बालाघाट. अपनी पांच एकड़ की खेती के लिए किसान ने एक पुराना ट्रेक्टर फायनेंस किया, ताकि वह खेती में ट्रेक्टर का उपयोग कर सकें, लेकिन ट्रेक्टर फायनेंस उसके जीवन का अंत बन गया है. ट्रेक्टर विक्रेता को फायनेंस की राशि देने के बाद भी विक्रेता द्वारा राशि जमा नहीं करने पर पहले फायनेंस की राशि नहीं जमा करने पर फायनेंस कंपनी उसका ट्रेक्टर खींच ले गई. थक-हारकर किसान ने जेवरात बेचकर फायनेंस की राशि से ज्यादा, ब्याज सहित राशि जमा की. तब कहीं जाकर उसे ट्रेक्टर मिला. जब विक्रेता से जमा किये गये फायनेंस की राशि मांगी तो विक्रेता उसे टालते रहा. जिससे परेशान होकर किसान ने आत्महत्या कर ली. अब परिजन ट्रेक्टर विक्रेता पर कार्यवाही की मांग कर रहे है.
परसवाड़ा थाना अंतर्गत कोसमी निवासी 52 वर्षीय ओंमकार पिता सूरजलाल पटले ने 22 जून को सुबह जहरीली दवा खा ली. उस वक्त घर में उसके अलावा कोई नहीं था, परिवार के सदस्य खरीफ फसल की तैयारियों को लेकर खेत गये थे. जब परिजन घर पहुंचे तो देखा कि ओंमकार की हालत खराब है, जिसके बाद परिजन उसे परसवाड़ा अस्पताल लेकर गये. जहां से उसे रिफर पर जिला चिकित्सालय लाकर भर्ती कराया. यहां उपचार के दौरान दोपहर उसकी मौत हो गई. अस्पताल से मृतक ओंमकार की तहरीर मिलने के बाद अस्पताल पुलिस चौकी ने शव बरामद कर पंचनामा कार्यवाही के बाद शव का पीएम करवाकर शव परिजनों को सौंप दिया. मामले में अस्पताल पुलिस ने शून्य पर मर्ग कायम किया है, मामले की जांच के लिए मर्ग डायरी परसवाड़ा थाना भिजवाई जायेगी. जिस पर परसवाड़ा पुलिस द्वारा अग्रिम कार्यवाही की जायेगी.
इस मामले में मृतक के भाई रिखीराम पटले ने भाई ओंमकार की मौत को मानसिक प्रताड़ना से मौत बताते हुए भाई को परेशान करने वाले बालाघाट निवासी अशरफ भाई पर कार्यवाही की मांग की है. भाई रिखीराम ने आरोप लगाया कि उसके भाई के साथ अशरफ खान ने रूपयों की हेराफेरी कर उसे रूपये वापस करने में परेशान करता रहा. जिससे भाई ने मानसिक परेशानी में आत्महत्या कर ली. उन्होंने कहा कि बालाघाट निवासी अशरफ भाई ने उसे आत्महत्या के लिए प्रेरित किया है.
भाई रिखीराम पटले ने बताया कि बालाघाट के ट्रेक्टर विक्रेता अशरफ भाई ने खेती के लिए 2 लाख 90 हजार रूपये में ट्रेक्टर खरीदा था. जिसके ऐवज में ट्रेक्टर खरीदी के दौरान एक लाख 45 हजार रूपये भाई ओंमकार ने जमा कर दिये थे और एक लाख 45 हजार रूपये श्रीराम फायनेंस से फायनेंस कराया था. जिसकी पहली किश्त 42 हजार रूपये बीते फरवरी में श्रीराम फायनेंस में जमा कराने आये भाई ओंमकार से अशरफ भाई ने यह कहकर ले लिया कि वह किश्त फायनेंस कंपनी में जमा न कराकर मेरे पास जमा करायें, जिसे वह जमा कर देंगा. जिससे सहमत होकर भाई ने अशरफ भाई को 42 हजार रूपये दे दिये, ताकि वह फायनेंस कंपनी में पैसा जमा करा देगा लेकिन अशरफ भाई ने वह राशि फायनेंस कंपनी जमा नहीं कराई. जिसका पता श्रीराम कंपनी के आये लोगों से पता चला, जब कंपनी ने फायनेंस की राशि जमा नहीं करने पर भाई का फायनेंस ट्रेक्टर खींच ले गये. जिससे परेशान होकर भाई ओंमकार ने अशरफ भाई से दी गई राशि के लिए संपर्क किया तो वह परिवार में मां को कोरोना बीमारी होने की बात कहकर लौटा देने की बात कहने लगा. जबकि फायनेंस कंपनी बिना पैसा जमा किये ट्रेक्टर देने तैयार नहीं थी. जिस पर भाई ओंमकार द्वारा किसी तरह घर के जेवरात बेचकर फायनेंस कंपनी को जून में फायनेंस की राशि में ब्याज सहित राशि एक लाख 83 हजार रूपये जमा कराये, जिसके बाद कंपनी ने ट्रेक्टर वापस किया. जिसके बाद भाई ओंमकार ने अशरफ भाई से दी गई राशि 42 हजार रूपये की मांग की, लेकिन वह उसे टालमटोल करते रहा. फिर अशरफ भाई ने भाई ओंमकार को चेक दिया. जो 12 जून का था, लेकिन इससे पूर्व वह भाई को चेक जमा नहीं करने और नगद रूपये ले जाने की बात कहकर गुमराह करते रहा. जिससे परेशान होकर भाई ने 22 जून को घर में रखी कीटनाशक दवा खाकर आत्महत्या कर ली. भाई रिखीराम पटले ने मामले में भाई को आत्महत्या के लिए मजबूर करने वाले बालाघाट निवासी अशरफ भाई पर कार्यवाही की मांग की है.