जांच या सामग्रियो का वेरीफिकेशन?, प्रशासनिक जांच को लेकर खड़े हो रहे सवाल, प्रशासन ने जांच से किया इंकार

बालाघाट. कोरोना की तीसरी लहर ने दस्तक दे दी है, पूरे देश, प्रदेश के साथ ही बालाघाट जिले में क्रमवार कोरोना की संख्या में ईजाफा होते जा रहा है, यह और बात है कि अब तक किसी भी मरीज को कोविड सेंटर या अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत नहीं पड़ी है. अब तक मिले सभी मरीजों का उपचार होम आईसोलेशन में किया जा रहा है. हालांकि विगत तीन दिनों में दहाई के आंकड़े को पार करते कोरोना पॉजिटिव मरीजों के सामने आ रही संख्या बताती है कि आगामी दिनो में कोरोना की संख्या में कमी तो नहीं बल्कि और ईजाफा हो सकता है. यदि मरीजांे की संख्या में ईजाफा होता है तो कोविड सेंटर या अस्पताल में मरीजो को भर्ती किया जा सकता है. बहरहाल अब भी जिले में कोविड सेंटर और अस्पताल में कोविड मरीजों को भर्ती कराने को लेकर तैयारियां वह नजर नहीं आ रही है, जो अब तक हो जाना चाहिये थी. मसलन दूसरी लहर में बनाये गये कोविड सेंटर बंद है या फिर अभी केवल सफाई का काम चल रहा है, जबकि कोरोना के बढ़ते आंकड़ो को लेकर कब इमरजेंसी जैसे हालत पैदा हो जायें, कहा नही जा सकता.  

इसके बीच कलेक्टर डॉ. गिरीश कुमार मिश्रा के निर्देश पर जिला पंचायत सीईओ विवेक कुमार की टीम, कोरोना की पहली और दूसरी लहर में कोविड में खरीदे गये सामानों का वेरिफिकेशन कर रही है. हालांकि प्रशासनिक अधिकारी, इसे कोविड की तीसरी लहर में उपलब्ध संसाधनों के वेरीफिकेशन करने की बात कर रहे है, लेकिन यह भी चर्चा जोरो पर है कि इसी बहाने कोविड में खरीदी गई सामग्री की प्रशासन अपने स्तर पर जांच कर रहा है, ताकि यह पता किया जा सके कि जो खरीदी गई सामग्री है कि नहीं, या फिर कागजो में खरीदी कर ली गई.  

चूंकि सूत्रों की मानें तो सामग्री की वर्तमान स्थिति पता करने के लिए प्रशासनिक अधिकारी की जांच में यह भी पता किया जा रहा है कि आखिर कितने मॉस्क, कितना सेनेटाईजर और अन्य संसाधन खरीदे गये है, उसकी रिपोर्ट मांगी जा रही है, जिससे प्रशासनिक अधिकारी की जांच केवल तीसरी लहर की तैयारियो को लेकर उपलब्ध संसाधन तक सीमित है या फिर कोविड में खरीदी की जांच, जैसे की अक्सर भ्रष्टाचार मामले में की जाती है, उस तरह की हो रही है? चूंकि जैसा कि प्रशासन का कहना है कि वेरीफिकेशन किया जा रहा है, जिसे पूरी तरह से गोपनीय रखा जा रहा है, प्रेस को भी संतोषप्रद जानकारी नहीं मिल रही है, जिससे कई सवाल खड़े हो रहे है.

