वशिष्ठ मुनि ने स्थापित किया यह मंदिर, महादेव के सामने विराजती हैं मां काली

बिहार के भागलपुर में कहलगांव प्रखंड के ओरियप पंचायत में उत्तर वाहिनी गंगा के किनारे पहाड़ी की तराई स्थित प्राचीन बटेश्वर नाथ महादेव मंदिर श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है. मंदिर का संबंध रामायण काल से जुड़ा है. वशिष्ठ ऋषि के द्वारा स्थापित शिवलिंग की पूजा करने से मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है. माघी, कार्तिक और भादो के पूर्णिमा में लाखों की संख्या में बिहार और झारखंड क्षेत्र के श्रद्धालु जलाभिषेक करते हैं.  

मंदिर के पुजारी चंद्रशेखर झा बताते कहते हैं कि अति प्राचीन वशिष्ठेश्वर नाथ महादेव मंदिर ऋषि वशिष्ठ के द्वारा स्थापित शिवलिंग है. जो कालांतर में बटेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है. इस स्थल की चर्चा पुराणों में उल्लेखित है. कहलगांव प्राचीन काल से ऋषियों की तपोभूमि रही है. इसी इलाके में गुरु वशिष्ठ, ऋषि दुर्वासा और ऋषि कोहल ने तपस्या की थी. ऋषि कोहल के नाम से इस क्षेत्र का नाम कहलगांव पड़ा. बटेश्वर नाथ मंदिर के ठीक सामने दक्षिणामुखी मां काली का मंदिर है और पास में ही श्मशान घाट में स्थित है.  

इस मंदिर की खासियत यह है कि महादेव के सामने मां काली का मंदिर है. यह संयोग देश में कहीं नहीं मिलता है. प्राचीनकाल में यह तंत्र विद्या का बहुत बड़ा केंद्र हुआ करता था. माघी पूर्णिमा, और भादो पूर्णिमा में हजारों की संख्या में बिहार और झारखंड क्षेत्र के भक्तों का जुटान होता है और पास ही स्थित श्मशान घाट में स्नान आदि कर बाबा बटेश्वर के लिंग विग्रह पर जलाभिषेक कर भगवती मंदिर में तंत्र-मंत्र की परीक्षा देते है.

विक्रमशिला विश्वविद्यालय का उद्गम स्थल भी बटेश्वर स्थान को ही माना गया है. इस जगह की सिद्धि को देखते हुए बटेश्वर मंदिर से तीन किलोमीटर दूर विक्रमशिला विश्वविद्यालय की स्थापना हुई थी. पंडित चंद्रशेखर कहते हैं कि कहलगांव बटेश्वर स्थान में काशी नगर को बसाया जाना था. लेकिन एक जौ के बराबर जगह कम पड़ने के कारण काशी को बनारस जाना पड़ा.

सरकारी पूजा के बाद खुलता है मंदिर का पट

बटेश्वर नाथ महादेव मंदिर में अहले सुबह 5 से 6 के बीच में सरकारी पूजा के बाद पट खुलता है. वहीं संध्या में श्रृंगार पूजा और आरती होती है. बाबा बटेश्वर स्थान सेवा समिति की ओर से महाशिवरात्रि के उपलक्ष्य में कलश यात्रा निकाली जाएगी. सुबह 11 से अपराह्न तीन बजे तक रुद्राभिषेक होगा. शाम चार बजे झांकी और रात्रि आठ बजे से भंडारा होगा.


Web Title : VASHISHTA MUNI ESTABLISHED THIS TEMPLE, MOTHER KALI SITS IN FRONT OF MAHADEV

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