मगफिरत की रात-शब-ए-कद्र आज, अलविदा जुमा पर रोजेदारों की आंखे हुई नम

बालाघाट. उर्दू भाषा का शब्द ‘शब-ए- कद्र’ दो शब्दों से मिलकर बना है जहां शब का हिंदी अर्थ रात है तो वही कद्र का अर्थ जिसकी कद्र की जाए. अर्थात ऐसी रात जिसकी कद्र की जाए शब-ए-कद्र कहलाती हैं. रमजान माह के अंतिम पड़ाव में यह रात आज शनिवार को है. जहां मुस्लिम समाज के लोग पूरी रात जाग कर विशेष नमाज, तिलावते कुरान और अन्य इबादतो में गुजार कर एक अल्लाह से अपनी मगफिरत की दुआएं मांगेगे. साथ ही मुस्लिम समाज द्वारा इस विशेष रात में इबादत कर गुनाहों से निजात मांगी जाएंगी. आपको बताए कि रमजान शरीफ के आखिरी अशरे में नेमतों की यह रात शबे कद्र आती है जिसके ठीक 3 दिन बाद चांद की तस्दीक कर ईद का त्यौहार मनाया जाता है. जहां 29 वें रोजे पर चांद दिखने पर 10 अप्रैल बुधवार को या फिर तो 30 वें रोजे पर 11 अप्रैल गुरुवार को ईद मनाई जाएगी जिसकी तैयारियां मुस्लिम समाज द्वारा शुरू कर दी गई है.  

अलविदा जुमा पर रोजेदारों की आँखे हुई नम

माहे रमजान में अलविदा जुम्मा का अपना विशेष महत्व है. इस रमजान में महीने का आखिरी जुमा आज 5 अप्रैल को अदा किया गया. इस अलविदा जुम्मा को लेकर मस्जिदों में भीड़ बनी रही. जहा रोजेदार अलविदा जुमा पर नम आंखों से दुआएं करते हुए इस पवित्र महीने को अलविदा कहते नजर आए. इसके बाद आज 27 वीं शब ए कद्र मनाई जाएगी. जिसमें समाज के लोग पूरी रात एक अल्लाह की इबादत करेंगे.   उल्लेखनीय है कि मस्जिदों में सामूहिक रूप से माहे रमजान के सभी आयोजन हुए है. सेहरी का दौर चला है तो इफ्तार की महफिल भी सजी.   तरावी, पांच वक्त की नमाजों के अलावा अन्य सभी इबादतो में मुस्लिम समाजनों ने शिरकत की है और महीना भर मस्जिद गुलजार नजर आई है. ईद की खुशियों के बीच अब इस पवित्र महीने के अलविदा होने का भी इबादत गुजारो को गम है.

मस्जिदों और घरों में होगी विशेष इबादत 

मुस्लिम समाज के लोगों पर 5 फर्जों की अदायगी अनिवार्य की गई है. जिसमें रमजान शरीफ के रोजे रखना भी एक अहम फर्ज है. अपने इसी फर्ज की अदायगी के लिए मुस्लिम समाज द्वारा रमजान शरीफ में पूरे माह रोजा रख विशेष इबादत की जाती है. वही रमजान शरीफ के अंतिम अशरे में 26 वां रोजा मुकम्मल कर 27 वीं शब को शबे कद्र मनाई जाती है. शबे कद्र पर हर वर्ष मुस्लिम समाज के पुरुष मस्जिदों मदरसो एवं अन्य इबादतगाहो में जाकर पूरी रात विशेष नमाज अदा करते हैं. वही पूरी रात तिलावत में गुजारते हैं. मुस्लिम महिलाएं घरों में रात भर इबादत कर अपने गुनाहों की माफी मांगती है. इसके अलावा मुस्लिम पुरुष इसी रात अपने पूर्वजों की कब्रगाह में जाकर उन्हें याद करते है. तो वही इबादतगाहों में मिलाद शरीफ, दरूद खानी, कुरआन खानी, नात खानी तकरीर सहित विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है.  

इबादतगाहो में की गई विशेष रोशनी 

अजीम नेमतों, बरकतों और मगफिरतो की इस रात को देखते हुए जिला मुख्यालय सहित तहसील व अन्य ग्रामीण अंचलों स्थित इबादतगाहो को दुल्हन की तरह सजाया गया है वहीं विभिन्न मस्जिदों मदरसों, कब्रगाहों में रंग बिरंगी लाइटिंग कर उन्हें आकर्षक रूप दिया जा चुका है.  

इबादत में गुजरेगी पूरी रात

शबे कद्र को लैलतुल कद्र भी कहा जाता है इस्लामी मान्यता के अनुसार इसी रात को आसमानी किताब कुरआन मुकम्मल तौर पर धरती पर नाजिल हुआ था. इसी रात को मगफिरतों की रात भी कहा जाता है. इसलिए मुस्लिम समाज के लोग पूरी रात जाग कर इबादत करते हैं और अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं. इस्लामी मान्यता के अनुसार शबे कद्र की रात रमजान शरीफ के तीसरे अशरे यानी 20 वे से 30 वे रोजे के दरमियान आती है. जिसे 21,23, 25, 27 और 29 रोजे में तलाशने के हुक्म दिया गया है, लेकिन बीते कई जमाने से 26 वे रोजे के बाद यानी 27 वीं को शबे कद्र मनाने का प्रचलन है. जिसके तहत शबे कद्र इस शनिवार को मनाई जाएगी.


Web Title : MAGHFIRAT NIGHT SHAB E QADR TODAY, TEARS IN TEARS ON FRIDAY