सरकार कर रही आदिवासियों के साथ खिलवाड़, सांसद राजकुमार रौत ने कहा कि आदिवासियों के अस्तित्व को बचाने चलाया जा रहा जनजागण अभियान

बालाघाट. विभिन्न प्रोजेक्ट के नाम पर सरकारें आदिवासियों को उसके जल, जंगल और जमीन से विस्थापित करने कर रही है, पेसा एक्ट को जमीनी स्तर पर लागु नहीं किया जा रहा है. आदिवासियों की पहचान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है, यह कहना है राजस्थान के सांसद राजकुमार रौत का.  

आदिवासी समाज द्धारा आयोजित कार्यक्रम में पहुंचे सांसद रौत ने कहा कि आदिवासियों की समस्याओं को संसद में उठाया जाएगा. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि जो आदिवासी अपने जल, जंगल और जमीन की बात करता है, उस आदिवासी को नक्सलवादी का थप्पा लगाकर एनकाउंटर में मार दिया जाता है. ऐसे कई मुठभेड़ है जो न्यायालयो में लंबित है. उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य और केन्द्र सरकार, आदिवासियों के अस्तित्व को खत्म करना चाहती है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 56 इंच का सीना होने की बात करते है लेकिन आदिवासी मामले में चुप हो जाते है उनकी कोई मदद नहीं करते है. उन्होंने बताया कि आदिवासियों के हक और अधिकार को लेकर जन-जागरण अभियान चलाया जा रहा है. वह आदिवासियों के साथ हो रहे अत्याचार को खत्म करेंगे.  

राजस्थान के चौरासी विधानसभा से दो बार के विधायक और वर्तमान में बांसवाड़ा से सांसद राजकुमार रोत,भारत आदिवासी पार्टी के संस्थापक भी है. जो गत दिवस बैहर पहुंचे थे. आदिवासी समुदाय के अधिकारी कर्मचारी, जनप्रतिनिधि, सामाजिक वरिष्ठो और युवा साथियों ने उनका गर्म जोशी से स्वागत किया.  जिनका आदिवासी समाज ने बड़ादेव स्मृति चिन्ह, पीला गमछे की पगड़ी बांधकर स्वागत किया. साथ ही गोंडी रिती रिवाज अनुसार हल्दी चावल का तिलक लगाकर जोहार सम्मान किया. इस दौरान मौजूद आदिवासी बंधुओं को संबोधित करते हुए सांसद राजकुमार रोत ने कहा कि हमारा समाज बिखरा है, हमारा समाज बंटा है गैर-राजनीतिक पार्टियों, अन्य धार्मिक आस्था और अलग- अलग विचार धाराओं में, लेकिन व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए. जबकि दिगर समाज के लोग भी बंटे है परन्तु अपने सामाजिक स्वार्थ के लिए.  

आज समाज का पढ़ा-लिखा और अधिकारी-कर्मचारी वर्ग डरा हुआ है क्योंकि उनके संरक्षण में कोई नहीं है. समाज का प्रतिनिधित्वकर्ता ईमानदार और साहसी होना चाहिए. पूर्ण बहुमत से बनी सरकार तानाशाही पर उतर जाती है और रिजर्व सीट से चुने गैर राजनीतिक पार्टियों के विधायकों एवं सासदों को संविधान एवं हक अधिकार की बात करने से मना किया जाता है. इसलिए लोकसभा और विधानसभा में निर्दलीय एवं क्षेत्रीय पार्टियों के प्रत्याशियों को भेजना चाहिए, जो हमारी बात रख सके. आप हजार लोग मिलकर आंदोलन करेंगे, धरना देंगे, ज्ञापन देंगे आपकी कोई नही सुनेगा, लेकिन हजार लोग मिलकर एक आदमी को लोकसभा- विधानसभा भेजिए फिर आप जो चाहोगे वो होगा.  

उन्होंने कहा कि यदि आप समाज के लिए कुछ अच्छा काम करोगे तो सबसे पहले समाज का व्यक्ति ही आपका पैर पकड़कर खींचेगा. राजनीति गंदी नही है. समाज के लिए राजनीति में आना बहुत जरूरी है. भारत के कोई भी राज्य की सरकार पेशा एक्ट को वोट बैकिंग के लिए लेकर आती है परन्तु धरातल पर लागू कभी नहीं करती. सरकार आदिवासियों को सदियों से अल - अलग प्रोजेक्ट के नाम पर विस्थापन कर रही है और जो आवाज उठाता है उसे नक्सलवाद का थप्पा लगाकर फर्जी एनकाउंटर में मार दिया जाता है.  इस दौरान अभा आदिवासी विकास परिषद अध्यक्ष मंशाराम मंडावी, हरनाम सिंह मेरावी, सुकसिंह नेताम, हरेसिंह पुसाम, डी. एस. मेरावी, लक्ष्मण सिंह तिलगाम, पी. के. ताराम, डी. एस. धुर्वे, अंकेश मेंरावी, कन्हैया धुर्वे, अरविंद मरकाम, रोशन सिंह ताराम, हीरासिंह पुषाम, श्याम मरकाम, डॉ. फडिश कुसरे, पूरन कुसरे सहित अन्य सामाजिक बंधु बड़ी संख्या में उपस्थित थे.


Web Title : MP RAJKUMAR RAUT SAID THAT THE PUBLIC AWARENESS CAMPAIGN IS BEING RUN TO SAVE THE EXISTENCE OF TRIBALS