41 साल बाद यहां हनुमानजी की प्रतिमा ने छोड़ा चोला,मूल स्वरूप के दर्शन को देखने उमड़ी भीड़

कटंगी. स्वर्गीय पंडित श्री किसन दास जी द्वारा वर्ष 1880 में बनाया गया ऐतिहासिक सिद्ध हनुमान बाड़ी मंदिर की भगवान हनुमानजी की प्रतिमा ने 41 साल बाद अपना चोला छोड़ा है, इसके बाद हनुमानजी की प्रतिमा अपने प्राकृतिक स्वरूप में आ गई.

बताया जाता है कि विजयादशमी के दिन प्रातः मूर्ति की छरण चालू हुआ, चोला बाये पैर से दृष्टव्य होने पर पंडित भरत हेमदास दिवाकर एवं दिवाकर परिवार द्वारा रात्रि में विधि विधान से चोला उतारा गया, इसके बाद भगवान का पंचाभिषेक दूध, घी, जल, शहद एवं पँचमर्त द्वारा स्नान करवाया गया. इसके बाद भगवान की आरती उतारी गई एवं पुष्पांजलि अर्पित की गई. इसे देखने के लिए मंगलवार को श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही. भगवान के शयन क्रिया अनुरूप दोपहर 12 बजे से 4 बजे तक मंदिर प्रतिदिन की तरह बंद रहा. पण्डित भरत दिवाकर के अनुसार मंदिर 4 बजे से 8 बजे तक खुला रहेगा चोले का वजन करीब 80 किलो ग्राम है. चोला का विसर्जन पवित्र नदी वैनगंगा में विधि विधान से किया जायेगा.

क्या है चोला छोड़ना

पंडित भरत हेमदास दिवाकर के अनुसार भगवान की प्रतिमाओं पर चोला (कवच) पुराना हो जाता है. तब प्रतिमाओं से यह हटने लगता है. शास्त्रानुसार इस प्रक्रिया को भगवान के वस्त्र बदलने के समान ही माना जाता है. यह अवसर सभी के लिए शुभकारी है एवं मंगलकारी है. इन्होंने श्रद्धालुओं से निवेदन कोरोना संक्रमण से बचाव को दृष्टिगत रखते हुए भगवान के दर्शन करें.


Web Title : 41 YEARS LATER, THE STATUE OF HANUMANJI LEFT THE CHOLA, A CROWD TO SEE THE PHILOSOPHY OF THE ORIGINAL NATURE.