दादा धर्मेंद्र और पापा सनी देओल जैसा दम नहीं दिखा सके करण, कमजोर रही डेब्‍यू फ‍िल्‍म पल पल दिल के पास


बिना किसी तैयारी के जब कुछ किया जाता है तो दुर्घटना की संभावना होती है. यह दुर्घटना घातक भी होती है लेकिन घातक होती है. यहां हम सनी देओल की फ‍िल्‍म घातक की बात नहीं कर रहे हैं. धर्मेंद्र के पोते और सनी देओल के बेटे करण देओल की पहली बॉलीवुड फ‍िल्‍म पल पल दिल के पास रिलीज हो चुकी है. हिंदी स‍िनेमा के दो द‍िग्‍गजों की मदद से करण देओल ने बॉलीवुड की दुनिया में कदम तो रख लिया है, लेकिन इसे जमाने के लिए उन्‍हें काफी मेहनत करनी होगी.

आज का दौर ना तो धर्मेंद्र का है और ना ही सनी देओल का. आज जमाना बदल चुका है और प्रतिस्‍पर्धा हावी है. रोज नए सितारे फ‍िल्‍म जगत में आ रहे हैं और उनमें प्रतिभा कूट कर भरी हुई है. पल पल दिल के पास फ‍िल्‍म को देखने के बाद कहीं से ऐसा नहीं लगता है कि इस फ‍िल्‍म पर बहुत मेहनत की गई है. औसत कहानी और ऊपर से करण देओल ने एक्टिंग के नाम पर कुछ नहीं किया है. ना बॉडी लैंग्‍वेज से वह जम पाए और नाच गाने व डायलॉग डिलीवरी से. करण को एक्टिंग सीखने के लिए कहीं बाहर जाना नहीं है, ऐसे में उन्‍हें होमवर्क करने से परहेज नहीं करना चाहिए.

वहीं सनी देओल को अपने बेटे को हीरो बनाने और फ‍िर स्‍टार बनाने की इतनी जल्‍दबाजी नहीं दिखानी चाहिए. उन्‍हें ये स्‍वीकारना चाहिए कि करण सनी या धर्मेंद्र नहीं हैं. सनी देओल ने 1983 में फ‍िल्‍म बेताब से सिनेमा में कदम रखा था और उनके पहले ही कदम की गूंज हर तरफ सुनाई दी थी. वहीं धर्मेंद्र भी अपनी पहली फ‍िल्‍म दिल भी तेरा हम भी तेरे से छा गए थे. इसके बाद उनकी दूसरी फ‍िल्‍म शोला और शबनम तो जबरदस्‍त हिट रही थी.

सनी देओल के निर्देशन में बनी फ‍िल्‍म पल पल दिल के पास को बनाने में पैसा तो खूब बहाया गया. अगर उसमें से कुछ पैसा कहानी लिखने वाले को दिया गया होता तो रंग कुछ और जमा होता. केवल बर्फ, खूबसूरत वादियां, महंगी कार और हैलीकॉप्‍टर दिखाकर आज के दर्शक इंप्रेस नहीं होने वाले हैं. करण देओल को अपनी दादा धर्मेंद्र और पापा सनी देओल जैसे फैन फॉलोइंग बनानी है, तो पसीना बहाना होगा, मेहनत करनी होगी. इसी के साथ अच्‍छी कहानियों के साथ आगे बढ़ना होगा.  

Web Title : DADA DHARMENDRA AND PAPA SUNNY DEOL COULD NOT SHOW UP AS KARAN, THE WEAK FACED FILM MOMENT NEAR THE HEART.

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