कपड़े जीएसटी बढ़ाने से नाराज कपड़ा व्यवसायी, आज सौंपेगे जिला प्रशासन को ज्ञापन

बालाघाट. आगामी एक जनवरी से महंगाई और बढ़ जायेगी. बिजली बिल का झटका वैसे ही उपभोक्ताओं को लगना है, वहीं कपड़ो और प्रिटिंग में जीएसटी बढ़ने से महंगाई और बढ़ जायेगी. अब तक कपड़ो में 5 प्रतिशत जीएसटी थी, जो नये वर्ष में बढ़कर 12 प्रतिशत हो जायेगी. जिसको लेकर कपड़ा व्यवसायियो में नाराजगी और आक्रोश देखा जा रहा है. चूंकि जीएसटी बढ़ने से सीधे कपड़ो की दर बढ़ जायेगी, ऐसे में इसका सीधा असर क्रेता और विक्रेता पर पड़ेगा. जहां घरेलु सामग्री से लेकर मोबाईल के डाटा का रेट बढ़ने से वैसे ही जनता पहले से हलाकान है, तो अब दैनिक उपयोग की वस्तु में शामिल कपड़ो के दाम बढ़ने से लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा. जैसे-तैसे कोरोना के बाद कपड़ा व्यवसाय संभला ही था कि जीएसटी के भार ने कपड़ा व्यवसाय को लेकर व्यसायियों को चितिंत कर दिया है. जिसको लेकर जहां प्रदेश के अन्य जिलो और हिस्सो में आंदोलन और बंद जैसे विरोध देखने को मिल रहे है, वहीं बालाघाट व्यवसायी, जुबानी तौर पर तो इसका विरोध कर रहे है लेकिन वह अभी आंदोलन को लेकर तैयार नहीं है. कपड़ा व्यवसायी संघ जिलाध्यक्ष अनिल शर्मा का कहना है कि इस मामले में 30 दिसंबर को प्रधानमंत्री एवं वित्त मंत्री के नाम जिला प्रशासन को कपड़ा व्यवसायी जीएसटी को बढ़ाये जाने का विरोध दर्ज करते हुए ज्ञापन सौंपेंगे और जरूरत पड़ी तो इसका सड़क पर उतरकर भी विरोध किया जायेगा.

रेडिमेट कपड़ा व्यवसायी दिलीप वाधवानी की मानें तो कपड़ा में जीएसटी बढ़ने का सीधा असर क्रेता और विक्रेता पर पड़ेगा. आम जनता के लिए कपड़ा खरीदी महंगी हो जायेगी, जिससे वह कपड़ो की खरीदी करने से बचेगा. जिससे कपड़ा व्यवसाय मंदा होगा. वैसे ही कोरोना के कारण लॉकडाउन से धंधा वैसे ही चौपट रहा है, अब जब दुकानें खुली है तो धंधा वैसा नहीं है, फिर भी व्यवसायी, दुकानदारी चला रहा है और यदि जीएसटी बढ़ता है तो कपड़ा व्यापार के मंदा होने से व्यापारी मर जायेगा. उन्होंने कहा कि सरकार कपड़ो पर जीएसटी बढ़ाने का फैसला वापस ले, ताकि लोगों को महंगाई से राहत मिल सकें.

कपड़े और प्रिटिंग में जीएसटी बढ़ने से कपड़े और छपाई और महंगी हो जायेगी. जिसका सीधा असर पर बच्चों के पढ़ाई से लेकर उसकी शादी तक पर होगा, तो वहीं इसका सीधा प्रभाव आम ग्राहकों पर पड़ेगा. लगातार महंगाई से वैसे ही आमजनों की जेबे हल्की हो चुकी है और जो बचा रहता है वह भी बढ़ती जीएसटी के भार से खाली हो जायेगा. जिसका असर न केवल जनता बल्कि व्यवसाय पर भी पड़ेगा.

मिली जानकारी अनुसार आगामी नये वर्ष से सरकार कपड़े पर जीएसटी 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत और प्रिटिंग पर 12 प्रतिशत से बढ़ाकर 18 प्रतिशत करनी जा रही है. जिससे व्यापारी नाराज है, जीएसटी बढ़ने से निश्चित ही इसका असर व्यवसाय पर पड़ेगा. जिससे व्यापारी और ग्राहक दोनो पर इसका भार पड़ेगा. कपड़े और छपाई महंगी हो जायेगी. कपड़ा व्यापारियों का कहना है कि जीएसटी के बढ़ने से इसका असर सीधे व्यवसाय पर पड़ेगा. यदि जीएसटी बढ़ती है तो इसका असर व्यवसाय पर होने के साथ ही ग्राहकों पर भी पड़ेगा. ग्राहकों के लिए कपड़ा खरीदी महंगी हो जायेगी और अतिरिक्त बोझ पडे़गा. आज आम आदमी अपने सीमित बजट से खर्च करता है, जब कपड़ा महंगा होगा तो वह इसे खरीदने के पहले भी सोचेगा. सरकार का जीएसटी बढ़ाने का कदम गलत है, जिसे वापस लेना चाहिये. चूंकि ग्राहकों को ही टैक्स के साथ कपड़ा खरीदना पड़ता है, भले ही यह जीएसटी सरकार 7 प्रतिशत बढ़ा रही हो लेकिन ग्राहक तक आते-आते यह जीएसटी और बढ़ जाती है. जीएसटी बढ़ती है तो व्यापार में नुकसान के साथ ही आम लोगों पर इसका सीधा असर पड़ेगा.


Web Title : TEXTILE BUSINESSMEN ANGRY OVER HIKE IN TEXTILE GST TO SUBMIT MEMORANDUM TO DISTRICT ADMINISTRATION TODAY