किसी भी युग में गुरूओं का महत्व कभी कम नही होगा अपितु बढ़ता ही जायेगा-प्रदीप जायसवाल,शिक्षक दिवस पर निगम अध्यक्ष ने आधा सैकड़ा सेवानिवृत षिक्षकों का शॉल, श्रीफल से सम्मान

वारासिवनी (अशफाक खान). गुरू का हर किसी के जीवन में बहुत महत्व होता है. समाज में भी उनका अपना एक विशिष्ठ स्थान होता है, सर्वपल्ली राधाकृष्णन शिक्षा में बहुत विश्वास रखते थे, एक आदर्श शिक्षा के सभी गुण उनमे विघामान थे, पूरे भारत भर में 5 सितम्बर कों शिक्षक दिवस मनाया जाता है. उक्त विचार भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस के अवसर पर शिक्षकों के प्रति सम्मान प्रकट करते हुए षिक्षक दिवस के अवसर पर सेवानिवृत षिक्षकों के कार्यक्रम में खनिज विकास निगम अध्यक्ष प्रदीप जायसवाल ने व्यक्त किये.

5 सितम्बर देष के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधा कृष्णन का जन्मदिन शिक्षक दिवस के पावन अवसर पर विधायक जनसंपर्क कार्यालय में विधायक एवं खनिज विकास निगम अध्यक्ष प्रदीप जायसवाल द्वारा लगभग आधा सैकडा सेवानिवृत शिक्षकगणों का शाल एवं श्रीफल से आत्मीय सम्मान कर चरण स्पर्ष कर आर्षिवाद प्राप्त किया गया. कार्यक्रम में जहां गुरू जनों ने अपने शिक्षक कार्यकाल के दौरान अनुभवों को साझा किया. वही उपस्थित जनों ने गुरूओं की गरिमा का बखान किया.   

कार्यक्रम का शुभांरभ विधायक प्रदीप जायसवाल एवं उपस्थिजनों द्वारा पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के छाया चित्र पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्जवलित किया गया. तत्पश्चात विधायक प्रदीप जायसवाल के द्वारा करीब आधा सैकडा सेवानिवृत्त शिक्षकों का सम्मान शाल एवं श्रीफल भेंट कर उनका आर्शीवाद प्राप्त किया. कार्यक्रम के दौरान सेवा निवृत प्राचार्य वाय. एस. पवार, भेजेन्द्र चौधरी, स्वप्निल डोंगरे, नंदकिशोर सुराना, कुरैशी सर ने पर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जीवन मे प्रकाश डालते हुए शिक्षकों की महत्ता बताई. कार्यक्रम का संचालन राकेष वर्मा के द्वारा एवं आभार प्रदर्षन कोमल लिल्हारे द्वारा किया गया.

इन शिक्षकों का किया गया सम्मान

शिक्षक दिवस के अवसर पर विधायक प्रदीप जायसवाल द्वारा वाय. एस. पवार, प्रेमदास बोकडे, अनंत कुमार झा, दशरथ लाल अर्जे, रोमचंद वर्मा, लक्ष्मी नारायण वर्मा, नारायण राव धार्मिक, संतोष कुमार शुक्ला, देवराव येरपुडे, भेजेन्द्र चौधरी, जयनारायण मिश्रा, तोंडूलाल पटले, सोहनकर दहीकर, एम. आर. अली, श्री पराते सर, जी. एल वराडे, के. एल. भादरे, एस. पी. वाघाडे, श्री कुरैशी, ताराचंद गौतम, रूकमणी बिसेन, श्री हिवारे सर, थानीराम कटरे, पीतांबर बोपचे, एस. एल. चौहान, फजल कुरैशी, सी. एल. ठाकरे, झामाजी निरडवार, श्री सोलंकी सर, एच. पी. शर्मा, चौधरी सर, श्रीमती सोलंकी, जी. सी. कावरे, अनिक सोनी, श्रीमती शांता बोपचे, श्री उताके, सुदामा प्रसाद खदांची, डी. पी. चौरागढे, श्रीमती मालती चौबे, श्रीमती वरकडे, श्रीमती उषा किरण तिवारी, श्री पराते सर, मानसी परते, ज्ञानदास पातरे, हेमलता तिवारी, जगलाल पटले, राकेश डहरवाल, टी. सी. गौतम का शाल एवं श्रीफल से सम्मान किया गया.

