बिहार के डॉन शहाबुद्दीन को नहीं मिल रहा भरपेट भोजन, दायर की याचिका

पटना : बिहार के डॉन और आतंक के पर्याय रहे मोहम्मद शहाबुद्दीन अर्थात साहब का जलवा ऐसा था कि आज भी लोग नाम लेकर नहीं पुकारते. जेल में बंद होने बावजूद बीते करीब 27 सालों से उनका खौफ लोगों पर भारी है और उनकी पहचान साहब की बनी है. हाल ही में राष्ट्रीय जनता दल के पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर आरोप लगाया है कि तिहाड़ जेल में उन्हें भरपेट भोजन नहीं मिलता है. वह बीते 13 माह से यहां बंद हैं और इस दौरान उनका 15 किलो वजन कम हो गया है.
- जस्टिस विपिन सांघी व जस्टिस पीएस तेजी की बेंच ने इस मामले में तिहाड़ जेल सुपरिटेंडेंट को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है. मामले की अगली सुनवाई 27 अप्रैल को होगी.
- याचिका में यह भी कहा गया है कि मुझे पिछले 13 महीने से तिहाड़ जेल के ऐसे हिस्से में रखा गया है जहां रोशनी नहीं आती है और न ही पर्याप्त हवा है.
- आगे शहाबुद्दीन ने कहा कि मैं एकांत कारावास में बंद हूं. याचिका का दावा है कि जब से वो तिहाड़ जेल में शिफ्ट हुए है तब से उनका वजन 15 किलो घट गया है. अगर यही हालात रहे तो वह गंभीर बीमारियों से ग्रस्त हो सकते हैं.
- शहाबुद्दीन का जन्म बिहार के सीवान जिले के प्रतापपुर में 10 मई 1967 को हुआ था.
- कॉलेज के दिनों से ही इनकी दबंगई के चर्चे आम थे. महज 21 साल की उम्र में शहाबुद्दीन के खिलाफ सीवान के एक थाने में पहला मामला दर्ज हुआ था.
- देखते ही देखते शहाबुद्दीन सीवान के मोस्ट वांटेड क्रिमिनल बन गए. शहाबुद्दीन पर उम्र से भी ज्यादा 56 मुकदमे दर्ज हैं. इनमें से 6 में उन्हें सजा हो चुकी है.
- भाकपा माले के कार्यकर्ता छोटेलाल गुप्ता के अपहरण व हत्या के मामले में वह आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे हैं
- निशानेबाज शहाबुद्दीन का सियासी सफर शुरू होने से काफी पहले दबंगई की शुरुआत हो गई थी.
- रिकॉर्ड के मुताबिक उन पर पहली प्राथमिकी 1986 में सीवान जिले के हुसैनगंज थाने में दर्ज हुई थी.
- उसके बाद तो उनकी छवि ऐसी बनी कि लोग सरेराह उनका नाम लेना भी मुनासिब नहीं समझते हैं.
- चुनाव लड़ने के दौरान सीवान शहर में शहाबुद्दीन की पार्टी को छोड़कर दूसरे किसी प्रत्याशी का झंडा लगाने की हिम्मत किसी को नहीं होती थी.


Web Title : DON SHAHABUDDIN OF BIHAR NOT GETTING ASHRAM FOOD, FILED PETITION