हेल्थ : मच्छरों के कारण ही जानलेवा बीमारियां होती हैं. डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया जैसी कई गंभीर बीमारियां जानलेवा होती हैं. बड़ों को अगर ये बीमारियां हो जाएं तो वह अपने लक्षण को पहचान का समय रहते इलाज करा लेते हैं, लेकिन शिशुओं में इस बीमारी को पकड़ना आसान नहीं होता. इसलिए जरूरी है कि शिशुओं को इन बीमारियों से बचाने के लिए मच्छरों से अपने घर को मुक्त रखा जाए. मलेरिया की मच्छर भले ही गंदे पानी में पनपते हैं, लेकिन डेंगू या चिकनगुनिया के मच्छरों का लार्वा साफ पानी में भी पैदा हो जाता है. मच्छरों से घर को मुक्त करने के लिए सबसे पहले मच्छरों के पनमे के कारणों से बचना जरूरी है. उसके बाद मच्छरों को भागने के लिए घरेलू चीजों की मदद लें. खास कर शिशुओं के लिए क्योंकि केमिकल युक्त मच्छर भगाने वाली चीजें उनके स्वास्थ्य के लिए अच्छी नहीं होतीं. तो आइए जानें किन किन घरेलू तरीको से मच्छरों को भगाया जा सकता है. घर में आप डिफ्यूजर में कपूर और लौंग को मिला कर जलाएं. इससे मच्छर भी भागेंगे और घर के अंदर एक स्वच्छ हवा बनेगी जो बच्चों के लिए भी फायदेमंद है. इस हवा से शिशुओं के सीने में जमा कफ भी निकल जाता है. मच्छर तेज गंध या खुशबू को बर्दाश्त नहीं कर पाते. यदि आपके घर में मच्छरों का प्रकोप बढ़ गया हो तो आप प्याज और लहसुन को पीसकर छान लें और इसे एक स्प्रे के बॉटल में डाल दें और इसका स्प्रे कमरे में करें. इससे मच्छर भी भागेंगे और कीट-कीड़े भी दूर हो जाएंगे. एक डिफ्यूजर में आप सरसों का तेल और कुछ अजवाइन डाल दें. जब इसका धुंआ कमरे में फैलेगा तो मच्छर तुरंत छू मंतर हो जाएंगे. यह धुंआ शिशुओं को सर्दी-जुकाम से भी बचाता है और घर का वातावरण शुद्ध करता है. मच्छरों के लिए ये इस तेल का अरोमा खतरनाक होता है, लेकिन इंसानों के लिए ये खुशनुमा अरोमा की तरह से काम करता है. इसके प्रयोग से मच्छर बहुत जल्दी भाग जाते हैं. बच्चों या शिशुओं के कपड़ों पर रोल ऑन की कुछ बूंदे डाल दें. ध्यान रहे कि बच्चा इसे मुंह में न डालने पाएं. वहीं दो महीने से ज्यादा की उम्र वाले शिशुओं के लिए उन्हीं मच्छर रोधक का इस्तेमाल करें जिसमें डीईईटी, पिकारिडिन मौजूद हों. इससे बेहतर कोई और उपाय नहीं हो सकता. मच्छरदानी हर किसी के लिए मच्छरों से बचने का बेहतर उपाय होता है. साथ ही घर में फिनायल का पोंछा लगना चाहिए. इस बात का ध्यान रखें की कमरे में जब भी किसी चीज का धुंआ करें उस कमरे से हट जाएं और जब धुंआ हल्का हो जाए तभी कमरे में जाएं. यह ध्यान शिशुओं के लिए जरूर रखें.