समाज एवं देष के निर्माण मे षिक्षक की महत्वपूर्ण भूमिका-प्रदीप जायसवाल

विधायक प्रदीप जायसवाल नें कहा कि देश के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी शिक्षक के रूप में आगे बढकर शिक्षक पद को गौरवांवित कर देश के सर्वोच्च पद पर पहुंचे. पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का यह जीवन पूरे देशवासियों के लिए प्रेरणादायी बना. साथ ही इससे यह भी संदेश जाता है कि शिक्षक जो होता वह किसी भी उच्च पद पर पहुंच सकता है और दुसरो को पहुंचा भी सकता है. यह ताकत केवल शिक्षकों में होती है. युग कोई भी हो षिक्षकों का महत्व कम नही होगा अपितु बढ़ता ही जायेगा. शिक्षक समाज का ऋण होता है, अगर शिक्षा का स्तर बड़ा हो तो निश्चित ही उस देश का विकास संभव होता है. श्री जायसवाल ने कहा कि आज देश मंे जो लोग किसी ना किसी क्षे़त्र में अच्छा कार्य कर रहे है तो भली-भांती समझा जा सकता है कि उनके पीछे किसी शिक्षक का ही हाथ होंगा. शिक्षा ग्रहण करने से इंसान की पहचान बनती है. श्री जायसवाल ने कहा कि शिक्षकांे के आर्शीवाद से आज कठिन से कठिन निर्णय उनके द्वारा लिये गये है. साथ ही वारासिवनी-खैरलांजी क्षेत्र के किसानों, महिलाओ, युवाओं के विकास के लिए जो संकल्प उनके द्वारा लिया गया है. उस क्षेत्र में उन्हे अपार सफलता शिक्षकों के ही आर्शीवाद होगी और वारासिवनी-खैरलांजी क्षेत्र का नाम देश एवं प्रदेश मंे रोशन होंगा. ़

एक शिक्षक जब विघालय खोलता है तो जेल के दरवाजे बंद होते है- स्वप्निल डोंगरे

इस अवसर पर वरिष्ठ नेता स्वपनिल डोंगरे ने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी आन्ध्रप्रदेश विश्व विघालय एवं बनारस हिंदू विश्व विघालय के वाईस चांसलर रहे. इसके बाद वे भारत के उपराष्ट्रपति बने फिर भारत के राष्ट्रपति बने. जब वे राष्ट्रपति थे, तब कुछ लोगो नें उनका जन्मदिवस मनाने की पेशकश किये,  जिस पर उन्होने अपना जन्मदिन मनाने से मना किया और कहा कि शिक्षक दिवस के रूप में जन्मदिन देश मंे मनाया जाये. तब से शिक्षक दिवस 5 सितम्बर को मनाया जाता है. पूरे विश्व में सौ से अधिक देशो मंे शिक्षक दिवस मनाया जाता है, ंकिंतू वो शिक्षक दिवस इससे भिन्न है, 5 सितम्बर से उसका सबंध नहीं है, राधाकृष्णन ने शिक्षकों के बारे में कहा कि एक शिक्षक विघालय खोलता है तो जेल के दरवाजे बंद होते है. राधाकृष्णन ने यहा ं भी कहा कि धार्मिकता और राजनीति को विज्ञान के आडे़ नही आना चाहिये. क्योकि वैज्ञानिको ने सत्य की खोज में दुनिया का निर्माण किया है. जब डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी भारत के उपराष्ट्रपति थे तब वे चीन गये थे और चीन के पितामाह माओ से मिले थे. तो माओ ने दुनिया के ताकतवर लोगो मे से नहीं बल्कि शिक्षक होने के नाते और विद्ववान होने के नाते उनसे मिलते हुए उनके गाल थपथपाए थे. जिसकी चर्चा पूरे विश्व में हूई थी.

शिक्षक दिवस के कार्यक्रम के दौरान वरिष्ठ नेता नंदकिशोर सुराना, डॉ. रामकुमार वर्मा, कोमल चंद लिल्हारे, नंदलाल परिहार, पूर्व जिला पंचायत सदस्य संभीर सुलाखे, अशोक मरार, युगलकिशोर सुलकिया, यशवंत लक्षणे, दाउद मंसूरी, ललित ब्रम्हे, संतोष आड़े, ललित बंसोड, विनय सुराना, शैलेन्द्र तिवारी, सुनील जायसवाल, विक्की ऐडे, आनंद बिसेन, इकबाल खान, दिलीप जोशी, बालू जैवार, विनोद मिश्रा, मिंलिंद नगपुरे, मोनू लिमजे, वसीम अली, पंकज गौतम, रवि गौतम, सूश्री चांदनी शर्मा, सुश्री आंचल रेवेकर, सुश्री शिवानी पारधी, सुश्री रूकैया खान सहित कार्यकर्तागण मौजूद थे.


Web Title : IN ANY ERA, THE IMPORTANCE OF GURUS WILL NEVER DIMINISH BUT WILL GROW PRADEEP JAISWAL, ON TEACHERS DAY, THE CORPORATION PRESIDENT HAS HONOURED HALF A FEW RETIRED TEACHERS WITH SHAWLS, QUINCE.

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