बालाघाट. पाद्रीगंज डिपो में जलाऊ लकड़ी, बांस डिपो के साथ ही इमरती काष्ट के भंडारण होने से वहां कार्यरत 200 से 300 मजदूरांे को लोडिंग-अनलोडिंग के दौरान काम मिलता था लेकिन इस वर्ष से पाद्रीगंज डिपो में केवल जलाऊ और बांस को भंडारित किया जा रहा है, जबकि इमरती काष्ट को कनकी डिपो भेजा जा रहा है. जिससे यहां पाद्रीगंज के कार्यरत मजदूरों को काम नहीं मिलने से वह बेरोजगार हो जायेंगे. जिसे देखते हुए मजदूरों ने 2 दिसंबर को पाद्रीगंज के स्थाई डिपो को चालु करने की मांग की है.
नंदकिशोर बघेल की मानें तो 1975 से पाद्रीगंज में स्थाई डिपो चालु था, लेकिन इस वर्ष डिपो को बंद कर कनकी डिपो में इमारती लकड़ी की निकासी कराई जा रही है, जिससे अब केवल पाद्रीगंज डिपो में जलाऊ लकड़ी और बांस का ही डिपो रखा गया है. इमरती लकड़ी नहीं गिरने से गांव के मजदूरों को भारी मुसीबत का सामना करना पड़ सकता है. जिससे ग्राम के 200 से 300 मजदूरो की आजीविका पर इसका सीधा असर पड़ेगा. पाद्रीगंज डिपो मंे पुनः इमारती लकड़ियों को रखकर डिपो प्रारंभ रखने की मांग को लेकर कलेक्टर महोदय को ज्ञापन सौंपने आये है. इससे पूर्व भी हमारे द्वारा ज्ञापन सौंपा गया था, लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया गया. यदि हमारी समस्या का समाधान नहीं होता है तो हम सभी मजदूर आगामी 10 दिसंबर से हड़ताल पर चले जायेंगे. मजदूर भागवत भलावी ने बताया कि डिपो में काम करने वाले सभी मजदूर आदिवासी समाज से है यदि पाद्रीगंज डिपो बंद कर दिया जाता है तो लगभग 200 से 300 आदिवासी मजदूर बेरोजगार हो जायेंगे. जिसे देखते हुए डिपो को प्रारंभ रखा जायें, ताकि मजदूरों को जीविकोपार्जन में समस्या न हो.