शहर में जलभराव के लिए अब रेलवे जिम्मेदार!,जलभराव के बाद जागी नपा, हनुमान चौक में की गई नाले की सफाई

बालाघाट. शहरी क्षेत्र में प्रतिवर्ष बरसात के दौरान जलभराव की समस्या नई नहीं है, प्रतिवर्ष बरसात में मुख्यालय के लोग इसका सामना करते, जिसके लिए नपा प्रबंधन की बरसात के पूर्व शहरी क्षेत्र में जलभराव की स्थिति को नजरअंदाज करना है और फिर जलभराव होने पर नपा आग लगने के बाद कुंआ खोदने की कहावत को चरितार्थ करती नजर आती है, कुछ ही ऐसा दृश्य शनिवार को हनुमान चौक में देखने को मिला. जब शुक्रवार की बारिश में हनुमान चौक में जलभराव देखा गया तो आम नागरिकों और व्यापारियों के आक्रोश के बाद नपा इंजीनियर हनुमान चौक के नाले की सफाई करवाते देखे गये. इस दौरान यह एक नई बात सुनने को मिली. सालों से हनुमान चौक जलभराव की समस्या से जूझ रहा है, कभी नाला नहीं होने की बात कही, जिसके लिए नाला बनाने करोड़ो खर्च किये गये, लेकिन तकनीकि रूप से नाला सही नहीं होने के कारण अक्सर बारिश का पानी नाले से निकालकर जलभराव की शक्ल अख्तियार कर लेता है, अब हनुमान चौक में जलभराव का कारण रेलवे को बताया जा रहा है. बताया जाता है कि बालाघाट-कटंगी ब्राडगेज के कारण रेलवे द्वारा नाले को बंद कर दिया गया. जिससे शहरी क्षेत्र का पानी निकलता था, अब उसी नाले के लिए रेलवे विभाग अनुमति नहीं दे रहा है.  

रेलवे विभाग की अनुमति तक अब हनुमान चौक के लोगों को जलभराव का सामना करना पड़ेगा. मतलब इस साल भी  हनुमान चौक के व्यापारियों को दुकान तक पहुंचने के लिए अत्यधिक बारिश के दौरान नौका चलाकर दुकान तक पहुंचना पड़ेगा या फिर ताल के रूप में नजर आने वाले पानी से गुजरकर दुकान जाना होगा. क्योंकि नपा के उपयंत्री सुरेन्द्र राहंगडाले भी मानते है कि जलभराव की समस्या तो रहेगी, लेकिन नाले की सफाई कर उसे कुछ हद तक कम किया जा सकता है. उनका मानना है कि शहरी क्षेत्र में जलभराव के लिए केवल सीवर लाईन ही एकमात्र समाधान है. जिसके लिए अंडरग्राउंड नाले बनाने पड़ेंगे. जिससे बरसात का पानी नाले के माध्यम से होकर गुजरेगा तो जलभराव की समस्या नहीं होगी.

यह बड़ा हास्यापद और गैर तकनीकि लगता है कि सालों बाद भी शहर की जलभराव की समस्या की समस्या नपा सुधार नहीं सकी. जिसके नाम से करोड़ो रूपये के नाले बनाये, लेकिन उनसे पर्याप्त तरीके से पानी की निकासी नहीं होने से वह केवल शो-पीस बनकर रह गये है. जिसमें तकनीकि कमी का भी आभाष होता है.  

हालांकि अब रेलवे को शहरी पानी के निकासी के लिए जिम्मेदार बताने वाले यह जरूर कह रहे है कि रेलवे लाईन के नीचे से नाले से पानी निकासी के लिए रजामंदी के लिए सांसद, विधायक और नपा प्रबंधन लगातार प्रयासरत है और निरंतर पत्राचार कर रहा है लेकिन वह यह नहीं बता रहे है कि यह स्वीकृति कब तक मिल जायेगी? जिससे यह चर्चा अभी तकनीकि मालुम होती है.  

बहरहाल शुक्रवार को हनुमान चौक में जलभराव के बाद नपा का अमला उपयंत्री सुरेन्द्र राहंगडाले के नेतृत्व में नाले की सफाई अभियान मंे जुटा, जिसमें गैर जिम्मेदारों द्वारा डाली गये प्लास्टिक बॉटल, पॉलिथीन और थर्मोकोल का भारी कचरा बाहर निकाला गया है, ताकि बरसात का पानी आसानी से नाले से होकर बह सके. लेकिन जलभराव की समस्या केवल हनुमान चौक में हो, ऐसा नहीं है सर्किट हाउस मार्ग पर जहां लाखों रूपये की लागत से नये नाले का निर्माण मनमर्जी से किया गया है, उससे भी बरसात का पानी नहीं बहने से मार्डिकर गली सहित अन्य मुख्य सड़क से होकर निकलने वाली गलियों में जलभराव एक बड़ी समस्या है, इसके अलावा शहर के निचले क्षेत्र जो अक्सर बरसात में डूब जाते है, उनकी समस्या को भी हल किया जाना है, जो काम वर्षो से नपा मंे काबिज भाजपा सरकार और वर्तमान प्रशासक नहीं कर सके, उसे इस बरसात में ठीक करने का दावा बोलचाल की भाषा में अच्छा लगता है लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि इस वर्ष भी जिस निजात के लिए डूब क्षेत्र, हनुमान चौक और सर्किट हाउस मार्ग के लोग सालों से राह तक रहे है, उन्हें इसका उचित हल मिलने के लिए और इंतजार करना पड़ेगा.


इनका कहना है

हनुमान चौक में नाले से पानी की निकासी नहीं होने पर नाली की सफाई करवाई गई है, जिसमें प्लास्टिक की बॉटल, पॉलिथिन और थर्माकोल का कचरा मिला है. संभवतः अब ज्यादा जलभराव की समस्या नहीं होगी. यह जरूर है कि जलभराव होगा, लेकिन कम होगा. शहर में जलभराव के पुख्ता इंतजाम के लिए सीवर लाईन का बनाया जाना जरूरी है,उसके बिना समुचित व्यवस्था नहीं होगी. अंडरग्राउंड नालो के बनने से इससे होकर बरसात का पानी निकलेगा तो शहर में जलभराव नहीं होगा.

सुरेन्द्र राहंगडाले, उपयंत्री नपा


Web Title : RAILWAYS NOW RESPONSIBLE FOR WATERLOGGING IN THE CITY!, NAPPA WAKES UP AFTER WATERLOGGING, CLEANING OF DRAIN AT HANUMAN CHOWK