आंगनबाड़ी आहार में लाखों का घपला!, बच्चों की उपस्थिति दर्शाकर निकाला जा रहा लाखों का पेमेंट, कार्यकर्ता और सहायिका की सेवा समाप्त के आदेश जारी

बालाघाट. आंगनबाड़ी के माध्यम से 0 से 6 वर्ष तक के बच्चों के अलावा गर्भवती और धात्री महिलाओं को दिये जाने वाले भोजन में बड़ा घपले की किये जाने की जानकारी विश्वसनीय सूत्रों से मिली है. बताया जाता है कि आंगनबाड़ी में समूहों के माध्यम से पहुंचाये जाने वाले भोजन में बच्चों की उपस्थिति दर्शाकर लाखों रूपये का पेमेंट प्रतिमाह निकाला जा रहा है जबकि वास्तविकता में आंगनबाड़ी में उतने बच्चे मौजूद नहीं रहते है.  

जिसका खुलासा भी सोमवार को जिला पंचायत सीईओ रजनी सिंह के आंगनबाड़ी के निरीक्षण के दौरान सामने आ गया. जिले में आंगनबाड़ी केन्द्रो का जिला पंचातय सीईओ द्वारा औचक्क निरीक्षण किया जा रहा है. इसी कड़ी में आज 26 अगस्त को जिला पंचायत सीईओ शहरी परियोजना अंतर्गत वार्ड नंबर 10 स्थित आंगनबाड़ी केन्द्र क्रमांक 24 में पहुंची तो उन्हें यहां निरीक्षण के दौरान कई खामियां मिली. जहां आंगनबाड़ी कार्यकर्ता गायत्री नगपुरे पूर्व सूचना के अनुपस्थित थी और केन्द्र में बच्चे भी नहीं थे.

ऐसे में कैसे होगा कुपोषण दूर

विश्वसनीय सूत्रों की मानें तो कुपोषण को दूर करने आंगनबाड़ी केन्द्रो में गर्भवती और धात्री महिला सहित बच्चों के लिए पौष्टिक खाद्य का पूरा मेन्यु तैयार है. मतलब गर्भवती, धात्री और 0 से 6 वर्ष तक के बच्चो को प्रतिदिन किस तरह का आहार देना है, ताकि बच्चा स्वास्थ्य हो और उसे कुपोषण न हो, लेकिन मेन्यु के अनुसार आंगनबाड़ी केन्द्रो में भोजन प्रदाय किया रहा है कि इसकी निगरानी करने वाला कोई नहीं है. जानकारों की मानें तो आंगनबाड़ी केन्द्रो में सप्लाई किये जाना वाला न तो पौष्टिक होता है और न ही मेन्यु के अनुसार, जिसे बच्चों के नहीं आने पर बचने पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता भी जानवरों को डाल देती है.

शहरी परियोजना दे रहा भोजन का समूह को प्रतिमाह लाखांे का बिल

शहरी परियोजना से मिली जानकारी अनुसार आंगनबाड़ी केन्द्रो में समूह द्वारा पहुंचाये जाने वाले भोजन की प्रतिमाह राशि 6 से साढ़े छः लाख रूपये होती है. जिसे समूह को भुगतान किया जाता है. अनुमान लगाया जायें तो प्रतिदिन आंगनबाड़ी केन्द्रो में 20 हजार का रूपये का भोजन सप्लाई किया जाता है. मतलब प्रतिदिन एक हजार का बच्चों के भोजन के अनुमान से 20 रूपये प्रति बच्चे को भोजन दिया जाता है, लेकिन हकीकत इससे विपरित है. प्रतिदिन आंगनबाड़ी केन्द्रो में बच्चों की पहुंचने की औसत संख्या रजिस्टर में दर्ज की जाने वाली संख्या से औसत काफी कम होती है और आंगनबाड़ी केन्द्रो में भी समूह द्वारा प्रदाय किये जाने वाला खाना, उतने ही बच्चों के अनुसार दिया जाता है जिसकी संख्या उंगलियों में गिनी जाने लायक होती है लेकिन रजिस्टर में आंगनबाड़ी केन्द्रो में दर्ज पूरी संख्या का हिसाब किया जाता है. जिसमंे बड़ा घपला मिलीभगत से किया जा रहा है. जिसकी ओर किसी का ध्यान नहीं है.  

आंगनबाड़ी में क्यों नहीं आ रहे बच्चे

शासन द्वारा आंगनबाड़ी की ओर बच्चों को आकर्षित करने नाश्ता और भोजन प्रदाय किया जा रहा है. इसके अलावा आंगनबाड़ी केन्द्रो में बच्चों को प्राथमिक शिक्षा देने के लिए भी पूरे इंतजाम है, लेकिन आंगनबाड़ी केन्द्र अंतर्गत आने वाले अधिकांश बच्चां के अभिभावक बच्चोे को आंगनबाड़ी केन्द्र में भेजने की अपेक्षा प्री-नर्सरी और नर्सरी स्कूलो में भेजते है. जिसके कारण बच्चे आंगनबाड़ी केन्द्र नहीं आ रहे है, लेकिन इससे जिम्मेदारों को कोई सरोकार नहीं है और वह भी दर्ज संख्या के अनुसार बच्चे आंगनबाड़ी आ रहे है कि यह देखने की बजाये रजिस्टर में बच्चो की दर्ज संख्या को ही सही मान रहे है. जिससे मिलीभगत करने वालों को बढ़ावा मिल रहा है.

आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका बर्खास्त

आज 26 अगस्त को जिला पंचायत सीईओ द्वारा शहरी परियोजना अंतर्गत वार्ड क्रमांक 10 की आंगनबाड़ी केन्द्र क्रमांक 24 में निरीक्षण करने पर मिली खामियांे के बाद शहरी परियोजना अधिकारी दिनेश शर्मा द्वारा बिना पूर्व सूचना के अनुपस्थित रहने, केन्द्र पर बच्चे नहीं मिलने और रिकार्ड अपूर्ण मिलने और पूर्व में भी पर्यवेक्षक के निरीक्षण के दौरान केन्द्र में अनियमितता पाये जाने पर कार्यकर्ता गायत्री नगपुरे और सहायिक श्रीमती आशा दुबरई को पदीय कर्तव्यों के पालन में लापरवाही बरतने पर उनकी सेवा समाप्त करने के आदेश जारी किये गये है.


Web Title : ANGANWADI DIET HAS COST MILLIONS OF PEOPLE A WHOIS IN THE HOUSE!