 1989, 1991 और 1996 में जीते.  

1999 में राजद के टिकट पर जीत दर्ज करने वाले सुकदेव पासवान 2004 के लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी के रूप में संसद पहुंचे. उधर, जिस रामजी ऋषिदेव ने 1998 में भाजपा का खाता खोला था, वे 2004 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर मैदान में उतरे और हार गए. उन्हें सुकदेव पासवान (भाजपा) ने हराया. अररिया सीट के सामान्य हो जाने के बाद हुए पहले चुनाव 2009 में भी भाजपा जीती. टिकट मिला था प्रदीप कुमार सिंह को.

2014 के चुनाव में उनका मुकाबला सीमांचल के कद्दावर नेता तस्लीमुद्दीन (राजद) से हुआ और वे हार गए. 2017 में तस्लीमुद्दीन के निधन के बाद 2018 में हुए उप चुनाव में उनके पुत्र सरफराज आलम ने प्रदीप कुमार सिंह को शिकस्त दी. लेकिन प्रदीप ने भी 2019 के लोकसभा चुनाव में सरफराज आलम को पराजित कर हिसाब बराबर कर दिया.

अररिया के लोगों का मुख्य पेशा खेती है. उद्योग नहीं होने के कारण प्रतिवर्ष युवाओं का पलायन होता है. शुरू में यहां विकास मुद्दा बनता है लेकिन चुनाव आते-आते ध्रुवीकरण के आगे बाकी मुद्दे गौण हो जाते हैं. सांसद डुमर लाल बैठा केंद्र में मंत्री रहे. वे 1963-67 तक कल्याण व आवास राज्य मंत्री तथा 1967-72 तक स्वास्थ्य, श्रम व शिक्षा विभाग के कैबिनेट मंत्री रहे. यहां के निवासी तस्लीमुद्दीन भी केंद्र में गृह राज्यमंत्री रहे.


मौजूदा समीकरण
2024 के चुनाव में इंडिया गठबंधन में यह सीट राजद के खाते में जाने की पूरी संभावना है.  एनडीए की ओर से भाजपा की यह सीटिंग सीट है. ऐसे में भाजपा और राजद के बीच ही चुनावी टक्कर के आसार हैं. वैसे राजद में टिकट के कई दावेदार हैं. इस लोकसभा क्षेत्र में करीब 43 प्रतिशत अल्पसंख्यक मतदाता हैं. छह विधानसभा क्षेत्रों में तीन पर भाजपा, एक-एक पर कांग्रेस, राजद तथा जदयू काबिज हैं. हर चुनाव में यहां जोरदार टक्कर होती है. मतदाताओं का ध्रुवीकरण भी तेजी से होता है.

1967 तुलमोहन राम, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

1971 तुलमोहन राम, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

1977 महेंद्र नारायण सरदार, भारतीय लोकदल

1980 डुमर लाल बैठा, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आई)

1984 डुमर लाल बैठा, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

1989 सुकदेव पासवान, जनता दल

1991 सुकदेव पासवान, जनता दल

1996 सुकदेव पासवान, जनता दल

1998 रामजी दास ऋषिदेव, भारतीय जनता पार्टी

1999 सुकदेव पासवान, राष्ट्रीय जनता दल

2004 सुकदेव पासवान, भारतीय जनता पार्टी

2009 प्रदीप कुमार सिंह, भारतीय जनता पार्टी

2014 मोहम्मद तस्लीमुद्दीन, राष्ट्रीय जनता दल

2018 सरफराज आलम, राष्ट्रीय जनता दल (उप चुनाव)

2019 प्रदीप कुमार सिंह, भारतीय जनता पार्टी

(अररिया लोकसभा क्षेत्र वर्ष 1967 में अस्तित्व में आया. )

अररिया लोकसभा क्षेत्र

कुल मतदाता- 19,85,549
पुरूष वोटर- 10,34,015
महिला वोटर- 9,51,445

2019 में मिले मत
भाजपा- 52. 87%
राजद- 41. 14%
अन्य- 5. 99%

सांसद का दावा

लोकसभा क्षेत्र की सभी प्रकार की समस्याओं को संसद में उठाया. अररिया जिले में कृषि आधारित उद्योग लगे इस मुद्दे को हमने संसद में कई बार उठाया. जोगबनी से पटना इंटरसिटी का विस्तार, जोगबनी से बनारस, दिल्ली के लिए एक और ट्रेन चलाने सहित बड़े शहरों तक ट्रेन चलाने के लिए रेलमंत्री से कई बार मिल कर ज्ञापन दिया गया. -प्रदीप कुमार सिंह, सांसद, अररिया

ये परियोजनाएं हुईं पूरी

पांच वर्षों में 285 पुल-पुलियों का निर्माण, 120 का काम प्रगति पर

शुद्ध पेयजल के लिए सात सार्वजनिक स्थलों पर लगी वाटर वेंडिंग मशीन

जिले के 39 सार्वजनिक स्थलों पर लगा उच्च कोटि का हाई मास्क लाइट

उच्च विद्यालय और मध्य विद्यालय में प्रयोगशाला उपस्कर के लिए दी गई राशि

ग्रामीण इलाकों में सांसद निधि से पीसीसी सड़क और नाला का निर्माण


इन योजनाओं के पूरी होने की उम्मीद

नरपतगंज बाजार के एनएच 57 पर अंडरपास बनाने का कार्य

जोगबनी में वाशिंग पिट का निर्माण कार्य, जमीन अधिग्रहित

बाढ़ से निजात दिलाने के लिए डैम का निर्माण

कृषि विश्वविद्यालय और सरकारी मेडिकल कॉलेज की स्थापना

मक्का और जूट आधारित फैक्ट्री स्थापित कर किसानों की बदहाली दूर करना

राजद के पूर्व सांसद सरफराज आलम का कहना है कि पांच वर्षों में अररिया का समुचित विकास नहीं हुआ. आज अररिया-गलगलिया और अररिया-सुपौल रेल लाइन का निर्माण हो रहा है. यह काम पूर्व सांसद मरहूम तस्लीमुद्दीन की देन है. उन्होंने ही अररिया को पिछड़ा जिला में शामिल कराया गया. ज्यादातर काम उनके कार्यकाल का ही किया हुआ है.  
 

Web Title : BIHAR LOK SABHA CONSTITUENCY: WINDS OF CHANGE CONTINUE TO FLOW IN ARARIA, BJP RJD DOMINATE

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