कोविड कॉल में खरीदे को लेकर लग चुके है आरोप

कोविड कॉल मंे तत्कालीन कलेक्टर की अध्यक्षता में स्वास्थ्य विभाग द्वारा कोविड कॉल में खरीदे गये सामानों की दरों को लेकर आरोप खड़े होते रहे है, यही नहीं आरोपों को लेकर मय सूत्रों की जानकारी के अखबारों में यह खबरें भी प्रकाशित हुई है. हालांकि तत्कालीन कलेक्टर ने इस मामले में उठे सवाल पर आयोजित प्रेसवार्ता में अपना पक्ष भी रखा था, लेकिन शहर में चर्चा होने से कोविड कॉल में स्वास्थ्य विभाग द्वारा की गई खरीदी सवालों के घेरे में रही है. चूंकि  सरकार द्वारा कोविड कॉल में कोविड सेंटर से लेकर अस्पताल और कोविड सेंटर में भर्ती मरीजों के भोजन को लेकर भारी-भरकम बजट स्वीकृत किया था. जिससे हुई खरीदी मंे उठ रहे सवालों और आरोपो को लेकर तत्कालीन कलेक्टर को यहां तक कहना पड़ा था कि आरटीआई के तहत शिकायत या आरोप लगाने वाले जानकारी ले ले, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई संतोषप्रद जवाब, लग रहे आरोपों को लेकर नहीं दिया गया था. जिसके बाद से ही खरीदी को लेकर संदेह, हमेशा बना रहा.  

होनी चाहिये जांच

बुद्धिजीवियों और प्रबुद्ध वर्गो का कहना है कि सरकार से आया बजट, आम जनता के नागरिकों द्वारा जमा किये जाने वाले टैक्स का पैसा होता है, जिसे सरकार जनता के सुख-सुविधाओं के लिए उपयोग करती है, लेकिन जिस तरह से पिछले कोविड कॉल में करोड़ो की खरीदी के बाद भी लोगों को बेड, ऑक्सीजन और दवायें उपलब्ध नहीं हो सकी, तो आखिर सरकार से कोविड के लिए आई राशि का कहां, कितना और किस पर उपयोग किया गया? जिसकी यदि जांच हो रही है तो होना चाहिये, ताकि कोविड कॉल में खरीदी को लेकर लोगों के मन में अब भी बैठी शंका दूर हो सके और यदि सब सही तो फिर कोई बात ही नहीं है, लेकिन इसे भी सार्वजनिक किया जाना चाहिये.

कलेक्टर ने सीईओ से मांगी स्टेटस रिपोर्ट

एक जानकारी के अनुसार जिला पंचायत सीईओ विवेक कुमार को कलेक्टर डॉ. गिरीश कुमार मिश्रा ने बीते कोविड कॉल में क्या खरीदी हुई? वह किस हालत में है? चालु है कि नहीं? स्टोर में रखा सामान उपयोगी है कि नहीं? कोविड सेंटरो में रखी गई सामग्री की वर्तमान हालत कैसी है? जैसे अन्य और कई सवालों को लेकर पूरी स्टेटस रिपोर्ट मांगी गई है. इसी स्टेटस रिपोर्ट को तैयार करने जिला पंचायत सीईओ विगत कुछ दिनों से पूरी तन्मयता और लगन के साथ जुटे है. हालांकि तैयार हो रही इस स्टेटस रिपोर्ट की जानकारी से मीडिया को दूर रखा गया है.  


इनका कहना है

जांच नहीं है, कोविड कॉल में खरीदी गई सामग्री का वेरीफिकेशन किया जा रहा है. की रिपोर्ट सीईओ से मांगी गई है. कोविड काल में जो सामानों की खरीदी हुई थी, उसकी स्टेटस रिपोर्ट सीईओ जिला पंचायत से चाही गई है.

डॉ. गिरीश कुमार मिश्रा, कलेक्टर

जांच जैसी कोई बात नहीं है, कोविड पहली और दूसरी लहर में जिस तरह से चिकित्सीय अमला और पूरे स्टॉफ ने जो कार्य किया है, वह सराहनीय रहा है, केवल और केवल हमारी टीम कोविड की तीसरी लहर की पकड़ को देखते हुए तैयारियांे को लेकर है, हम यह पता कर रहे है कि आखिर कितनी सामग्री हमारे पास उपलब्ध है, और कितनी डिमांड हमें करनी है, ताकि कोरोना की तीसरी लहर से हम निपट सकें. अभी उपलब्ध संसाधनों की जानकारी एकत्रित की जा रही है, पूरी रिपोर्ट के बाद ही कुछ कहा जा सकता है.

विवेक कुमार, सीईओ, जिला पंचायत


Web Title : VERIFICATION OF INVESTIGATIONS OR MATERIALS?, QUESTIONS RAISED OVER ADMINISTRATIVE INQUIRY, ADMINISTRATION REFUSES PROBE