परसवाड़ा और बालाघाट में विकास कार्यो की गुणवत्ता पर खड़े हो रहे सवाल, पूर्व सांसद मुंजारे ने बारिश बहे सलंगटोला का किया निरीक्षण

बालाघाट. भले ही राजनेता और प्रशासन जिले में चल रहे विकास कार्यो की गुणवत्ता से समझौता नहीं करने के दावे करते हो लेकिन मैदानी हकीकत इससे जुदा है. बालाघाट और परसवाड़ा विधानसभा में शहर से लेकर गांव के विकास कार्यो की गुणवत्ता पर हालिया बारिश ने सवाल खड़े कर दिये है.  बात करें 48 करोड़ से निर्माणाधीन लामता से परसवाड़ा मार्ग की तो यहां हालिया बारिश से लामता-परसवाड़ा मार्ग पर एमपीआरडीसी की निगरानी में उदित कंस्ट्रक्शन कंपनी रीवा द्वारा बनाया गया सलंगटोला का पुल बह गया. जिसकी गुणवत्ता बिना जांच ही ठेकेदार को राजनेता और एमपीआरडीसी क्लिन चिट देने में लगा है, गत दिवस आयुष मंत्री रामकिशोर कावरे के पुल टूटने की जल संसाधन विभाग से हुए कटाव को वजह बताया तो आज एमपीआरडीएस के अधिकारी दिपक आड़े भी ऐसी ही बयानी कर रहे है.

वहीं रविवार को पूर्व सांसद कंकर मंुजारे ने सलंगटोला के बहे पुलिया का निरीक्षण किया और काम कर रहे ठेकेदार से एमपीआरडीसी के अधिकारी का नंबर लेकर उनसे चर्चा की. इस दौरान उन्होंने एक बार फिर परसवाड़ा क्षेत्र में विकास कार्यो में भ्रष्टाचार किय जाने का आरोप लगाया.   परसवाड़ा में इस बारिश के दौर में मानकुंवर का वैकल्पि मार्ग हो या फिर लामता से खैरा मार्ग, यही नहीं बल्कि क्षेत्र में सड़को की हालत भी जर्जर है. बनिस्मत ऐसी ही स्थिति बालाघाट विधानसभा की है, जहां भी विकास कर्यो में गुणवत्ता की अनदेखी कर गुणवत्ताहीन काम किया जा रहा है. फिर वह चाहे डेंजर रोड का मामला हो, या फिर रेलवे स्टेशन रोड एवं गार्डन के सामने बन रही सीसी सड़क या गौरव पथ में किये गये डामरीकरण का कार्य हो, इस बारिश ने सभी निर्माण कार्याे की हवा निकाल दी है. गौरव पथ के डामरीकरण कार्य में बर्फ फैक्ट्री के पास डामर रोड का मटेरियल बाहर आने लगा है. जबकि रेलवे स्टेशन रोड और गार्डन के पास बनी सीसी सड़क में भी गिट्यिां, सीमेंट छोड़कर बाहर निकल रही है.  

जिससे जिले में करोड़ों की लागत से हो रहे निर्माण कार्य से खोखला विकास नजर आ रहा है. जनता को सुविधाओं के नाम पर जो गुणवत्ताहीन सौगातें दी जा रही हैं, वो एक-दो साल भी नहीं टिक पा रही हैं. फिर चाहे वह लामता-परसवाड़ा मार्ग पर सलंगटोला का अधिकारियों की पोल खोलता क्षतिग्रस्त पुलिया हो, डेंजर रोड का घटिया काम हो या फिर लामता-खैरा मार्ग पर बना छोटा पुलिया हो. समय सीमा से पहले ही पुल-पुलिया या सड़क के दरकने या क्षतिग्रस्त होने के बाद निर्माण विभाग या पंचायत की कारगुजारी सामने आ रही है.  

हालांकि आयुष मंत्री रामकिशोर कावरे के निर्देश के बाद एमपीआरडीसी ने सलंगटोले के टूटे पुल से आवागमन प्रारंभ करने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था बनाने की शुरूआत कर दी है, रविवार को यहां पोखलैंड से काम होता दिखाई दिया और शाम तक सीमेंट के पाईप डालकर, मार्ग को बरसात रूकने तक आवागमन के लिए बनाने का प्रयास किया जा रहा है. एमपीआरडीसी के अधिकारी दिपक आड़े का कहना है कि बरसात के बाद पुल को पुनः बनाया जायेगा. जब तक आवागमन के लिए अभी वैकल्पिक व्यवस्था की जा रही है. मानकुंवर नदी पर पुल नहीं होने के कारण लोगों को आवागमन में हो रही दिक्कतों के बाद अब रास्ता पार करने लोग बहते पानी में ट्यूब की नाव से नदी पार मजबूर है.   ग्रामीणों की मानें तो सलंगटोला पुलिया को बनाने में जमकर लापरवाही बरती गई. कई जगह लोहे का कम इस्तेमाल किया गया, जिसका नतीजा आज सबके सामने है. जनता आवागमन के लिए परेशान है.  

बायपास रोड की तर्ज पर वैनगंगा पुल से गोंगलई की ओर से निकलने वाले डेंजर रोड मार्ग की दुर्दशा किसी से छिपी नहीं है. महज 3. 2 किमी के इस मार्ग के डामरीकरण में जमकर धांधली हुई है. पहले मिलीभगत करके खूब चांदी काटी गई फिर जब आरोप लगे तो जिला प्रशासन ने मार्च 2023 में ठेकेदार को दो साल के लिए ब्लैक लिस्ट कर दिया. इसके बाद दोबारा टेंडर निकाला गया और काम नई कंपनी को दिया गया. नई कंपनी ने डेंजर रोड के पुल का काम तो किया वह भी आधा-अधूरा. 3. 2 किमी की डेंजर रोड पर तीन जगह 100-100 मीटर की दूरी पर हालात बड़े हादसे को न्यौत देने वाले बन गए हैं.  
Web Title : QUESTIONS ARE BEING RAISED ON THE QUALITY OF DEVELOPMENT WORKS IN PARASWADA AND BALAGHAT, FORMER MP MUNJARE INSPECTED SALANGTOLA