वजन कम करना कोई बच्चो का खेल नहीं है इसकेलिए बहुत सी मेहनत और धैर्य की आवश्यकता होती है. लेकिन वजन कम करने वाली महिलाये इसे तेजी से करना चाहती है. सच्चाई तो ये है की जिस वजन को आपने 1 महीने में बाधा लिया उसको घटने में समय तो लगेगा. लेकिन लोग अक्सर इस बात को नहीं समझते और क्रेश डाइट और एक्सरसाइज एक साथ करने लगते है. लेकिन ऐसा करने वाले लोग ये नहीं जानते की ऐसा करना उनके सेहत के लिए काफी घटक सिद्ध हो सकता है खासकर की उनकी हड्डियों के लिए. इस बारे में हमने बात की शालीमार स्थित फोर्टिस हॉस्पिटल की डायटीशियन सिमरन सैनी से. आइये इसके बारे में विस्तार से जानते है.
जानते है की रिसर्च क्या कहती है इसके बारे में.
एक अध्ययन के अनुसार, डाइटिंग और एक्सरसाइज का हमारी हड्डियों पर बुरा असर पड़ता है. अमेरिका की नॉर्थ कैरोलिना स्कूल ऑफ मेडिसन यूनिवर्सिटी की एसोसिएट प्रोफेसर माया स्टेनर का कहना हैं, ´´यह महिलाओं के लिए ज्यादा जरूरी है, क्योंकि जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, हमारी हड्डियां भी कमजोर होती जाती हैं. हमारे द्वारा ली जाने वाली कैलोरी और एक्सरसाइज का रूटीन हमारी हड्डियों की मजबूती और फ्रैक्चर के जोखिम पर बड़ा प्रभाव डाल सकता है. ´´
जर्नल ऑफ बोन एंड मिनरल रिसर्च में प्रकाशित इस अध्ययन में देखा गया कि कैलोरी को सीमित कर देने से बोन मैरो फैट और हड्डियों के स्वास्थ्य पर क्या असर पड़ता है. अनुसंधान में चूहों के चार समूहों को शामिल किया गया था- एक रेगुलर डाइट लेने वाला ग्रुप, एक कैलोरी-प्रतिबंधित डाइट लेने वाला ग्रुप, रेगुलर डाइट और एक्सरसाइज करने वाला ग्रुप और कैलोरी-प्रतिबंधित डाइट और एक्सरसाइज करने वाला ग्रुप. इसके बाद देखा गया कि कैलोरी-प्रतिबंधित डाइट लेने वाले ग्रुप में जो चूहे थे, उन्होंने रेगुलर डाइट वाले चूहों की तुलना में 30 प्रतिशत कम खाया. मनुष्यों के संदर्भ में इस अध्ययन को लागू करते हुए अमेरिका के कृषि विभाग ने कहा कि 30 वर्ष की आयु में एक मध्यम रूप से एक्टिव महिला को प्रतिदिन 2000 कैलोरी का उपभोग करना चाहिए.
प्रोफेसर माया स्टेनर ने पाया कि कैलोरी प्रतिबंधित डाइट वाले ग्रुप के चूहों ने वजन तो घटाया, लेकिन उनके बोन मैरो फैट में भी थोड़ी वृद्धि देखी गई. उनके अनुसार, आज तक हड्डी के फैट को सही तरीके से समझा नहीं गया है, जिसके परिणामस्वरूप हमारी हड्डियों के लिए भी इसे हानिकारक माना जाता है. कम फैट को आमतौर पर हड्डियों के बेहतर हेल्थ का संकेत माना जाता है. वह आगे बताती हैं कि कम कैलोरी वाले डाइट जो कि पौष्टिक लगते हैं, उनका भी हेल्थ पर नेगेटिव असर प्रभाव पड़ता है, खासकर जब आप उसके साथ-साथ एक्सरसाइज भी करते हैं.
एक्सपर्ट की राय
इस बारे में डाइटिशियन सिमरन सैनी का कहना है कि ´´अगर आप शादी या किसी अन्य बड़े इवेंट के लिए क्रैश डाइटिंग कई हफ्तों से कर रही हैं तो शायद इसका बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ेगा- हालांकि मैं आपको हमेशा यह सुनिश्चित करने की सलाह दूंगी कि आपको अपनी डाइट हेल्दी पौष्टिक फूड्स के माध्यम से इस समय के दौरान पर्याप्त कैल्शियम और विटामिन डी मिलें. ´´
उनका यह भी कहना है कि ´´जो लोग केवल सूप / या केवल अंगूर या जंक फूड जैसे तर्कहीन डाइट के माध्यम से वेट लॉस की कोशिश करते हैं, वे निश्चित रूप से ऑस्टियोपोरोसिस के हाई जोखिम पर रहते हैं. साथ ही बहुत से लोग ऐसे डाइट को फॉलो करते हैं जिनमें सब्जियों / अंडे / फल या दूध का कोई स्रोत नहीं होता है. इन पोषक तत्वों की कमी से बॉडी में मुख्य रूप से कैल्शियम, विटामिन सी और विटामिन डी की कमी होने लगती है और हड्डियों की कमजोरी की संभावना बढ़ जाती है. ´´