बालाघाट. छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा स्थापित हिंदवी साम्राज्य स्थापना का 350 वां वर्ष देश मना रहा है. छत्रपति शिवाजी महाराज, भारत के उन महान व्यक्तित्वो में से एक है, जिन्होंने समाज को सैक्ड़ो वर्षो की दासता की मानसिकता से मुक्त कर समाज में आत्मविश्वास एवं आत्मगौरव का भाव जगाया. जिनका ज्येष्ठ शुक्ल त्रयोदशी को राज्याभिषेक तथा हिन्दवी स्वराज की स्थापना हुई.
छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा बाल्यकाल से लिए गए स्वराज्य स्थापना के संकल्प का उद्देश्य मात्र सत्ता प्राप्ति नहीं अपितु, धर्म एवं संस्कृति की रक्षा के लिए स्व-आधारित राज्य की स्थापना करना था. उन्होंने उसका अधिष्ठान ‘‘यह राज्य स्थापना श्री की इच्छ है’’ के भाव से जोड़ा था. आज भारत अपनी सामाजिक शक्ति को जागृत करते हुए अपने स्व के आधार पर राष्ट्र निर्माण के पथ पर आगे बढ़ रहा है. भारत के स्व-आधारित राज्य की स्थापना के उद्देश्य से चली छत्रपति शिवाजी महाराज की जीवन यात्रा का स्मरण अत्यंत प्रासंगिक एवं प्रेरणास्पद है. समाज जागरण के इसी अनुष्ठान में आज 08 अक्टूबर रविवार को ‘‘वर्तमान समाज में छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा किये गये कार्यो की प्रासंगिकता‘‘ विषय पर व्याख्यान माला का आयोजन किया गया है.
यह आयोजन दोपहर 3. 30 बजे से नगर के वैद्य लॉन में मुख्य वक्ता कुटुंब प्रबोधन महाकौशल प्रांत सहसंयोजक पुरूषोत्त शर्मा, अध्यक्षता बौद्याचार्य समाजसेवी दिलीप मेश्राम, मुख्य अतिथि परिवार परामर्श केन्द्र सदस्य जयश्री अरोरा, विशिष्ट अतिथि समाजसेवी सुखलाल उइके और सेवाभारती कार्यकारिणी सदस्य श्रीमती उषा सावलानी की उपस्थिति में किया गया.