विद्युत विभाग कर्मचारियों ने काम बंद कर किया निजीकरण का विरोध

बालाघाट. केन्द्र सरकार द्वारा विद्युत मंडल का निजीकरण किये जाने से विद्युत विभाग का अधिकारी, कर्मचारी वर्ग लामबंद होकर विरोध में खड़ा हो गया है. विद्युत मंडल के निजीकरण को लेकर देशव्यापी आव्हान पर जिले में बालाघाट, बैहर और वारासिवनी में विभाग के संभागीय कार्यालय में विद्युत विभाग के नियमित, संविदा और आऊटसोर्स के अधिकारी, कर्मचारियांे ने काम बंद कर निजीकरण का विरोध किया.  

बालाघाट संभागीय कार्यालय में विद्युत मंडल के निजीकरण का विरोध कर रहे अधिकारी, कर्मचारियों ने मांगो के समर्थन में जमकर नारेबाजी की और सरकार से विद्युत मंडल के निजीकरण का फैसला वापस लेने की मांग की. अधिकारी, कर्मचारियो ने कहा कि विद्युत मंडल के निजीकरण हो जाने से न केवल विभागीय अधिकारी, कर्मचारियों को परेशान होना पड़ेगा अपितु आम जनता के लिए यह भी हानिकारक होगा. निजी कंपनियां अपने मन-मुताबिक बिजली की दरें वसुली, जिसे देने के लिए आम जनता विवश होगी.

बालाघाट संभागीय कार्यालय में किये गये आंदोलन में प्रांतीय संगठन सचिव आई. डी. पटले, प्रवक्ता शिव मुवनेश्वर, सुभाष मानेश्वर, लक्ष्मणसिंह, डी. जे. भालेकर, बी. के. उमरे, अभिलाषा मिनगढ़े, वंदना इंगोले, अभिलाष सिंह परिहार, अरूण रामटेक्कर, मधुकर हाथिमारे सहित शहर और संभागीय कार्यालय के नियमित, संविदा और आऊटसोर्स कर्मचारी मौजूद थे.

मध्यप्रदेश यूनाईटेड फोरम फॉफर पावर इम्लाईज एवं इंजीनियर्स के प्रांतीय संगठन सचिव आई. डी. पटले ने कहा कि नेशनल कोआर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाईजल एवं इंजीनियर्स एनसीसीओईईई के आव्हान पर आज 3 फरवरी को पूरे देश में केन्द्र शासन द्वारा विद्युत क्षेत्र में वितरण कंपनियों के घाटे एवं उपभोक्ताओं को सुविधाओं के नाम पर औद्योगिक घरानों को फायदा पहुंचाने के लिए संपूर्ण विद्युत क्षेत्र का निजीकरण के लिए बजट भाषण में घोषणा की गई. केन्द्र सरकार ने विद्युत क्षेत्रो के विशेषज्ञों से बात न करके एवं चर्चा केकि लिए विद्युत क्षेत्र के संगठनों को समय न देकर एक तरफा निर्णय लेकर विद्युत सुधार अधिनियम 2021 एवं वितरण कंपनियों के निजलीकरण के लिए एस. बी. डी. लाकर निजीकरण करने जा रही है. जिससे आम उपभोक्ता, किसानों एवं विद्युत क्षेत्र में कार्यरत सभी कर्मचारियों का भविष्य अंधकारमय हो जायेगा. जिसको लेकर देशव्यापी आव्हान पर मध्यप्रदेश में यूनाईटेड फोरम के बैनर तले संपूर्ण मध्यप्रदेश के साथ बालाघाट में काम बंद कर कार्य का बहिष्कार किया गया है. इस दौरान इमरजेंसी सेवाओं के लिए अधिकारी, कर्मचारियों ने कार्य किया, लेकिन विभागीय कार्य के साथ-साथ आम उपभोक्ताओं को बिजली परेशानी की शिकायत नहीं सुनी गई.

हमारी मांग है कि प्रस्तावित विद्युत सुधार बिल 2021 एवं एस. बी. डी. को तुरंत वापस लिया जायें, प्रदेश एवं केन्द्र शासित प्रदेशो में वितरण कंपनियों के निजीकरण को वापस लेकर देश में प्राइवेट लाइसेंसी एवं फ्रेंचाइची समाप्त की जाये, पूरे देश में उत्पादन, पारेषण एवं वितरण कंपनियों को केरल एवं हिमाचल राज्य विद्युत बोर्ड की तरह एकीकरण किये जायें, नई पेंशन योजना को समाप्त कर पुरानी पेंशन योजना लागु की जायें, संविदा कर्मियों के नियमितिकरण के साथ-साथ आउटसोर्स कर्मियों को तेलंगाना शासन की तर्ज पर संविलियन किया जायें औरा अधोसंरचना अनुसार नये पद सृजन कर उन्हें केवल नियमित कर्मचारियों से भरा जायें.

सरकार ने किया विद्युत कर्मचारियों का अपमान

फोरम के प्रांतीय संगठन मंत्री पटले ने विद्युत मंडल के निजीकरण को लेकर बजट भाषण में वित्त मंत्री द्वारा जो बात अधिकारी, कर्मचारियों को लेकर की गई है, वह शर्मनाक है, यदि अधिकारी, कर्मचारी अच्छे सेवायें नहीं देते तो आज जनता बिजली जैसी मूलभुत जरूरतों के लिए सरकार को खड़ करती लेकिन बजट भाषण में निजीकरण के लिए अधिकारी, कर्मचारियों पर दोषारोपण करना जायज नहीं है.

7 फरवरी को भोपाल में होगा मार्च

प्रांतीय संगठन सचिव पटले ने बताया कि आगामी 7 फरवरी को पूरे प्रदेश के नियमित, संविदा और आउटसोर्स के अधिकारी, कर्मचारी भोपाल पहुंचेंगें. जहां अपनी मांगो से वह प्रदेश के मुख्यमंत्री को वल्लभ भवन में ज्ञापन सौंपेंगे.  


Web Title : POWER DEPARTMENT EMPLOYEES STOP WORKING TO PROTEST PRIVATIZATION