आज मनाया जायेगा पोला पाटन पर्व, कल मारबत

बालाघाट. हिन्दु संस्कृति में हर त्यौहार का अपना अलग महत्व है, जिसकी अपनी एक परंपरा और विश्वास है. हिन्दु पर्वो में पोला पाटना और मारबत त्यौहार का भी विशेष महत्व है. पोला पाटन से एक दिन महाराष्ट्रीय घरो में मोबिल का पर्व मनाया. जिसमें माताओं ने बेटे की झोली भरी.  प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी मुख्यालय सहित पूरे जिले में पोला पाटन और मारबत पर्व का मनाया जायेगा. जहां 14 सितंबर को पोला पाटन का पर्व होगा, वहीं 15 सितंबर को मारबत का पर्व मनाया जायेगा.  

इन दोनों ही पर्वो के पूर्व दिवस पर  बाजार में लकड़ी एवं मिट्टी से बने नंदी और उसे सजाने के लिए साज सामग्री की लोगों ने खरीदी की. विदित हो कि नगर मुख्यालय में बूढ़ी, जयहिंद टॉकीज मैदान, भटेरा के आगे पोला पाटन पर्व धूमधाम से मनाया जाता है, जहां पशु पालक अपने पशु यहां लाते है. यह पर्व कृषकों से जुड़ा है. इस दिन भगवान नंदी के स्वरूप बैल की पूजा अर्चना कर विभिन्न पकवान बनाकर उन्हें खिलाया जाता है. ग्रामीण अंचल में पोला पर्व के दिन श्मवेशियों को रंग-बिरंगे रंगों से सजाकर आखर चौक में लाया जाता है, जहां इनका पूजन किया जाता है तो वहीं बैल जोड़ी को घर ले जाकर अन्य लोग भी पूजा अर्चना कर घर में बने पकवान खिलायें जायेंगे.

इस पर्व के पीछे ऐसा माना जाता है कि कृषि में पशु के दिये जाने वाले योगदान को कृषक कृतज्ञता के रूप में मनाता है. कृषक अपने मवेशी का सजाकर उसका पूजन करते है. चूंकि खेती में सबसे ज्यादा किसान बैलों का उपयोग करता है. इसलिए किसान पशुओं की पूजा आराधना एवं उनको धन्यवाद देने के लिए भी इस त्योहार को मनाते हैं. पोला के पहले दिन किसान अपने बैलों के गले एवं मुंह से रस्सी निकाल देते हैं. इसके बाद उन्हें हल्दी, बेसन का लेप लगाते हैं, तेल से उनकी मालिश की जाती है. इसके बाद उन्हें अच्छे से नहलाया जाता है. इसके बाद बैल को अच्छे से सजाया जाता है. पोला पाटन पर्व पशु के सम्मान का पर्व है.  


Web Title : POLA PATAN FESTIVAL TO BE CELEBRATED TODAY