वन्यप्राणी चितल के शिकार के पांच आरोपियों को कारावास

बालाघाट. वन अपराध के एक मामले में बैहर न्यायालय के माननीय न्यायाधीश मधुसुदन जंघेल की अदालत ने पांच आरोपी रूपझर थाना अंतर्गत हर्राटोला निवासी 45 वर्षीय सुकमन पिता सोहन, 40 वर्षीय इंदर पिता कुंवरसिंह, 42 वर्षीय चमरसिंह पिता विशाल, 40 वर्षीय जेठुलाल पिता अगनू और 35 वर्षीय बैसाख पिता जागु केा वन्यप्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 में एक-एक वर्ष के सश्रम कारावास और एक-एक हजार रूपये के जुर्माने से दंडित किया है. मामले में अभियोजन की ओर से सहायक जिला अभियोजन अधिकारी पंजाबसिंह राजपूत ने पैरवी की थी.

सहायक जिला अभियोजन अधिकारी एवं मीडिया प्रभारी अखिल कुमार कुशराम ने बताया कि 1 नवंबर 2009 को परिक्षेत्र अधिकारी उकवा को मुखबिर से सूचना मिली थी कि हर्राटोला में कुछ लोग वन्यप्राणी चीतल का अवैध शिकार कर मांस खा रहे है. जिस जानकारी के बाद परिक्षेत्र अधिकारी उकवा द्वारा कार्यवाही टीम गठित की गई. जिसमें विभागीय अमले ने कार्यवाही करते हुए सुकमन, इंदर, चमरसिंह, जेठुलाल तथा बैशाख के घर चीतल के पका और गीला कच्चा मांस जप्त किया. आरोपियों ने बताया कि उन्होंने वन्यप्राणी चीतल का शिकार कर खाल को मंडवा नाले के पास छिपाकर रखा है. जिनकी निशानदेही पर खाल को जप्त किया गया. जिसके बाद वन विभाग द्वारा आरोपियों के खिलाफ वन्यप्राणी संरक्षण की धाराओं के तहत अपराध कायम कर विवेचना उपरांत परिवाद न्यायालय में पेश किया था. जिसमें विचारण के दौरान माननीय न्यायालय ने आरोपियों को दोषी पाते हुए सजा और अर्थदंड के दंड से दंडित करने का आदेश दिया है.


Web Title : FIVE ACCUSED IN WILDLIFE CHITAL VICTIM SENTENCED TO IMPRISONMENT