दुर्गाष्टमी पर मातारानी को चढ़ाया गया भोग, मंदिरो और पंडालो में किया गया हवन, भरवेली में स्कूली कन्याओं को कराया कन्या भोज, कल नवमी से हो जाएगा नवरात्र का समापन

बालाघाट. शारदेय नवरात्र पर्व पर मां दुर्गा के नौस्वरूपों की पूजा की जा रही है. 10 अक्टूबर को नवरात्रि की अष्टमी, जिसे महाअष्टमी या दुर्गा अष्टमी भी कहा जाता है, में, मां महागौरी का पूजन किया गया. मान्यता है कि मां महागौरी भक्तों पर अपनी कृपा बरसाती हैं और उनके बिगड़े कामों को पूरा करती हैं. महा अष्टमी पर धार्मिक परंपरानुसार मां को अष्टमी का भोग लगाया गया और मां से मनोकामना पूर्ति और नवरात्र में पूजन या व्रत के दौरान हुई गल्तियों की क्षमा मांगी गई. वैसे तो सभी देवी मंदिरो में मां को अष्टमी का भोग लगाया गया, लेकिन नगर के सबसे प्राचीन काली मंदिर में व्रतधारी महिलायें ने पहुंचकर मां को अष्टमी का भोग अर्पित किया. जिसके बाद घरो में कन्याओं का पूजन कर कन्या भोज कराया गया. इसी कड़ी में मुख्यालय से 5 किमी दूर, भरवेली में स्कूली कन्याआंे को पंचायत के माध्यम से कन्या भोज कराया गया. यहां पंचातय सरपंच गीता अनिल बिसेन ने स्कूली कन्याओं का पूजन कर उन्हें भोजन परोसा.

नवरात्र में अष्टमी पूजन का विशेष महत्व है, इस दिन मां को व्रतधारी महिलायें अष्टमी का भोग चढ़ाती है और उनसे अपनी मनोकामना पूर्ण होने का आशीर्वाद मांगती है. इस दिन मां महागौरी का पूजन किया जाता है. नवरात्र की अष्टमी पर मां को अठमी चढ़ाने के पीछे मनोकामना पूर्ति के आशीर्वाद के साथ ही यह भी भावना रहती है कि मां नवरात्र के पूजन या व्रत में उनसे कोई गल्ती हुई है तो उसे क्षमा करें. इसके साथ ही शारदेय नवरात्र का पर्व अब समापन की ओर है. कल नवमी पर शारदेय नवरात्र का समापन हो जायेगा और सार्वजनिक दुर्गोत्सव द्वारा विराजित की गई प्रतिमाओं के विसर्जन का सिलसिला भी प्रारंभ हो जायेगा. वहीं नवमी पर मंदिरो और घरो में रखे जाने वाले ज्योति कलश और ज्वारे का विसर्जन भी किया जायेगा.  

10 अक्टूबर को नवरात्र की अष्टमी पर शहर में दुर्गोत्सव समिति द्वारा विराजित की गई प्रतिमाओं के पंडाल और मंदिरो एवं घरो में हवन किया गया है. जहां विधिविधान से पंडितो द्वारा मंत्रोच्चार के साथ हवन कराया गया. जिसमें भक्तों ने शामिल होकर आहुतियां डाली. वहीं आज नवमी पर कई दुर्गोत्सव समितियों द्वारा हवन पूजन एवं कन्या भोज कराया जाएगा.  नवरात्र में मां स्वरूप कन्याओं को कराए जाने के पीछे तर्क यह है कि जो प्रसाद मां के लिए बनाया जाता है वह मां स्वरूपा कन्याओं को कराये जाये तो सीधे मां को कराये गये भोजन के रूप में इसका फल मिलता है. जिसके चलते घरो, मंदिरो और दुर्गोत्सव समितियों द्वारा नवरात्र में बड़ी संख्या में कन्या भोज कराया जाता है.  


Web Title : DURGA ASHTAMI FESTIVITIES OFFERED TO MATARANI IN TEMPLES AND PANDALS, KANYA FEAST FOR SCHOOL GIRLS IN BHARVELI NAVRATRI TO CONCLUDE TOMORROW