महाराष्ट्रीयन परिवारों में परंपरानुसार मनाया गया गुढ़ी पड़वा

बालाघाट. चैत्र प्रतिपदा नव संवत्सर से प्रारंभ होने वाले गुढ़ी पड़वा का पर्व महाराष्ट्रीय परिवार में परंपरानुसार आस्था और विश्वास के साथ मनाया गया. घर की छत पर गुढ़ी फहराकर, परिजनों ने पूजा अर्चना की और एकदूसरे को गुढ़ी पड़वा की बधाई दी. हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र मास के शुक्ल प्रतिपदा को गुड़ी पड़वा का पर्व मनाया जाता है. इस दिन से ही हिन्दू नव वर्ष आरंभ होता है. गुड़ी का अर्थ है विजय पताका. कहा जाता है कि इसी दिन ब्रह्माजी ने सृष्टि का निर्माण किया था. इसी दिन से चौत्र नवरात्रि का आरंभ भी होता है. महाराष्ट्र में इस दिन पूरन पोली या मीठी रोटी बनाई जाती है.  

गुढ़ी पड़वा को परिवार के साथ मना रही प्रेमनगर निवासी श्रीमती मंदा का कहना है कि चैत्र शुक्ला प्रतिपदा को गुढ़ी पड़वा का पर्व मनाया जाता है, गुढ़ी मतलब शुभ संकेत, यह पर्व रोगों के नाश भी करता है, साथ ही नये संवत्सर का प्रारंभ भी आज ही के दिन से माना जाता है. उन्होंने बताया कि भगवान श्रीराम, माता सीता, भ्राता लक्ष्मण और भक्त हनुमान के साथ जब 14 वर्ष का वनवास समाप्त होने के बाद घर पहुंचे थे, तब उनके स्वागत के लिए अयोध्यावासियों ने घरो में पताका फहराकर, आंगन में रंगोली सजाकर दीप जलाये थे. वहीं धर्म के विरूद्ध शकालसुर का अंत, इसी दिन शक राजा ने किया था. जिसके बाद से ही शंक संवत प्रारंभ हुआ था. चूंकि इस दिन से ही चैत्र नवरात्रि का पर्व भी प्रारंभ होता है, जो नारी शक्ति का प्रदर्शित करता है, नारी शक्ति से ही समाज की उन्नति हुई है और आगे भी होते रहेगी.


Web Title : GUDI PADWA CELEBRATED AS PER TRADITION IN MAHARASHTRIAN FAMILIES